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तमिलनाडु के धर्मादाय विभाग ने मंदिरों की ५७०० करोड रुपए की संपत्ति अतिक्रमणकारियों से पुनः प्राप्त की

वास्तव में मंदिरों की भूमि पर अतिक्रमण होने तक क्या द्रमुक सरकार सो रही थी ? – संपादक, हिन्दुजागृति

चेन्नई (तमिलनाडु) – तमिलनाडु के धर्मादाय विभाग ने वर्ष २०२१ से ५ सहस्र ७०० करोड रुपए की भिन्न भिन्न मंदिरों के स्वामीत्व की भूमि, भूखंड एवं भवन अतिक्रमणकारियों द्वारा वापस प्राप्त किए हैं । तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रकाशित जानकारी के अनुसार पूरे राज्य की ६ सहस्र ७१ एकड भूमि अतिक्रमणकारियों द्वारा वापस प्राप्त की गई है एवं वह मूल स्वामीत्व अधिकार के मंदिरों को सौंप दी गई है ।

मंदिरों की भूमि का ‘डिजिटल डाटा’ बनाएंगे !

धर्मादाय विभाग के मंत्री पी. के. सेकरबाबू ने कहा, ‘अतिक्रमणकारियों द्वारा वापस प्राप्त भूमि अथवा धन-संपत्ति के आसपास बाड बनाई जाएगी तथा मंदिरों के स्वामीत्व अधिकार दर्शानेवाले फलक लगाए जाएंगे ।’ उन्होंने आगे कहा कि धर्मादाय विभाग के नियंत्रण में रहे मंदिरों के स्वामीत्व के कुल ४ लाख ७८ सहस्र एकड भूमि में से १ लाख ६७ एकड भूमि का ‘डिजिटल भूमि संसाधन डेटाबेस’ तैयार किया गया है ।

धर्मादाय विभाग विसर्जित करने की भाजपा की मांग 

वर्ष २०२१ के विधानसभा चुनाव के पूर्व ‘ईशा फाऊंडेशन’ के सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने  ‘तमिलनाडु के मंदिर मुक्त करें’ ऐसा अभियान चलाया था । अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने धर्मादाय विभाग रद्द करने का आश्‍वासन दिया है ।  धर्मादाय विभाग का यह अभियान भी मुख्यमंत्री एम.के. स्टैलिन का एक राजनीतिक  छल-कपट है । द्रमुक पार्टी पर ‘हिन्दुविरोधी’ होने का आरोप लगाया जाता है ।

स्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

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