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संदेशखाली की ८० महिलाएं न्यायालय को सुनाना चाहती हैं आपबीती, उच्च न्यायालय ने अनुमति दी

आवेदन या हलफनामे के जरिए दर्ज होंगे बयान

कोलकाता हाईकोर्ट ने गुरुवार (७ मार्च २०२४) को संदेशखाली महिलाओं को कोर्ट के आगे उनकी शिकायत दर्ज कराने की अनुमति दे दी। कोर्ट में याचिकाकर्ता प्रियंका टिबरेवाला ने बताया था कि संदेशखाली की ८० ऐसी महिलाएँ हैं जो अपना अनुभव साझा करना चाहती हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने उनकी बात पर गौर करते हुए कहा कि ये शिकायतें आवेदन या हलफनामे के जरिए दाखिल की जा सकती हैं।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना कि सभी ८० शिकायतकर्ता महिलाओं को अदालत में लाना थोड़ा मुश्किल होगा इसलिए टिबरेवाला इसे एक आवेदन या पूरक हलफनामा के जरिए दायर करवा सकती हैं और उनकी पीड़िता अदालत के रिकॉर्ड में आ सकती है।

कोर्ट ने इस निर्देश के साथ ये भी कहा कि पीड़िताओं के बयान दर्ज होने से पहले उचित तरीके से सत्यापित किए जाने चाहिए और महिलाओं की पहचान भी साफ होनी चाहिए। पीठ ने ये भी कहा कि स्थानीय महिलाएँ अगर अपनी भाषा में बयान देंगे तो उसकी अनुवादित कॉपी भी उनके समक्ष रखी जाए। इसके अलावा कोर्ट ने इन महिलाओं को सुरक्षा देने की अनुमति भी प्रदान की है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले बंगाल पुलिस को कोलकाता हाई कोर्ट ने पक्षपाती कहकर उनकी आलोचना की थी। बंगाल पुलिस ने कहा था कि टीएमसी नेता शाहजहाँ को संरक्षित करने का काम पुलिस ने किया वो भी तब जब वो ईडी पर हमला करके भाग गया था। इसके बाद उन्होंने पूरे मामले की जाँच बंगाल पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी थी।

बता दें कि एक माह पहले शुरू हुआ संदेशखाली का विवाद अब तक थमा नहीं हैं। शेख शाहजहाँ गिरफ्तार हो चुका है। सीबीआई उसकी कस्टडी ले चुकी है और अब अपनी जाँच कर रही है। मगर, विपक्षी पार्टी के लोगों को अब भी स्थानीय महिलाओं से मिलने से रोका जा रहा है। ७ मार्च को संदेशखाली जाते समय बंगाल पुलिस ने भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी और विधायक अग्निमित्रा पॉल को हिरासत में ले लिया था। इस दौरान भाजपा की महिला नेताओं और पुलिस में थोड़ी बहस भी हुई थी, जिसकी वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर भी आई।

स्त्रोत : ऑप इंडिया

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