ज्येष्ठ कृष्ण १४ , कलियुग वर्ष ५११५
प्रा. परुळेकर आगे बोले –
१. वर्तमानमें राज्य सरकार छत्रपति शिवाजी महाराजको धर्मनिरपेक्ष बनानेका षड्यंत्र रच रही है । इस विषयमें प्रबोधन करना चाहिए ।
२. धर्म एवं राष्ट्रको अलग नहीं किया जा सकता । ये दोनों एक ही सिक्केके दो पहलू हैं । भारतको धर्मनिरपेक्ष शब्दकी आवश्यकता नहीं है ।
३. धर्मके कारण मानव सद्विचारी बन सकता है । प्रत्येक व्यक्तिमें मातृभाव तथा नम्रता निर्माण करनेकी क्षमता हिंदू धर्ममें है ।
४. भारतभूमि वीरोंको जन्म देनेवाली भूमि है । हिंदू कभी स्वयं आक्रमण नहीं करते; परंतु आक्रमणका प्रत्युत्तर देनेकी सीख हिंदू धर्म देता है ।
५. देशभरके १० सहस्र युवक ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेजसे संपूर्ण सक्षम बन जाएं, तो भी देश संपूर्ण सुरक्षित हो जाएगा ।