मुंबई से सटे भायंदर इलाके में अल्पसंख्यक लोगों द्वारा अवैध कब्जे की कई खबरें आती रहती हैं। लेकिन, प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है, इसके बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है। हाल ही में उत्तन डोंगरी क्षेत्र में सरकारी जमीन पर लैंड जिहाद के मामले में हिंदू टास्क फोर्स के संस्थापक एडवोकेट खुश खंडेलवाल द्वारा हस्तक्षेप करने पर अपर तहसीलदार भायंदर पश्चिम ने बड़ा निर्णय लिया है।
Additional Tahsildar's decision after the intervention of @AdvKhushHTF
Application for the registration of encroached Dargah on Government land rejected.
👉 Note worthy efforts by advocate Khush Khandelwal in opposing the much conspired land j!h@d, and thereby securing the… pic.twitter.com/LpYubi9KjF
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 17, 2024
बता दें कि 2 फरवरी 2024 को अपर तहसीलदार मीरा भायंदर ने उत्तन डोंगरी के सरकारी जमीन मौजे -चौक, सर्वे न. 2 क्षेत्र-10 हजार वर्ग फीट व मौजे- तारोड़ी, सर्वे न. 37, क्षेत्र – 57 हेक्टर आर. पर कब्जा कर मैंग्रोज के पेड़ को नष्ट कर निर्मित बालेशाह पीर दरगाह ट्रस्ट का नाम 7/12 पर चढ़ाने से इनकार करते हुए अर्जी खारिज कर दिया है।
Some illegal activitie is going on cutting mangroves and trees and building up Masjid at Hazrat Sayyed Baleshah Peer Dargah, Tarodi Rd, Uttan Rd, Dongri, Dharavi Mandir, Mira Bhayandar.@MumbaiPolice
@NMMCofficial @Navimumpolice @sunnyagro @NaviMumbaiWetl1 pic.twitter.com/UotSgmhetH— PP 🇮🇳 (@PranayPatelPP) September 28, 2019
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत मामला दर्ज
अपर तहसीलदार कार्यालय ने यह निर्णय बलेशाह पीर दरगाह ट्रस्ट सचिव अब्दुल कादिर कुरेशी द्वारा 10 अक्टूबर 2022 को 7/12 में नाम दर्ज कराने के लिए भेजे गए आवेदन पर लिया है। अपर तहसीलदार ने दरगाह ट्रस्ट के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दरगाह ट्रस्टियों ने वर्ष 2020 में मैंग्रोव को नष्ट कर दिया और आर.सी.सी का बांधकाम किया है, जिसके संबंध में उनके खिलाफ उत्तान सांगरी पुलिस स्टेशन में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत मामला दर्ज किया गया है। धारा 15 (1) एवं 19 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है और ट्रस्ट द्वारा इस भूमि के स्वामित्व से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है।
मिल जुलकर तैयार की गई झूठी रिपोर्ट
इस पूरे मामले में एडवोकेट खुश खंडेलवाल का आरोप है कि, इस मामले में पहले मंडल अधिकारी भायंदर दीपक आहिरे और तलाठी रमेश फपाले ने मिल जुलकर दरगाह ट्रस्टियों के साथ मिलकर जानबूझकर दरगाह को नियमों के अनुरूप लाने के लिए 23 अक्टूबर 2023 की झूठी रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इस दरगाह के 10,000 वर्ग फीट से अधिक पूरे अतिक्रमण को सन 1995 के पूर्व का बताकर इसे पुराना बताया था।
स्रोत : हिन्दुस्थान पोस्ट