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ज्ञानवापी की तरह भोजशाला का भी होगा एएसआइ सर्वे, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का बडा आदेश

इंदौर : ज्ञानवापी की तरह धार स्थित भोजशाला का भी एएसआई सर्वे होगा। इसे लेकर एमपी उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने बड़ा आदेश दिया है। इस मामले में सुनवाई के बाद इंदौर पीठ की डबल बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को इसे लेकर फैसला आ गया है। अब न्यायालय ने हिंदू पक्ष की याचिका को मंजूर कर लिया है। साथ ही भोजशाला और मौलाना मस्जिद की वैज्ञानिक तरीके से सर्वे और खुदाई कराने के आदेश दिए हैं।

वहीं, न्यायालय ने एएसआई को इस पूरे मामले में छह सप्ताह के अंदर उच्च न्यायालय में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। यह सर्वे आधुनिक तरीके से किया जाएगा। सर्वे के दौरान भोजशाला परिसर में दोनों पक्ष के लोग रहेंगे। सर्वे के बाद भोजशाला की पूरी सच्चाई सामने आएगी।

2022 में लगाई गई थी याचिका

भोजशाला को लेकर हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने एक मई 2022 को इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि हर मंगलवार को हिंदू यज्ञ कर भोजशाला को पवित्र करते हैं और मुस्लिम शुक्रवार को नमाज पढ़कर अपवित्र कर देते हैं। इस पर रोक लगाया जाए। भोजशाला को पूरी तरह से हिंदुओं को सौंप दिया जाएगा। साथ ही पूरी जांच करवाने की बात कही गई थी। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद इन बिंदुओं पर सर्वे की मांग स्वीकार कर ली है।

इतिहास

वहीं, भोजशाला पर दोनों पक्ष के लोग दावा करते हैं। धार जिला प्रशासन की वेबसाइट पर लिखा है कि राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। उन्होंने धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा, जहां दूर और पास के छात्र ज्ञान के लिए आते थे। इस भोजशाला या सरस्वती मंदिर, जिसे बाद में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था, इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं। मस्जिद में एक बड़ा खुला प्रांगण है, जिसके चारों ओर स्तंभों से सज्जित एक बरामदा और पीछे पश्चिम में एक प्रार्थना गृह स्थित है। मस्जिद में नक्काशीदार स्तंभ और प्रार्थना कक्ष की उत्कृष्ट रूप से नक्काशीदार छत भोजशाला के थे।

स्रोत : नवभारत टाइम्स

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