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कोल्हापुर में ‘बालूमामा देवस्थान संरक्षक मोर्चा’ के माध्यम से भक्तों की एकजुट मांग
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साथ ही संभावित सरकारीकरण रहित करने की भी मांग
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मोर्चा में ६०० से अधिक भक्तों की उपस्थित
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) – असंख्य भक्तों की आस्था का केंद्र संत बालुमामा भक्ति मंदिर में प्रशासक की नियुक्ति के उपरांत भी भक्तों की असुविधाएं बढ़ गई हैं । प्रशासक के आने से पहले मंदिर में जो विश्वस्त दोषी हैं उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई । कोल्हापुर में कलेक्टर कार्यालय पर निकाले गए ‘बालूमामा देवस्थान संरक्षक मोर्चा’ द्वारा एकजुट मांग की गई कि संत बालुमामा देवस्थान में दुर्व्यवहार के प्रकरणों की तत्काल ’सीआईडी’ जांच की जानी चाहिए, तथा संभावित सरकारीकरण न करते हुए मंदिर का प्रबंधन भक्तों को सौंप दिया जाना चाहिए । बालूमामा हलसिद्धनाथ सेवाकारी संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति तथा महाराष्ट्र मंदिर महासंघ द्वारा आयोजित इस मोर्चे में ६०० से अधिक भक्त उपस्थित थे । मोर्चे के अंत में निवासी उपकलेक्टर संजय तेली ने निवेदन स्वीकार किया । उन्होंने आश्वासन दिया कि यह निवेदन तुरंत मुख्यमंत्री को भेज दिया जाएगा ।
माेर्चा में दी गई घोषणाएं !
इस अवसर पर ‘बालूमामा मंदिर का सरकारीकरण नहीं होने देंगे, नहीं होने देंगे, बलुमामा मंदिर का सरकारीकरण नहीं होने देंगे, ‘मस्जिदों तथा मदरसों के लिए वक्फ बोर्ड, चर्चों के लिए डायोसेसन सोसायटी, तो बालूमामा के मंदिर का ही सरकारीकरण क्यों?’, ’बालूमामा के भक्तों को मूलभूत सुविधाएं मिलनी ही चाहिए’, ‘शासक नहीं, प्रशासक नहीं, भक्तों को चाहिए बालूमामा के प्रामाणिक सेवक!’ इस समान अन्य घोषणाआें से दशहरा चौक गूंज उठा ।
गणमान्य व्यक्तियों का मनोगत
मार्च के समापन पर बालूमामा हलसिद्धनाथ सेवाकारी संस्था के अध्यक्ष श्री. निखिल मोहिते-कुराडे ने कहा, ’’वर्तमान में भक्तों को संत बालुमामा देवस्थानम में प्रशासक नियुक्त करने का परिणाम भुगतना पड़ रहा है । संत बालूमामा के दर्शन के लिए गांव से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग का स्थान उपलब्ध नहीं है, श्रद्धालुओं के लिए शौचालय नहीं है, प्रसाद चढ़ाने में असुविधा होती है । ऐसी कई अडचनों का सामना भक्तों को करना पड़ रहा है । बालूमामा के बगीचे में बकरियों की देखभाल के लिए कोई चिकित्सक नहीं है, उन्हें समय पर दवा नहीं मिलती है ।’’ उद्धव ठाकरे समूह के उपजिला प्रमुख संभाजीराव भोकरे ने कहा, ‘‘मंदिर में प्रशासक नियुक्त कर, भक्तों का श्रद्धा से अर्पण किया धन हडपने का षड्यंत्र, भक्तगण उजागर करेंगे ।’’
इस अवसर पर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के संयोजक श्री. सुनील घनवट ने कहा, ‘संत बालूमामा का समाधि मंदिर १९६६ में स्थापित किया गया था तथा न्यासी बोर्ड पहली बार २००३ में अस्तित्व में आया था । ट्रस्टियों को भंग करने और प्रशासकों की नियुक्ति से पहले आभूषण दान करने वाले भक्तों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, तथा यह भी कि मंदिर के पास कितनी भूमि है? इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं है । इसलिए जिन ट्रस्टियों ने भ्रष्टाचार किया है उनकी जांच होनी चाहिए । साथ ही उनकी निजी संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए ।
श्री राम🙏
🚩On behalf of the devotees of Saint #Balumama, the 'Balumama Devasthan Sanrakshak Morcha' was organised in #KolhapurInvestigate through 'CID' immediately in corruption cases & cansel d possible Govt possession of Sant Balumama Devasthan!-United demand of devotees pic.twitter.com/wlQXMg8Ial
— Sunil Ghanwat🛕🛕 (@SG_HJS) February 27, 2024