ज्येष्ठ कृष्ण १४, कलियुग वर्ष ५११५
हिंदू राष्ट्रकी स्थापना विषयपर उद्बोधन सत्रमें हिंदू एक्जिस्टन्स, कोलकाताके संपादक उपानंद ब्रह्मचारीजीने अपने विचार व्यक्त किए ।
श्री. ब्रह्मचारीजीने कहा, ..
१. लोकमान्य तिलक, डॉ. हेगडेवार ने हिंदू राष्ट्रकी अवधारणा प्रस्तुत की; परंतु आज पूरे देशमें अनेक हिंदुत्ववादी संगठन कार्यरत होनेपर भी हिंदू राष्ट्रकी स्थापना नहीं हुई । क्योंकि, किसी भी संगठनमें शत-प्रतिशत हिंदुत्व नहीं है ।
२. यदि बलिष्ठ हिंदुत्ववादी संगठन हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाका निःस्वार्थ ध्येय रखेंगे, तो १० दिनोंमें हिंदू राष्ट्र स्थापित हो जाएगा । बलिष्ठ हिंदुत्ववादी संगठनोंको सद्बुद्धि प्राप्त हो और वे इस कार्यमें सच्चे मनसे सम्मिलित हों, यह भगवान श्रीकृष्णजीके चरणोंमें प्रार्थना हैं ।
३. संघके हिंदुत्वका मूल राजनीति है; किंतु, हमारे कार्यका मूल धर्म है ।
४. हिंदू धर्माचरण कर स्वयंमें परिवर्तन लाएं, साथ ही समाज, राज्य तथा राष्ट्रमें परिवर्तन लाएंगे, तो हिंदू राष्ट्रके लिए अनुकूल वातावरण बनेगा ।
५. हिंदू व्यावहारिक दृष्टिसे तो साक्षर हैं; किंतु, धार्मिक दृष्टिसे निरक्षर ही हैं । अतः, हिंदुओंको खरे अर्थोंमें साक्षर बनानेके लिए हमें अभियान चलाना होगा ।
६. धर्मसंस्थापनाका कार्य करते समय हमें क्षात्रतेजके साथ ब्राह्मतेजकी भी आवश्यकता है । इसके लिए धर्मशिक्षाके अतिरिक्त विकल्प नहीं है ।