अल्पसंख्यक आयोग भी हुआ सक्रिय
राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को पूर्व का हिन्दू मंदिर बताते हुए इसका ASI से सर्वे कराने की मांग पर विवाद खड़ा हो गया है। दरगाह से जुड़े 2 सदस्यों ने इस मामले में 2 अलग-अलग FIR दर्ज करवाई है। राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने भी मंगलवार (27 फरवरी 2024) को ऐसी मांगों को 2 समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाला बताते हुए पुलिस से कार्रवाई की रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर तलब की है। आयोग ने कार्रवाई के लिए प्रदेश के DGP से भी मुलाकात की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजमेर दरगाह के दीवान के बेटे नसरुद्दीन चिश्ती ने इस मामले में दरगाह थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है। मुकदमा में उन्होंने हिन्दू शक्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिमरन गुप्ता को आरोपित किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि, सिमरन गुप्ता ने पंकज सहित अपने अन्य साथियों के साथ एक वीडियो बनाकर अजमेर दरगाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। उन्होंने इसे मज़हबी भावनाओं को आहत करने वाला बताते हुए कार्रवाई की मांग की है।
इसके अलावा, अजमेर दरगाह का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य अल्पसंख्यक आयोग से भी मिला। मुलाकात में प्रतिनिधिमंडल ने हिन्दू शक्ति दल के सदस्यों के बयानों को आपत्तिजनक बताते हुए कार्रवाई की मांग की। इस मुलाकात के बाद राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने अजमेर के जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भेजकर सिमरन गुप्ता और उनके साथियों पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। जवाब देने के लिए डीएम अजमेर को 7 दिनों का समय दिया गया है।
ज्ञापन में एक सप्ताह पहले अजमेर दरगाह के एक खादिम शकील अब्बासी द्वारा सिमरन गुप्ता और उनके साथियों पर क्लॉक टॉवर थाने में दर्ज FIR का भी जिक्र किया गया है। उसमें की गई कार्रवाई की जानकारी माँगी गई है। इसके बाद राज्य अल्पसंख्यक आयोग का एक प्रतिनिधि मंडल मंगलवार (27 फरवरी 2024) को राजस्थान के DGP यूआर साहू से मिला। मुलाकात के बाद प्रतिनिधमंडल को आश्वासन मिला कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ निष्पक्षता से कार्रवाई की जाएगी।
ये है हिन्दू शक्ति दल की मांग
बताते चलें कि 23 फरवरी 2024 को हिन्दू शक्ति दल के सिमरन गुप्ता ने अपने साथी पंकज के साथ एक वीडियो जारी किया था। इस वीडियो में उन्होंने अजमेर दरगाह में मौजूद जन्नती दरवाजे को पूर्व में हिन्दुओं का शिव मंदिर बताया था। इसी के साथ दरगाह के पास जो ढाई दिन का झोपड़ा है, उसे सिमरन ने पहले सरस्वती माता का मंदिर बताया। वीडियो में सिमरन ने तारागढ़ के किले को प्राचीन हिंदू राजाओं की धरोहर बताते हुए इसे जिहादियों द्वारा कब्जा की गई जगह बताया था। उन्होंने अजमेर के ADM सिटी को एक ज्ञापन देते हुए इन सभी स्थानों की ASI जाँच की माँग की थी।
🚨 ‘अजमेर दरगाह नहीं मंदिर है, चिश्ती ने हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया..’
सड़क पर खड़े #Hindu लोगों की बात सुनिए #Video pic.twitter.com/2lKwKGJyW0— Kreately.in (@KreatelyMedia) February 23, 2024
पहले भी उठी है ASI सर्वे की मांग
बताते चलें कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह के ASI सर्वे की माँग पहली बार नहीं उठी है। इस से पहले भी जनवरी 2024 में महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने दरगाह को पूर्व का हिन्दू मंदिर बताते हुए ASI सर्वे की माँग उठाई थी। तब राजवर्धन सिंह ने कहा था कि वो पहले इस मामले को अशोक गहलोत की नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार के संज्ञान में ला चुके हैं।
स्रोत: ऑप इंडिया