ज्येष्ठ कृष्ण १४, कलियुग वर्ष ५११५
रामनाथी, गोवा : हिंदू धर्म एवं हिंदू धर्मियोंपर आज जितने संकट आए हैं, उसके लिए हिंदू स्वयं ही उत्तरदायी हैं । हिंदुओंने ऐसे राज्यकर्ताओंको चुना, जिन्होंने श्रीलंका, पाक, बांग्लादेश इत्यादि देशोंकी निर्मिति की । अब यही देश हिंदुओंको प्रताडित कर रहे हैं । कर्मसिद्धांतानुसार हिंदुओंको उनके कर्मोंका फल भोगना पड रहा है । इसके अनुसार अब धर्माधारित राज्यकर्ता निर्वाचित करनेका अर्थात रामराज्य लानेका दायित्व भी हिंदुओंका ही है । ऐसा बहुमूल्य मार्गदर्शन मलेशिया एवं श्रीलंकाके धर्मगुरु स्वामी कुमारानंदजीने किया ।
हिंदू जनजागृति समिति आयोजित द्वितीय अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनका द्वितीय पुष्प ७ जूनको संतोंकी वंदनीय उपस्थितिमें पिरोया गया । उस समय मलेशियाके हिंदुओंकी दुरावस्था तथा उपाय, इस विषयपर स्वामी कुमारानंदजीने उपस्थित लोगोंको संबोधित करते हुए कहा,
१. भारतमाताकी स्थिति वस्त्रहरण की हुई द्रौपदीके समान हो गई है । यूरोपीय देश तथा शत्रु राष्ट्र भारतकी सर्व धनसंपत्ति लूटकर ले गए हैं तथा हिंदू अभी भी भीष्माचार्य एवं द्रोणाचार्यकी भूमिका निभा रहे हैं । भगवान श्रीकृष्णद्वारा गीतामें बताए गए धर्मतत्वानुसार ऐसे मूकसंमत हिंदुओंको उसका फल भोगना पडेगा ।
२. हिंदुओ, आपकेद्वारा चुने गए राज्यकर्ताओंको बॉलिवुड, क्रिकेट, विदेशी निवेशमें ही रुचि है । हिंदू धर्मका विचार करनेके लिए उनके पास समय नहीं है । इसलिए आपकी दुरावस्थाके लिए आप ही उत्तरदायी हैं ।
३. हिंदू धर्म अर्थात आत्मा है और आत्मा अमर होती है । इसलिए कितने भी संकट आएं; परंतु हिंदू धर्म कभी नष्ट नहीं होगा ।
भारतमें हिंदू धर्मीय बहुसंख्यक होकर भी दीनहीन क्यों बने हुए हैं ?
स्वामी कुमारानंदजीने कहा, मलेशियामें धर्मांध, ईसाई एवं बौद्धोंकी जनसंख्या क्रमशः ७०, १५ एवं १० प्रतिशत है । शेष जनसंख्यामें हिंदू लगभग ३ प्रतिशत हैं । ऐसा होते हुए भी सर्व धर्मांध राष्ट्रोंकी तुलनामें इस देशमें हिंदुओंके मंदिर सर्वाधिक हैं । कई बार धर्मांधोंने ये मंदिर तोडनेका प्रयास किया; परंतु उनके लिए यह संभव नहीं हुआ; क्योंकि इसके पीछे ईश्वरनिर्मित दिव्यशक्ति है । मलेशियामें हिंदू सर्वाधिक अल्पसंख्यक होते हुए भी वे संघर्ष करते हैं; इसलिए सुरक्षित जीवनयापन करते हैं । भारतमें तो हिंदू बहुसंख्यक हैं, फिर वे इतने दीनहीन क्यों बने हुए हैं ?
हिंदुओ, आपका जीवन यज्ञ बन गया है !
स्वामी कुमारानंदजीने कहा, हिंदुओ, वर्तमान अराजक परिस्थितिको देखते हुए आपका जिस दिन जन्म हुआ उसी दिन आपकी मृत्यु हो गई थी । अब आप यह समझें कि, आपका जीवन यज्ञ बन गया है । धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष इन चार पुरुषार्थोंमें से कौनसा पुरुषार्थ चुनना है यह निश्चित करें । आप अपना जीवन त्यागस्वरूप व्यतीत कर उसका सार्थक करें ! अमरिकाके ईसाइयोंको, पाकके धर्मांधोंको, कांग्रेस, भाजपामें से आपका जीवन किसे समर्पित करना है यह आप ही निश्चित करें ।