पूरे महाराष्ट्र के 528 से अधिक मंदिरों में वस्त्रसंहिता के साथ मंदिरों की पवित्रता को संरक्षित किया जाएगा ! – श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ
पुणे : मंदिरों की पवित्रता बनाए रखने और हमारी महान भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिए पुणे जिले में ज्योतिर्लिंग श्रीक्षेत्र भीमाशंकर सहित 71 मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके चलते महाराष्ट्र राज्य के करीब 528 मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू कर दिया गया है । श्री. सुनील घनवट ने एक संवाददादा संमेलन में यह जानकारी दी । वह पुणे के ‘श्रमिक पत्रकार भवन’ में आयोजित एक संवाददाता संमेलन में बोल रहे थे।
हिन्दू जनजागृति समिति के पुणे जिला समन्वयक श्री. पराग गोखले, ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के पुणे जिला निमंत्रक ह.भ.प. चोरघे महाराज, ग्रामदेवता श्री कसबा गणपति मंदिर न्यासी श्रीमती संगिताताई ठकार, कऱ्हे पठार खंडोबा मंदिर के न्यासी अधिवक्ता मंगेश जेजुरीकर, श्री चतुःश्रृंगी देवस्थान के श्री. नंदकुमार अनगळ, हडपसर के श्री तुकाई देवस्थान के सचिव श्री. सागर तुपे आदी गणमान्य उपस्थित थे।
श्री. सुनील घनवट ने आगे कहा कि, पुणे की तरह नागपुर, अमरावती, जलगांव, अहिल्यानगर, मुंबई, ठाणे, सतारा, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सोलापुर, कोल्हापुर जैसे कई जिलों के मंदिरों में यह वस्रसंहिता पहले ही लागू हो चुकी है। मंदिर महासंघ के इन प्रयासों का स्वागत किया जा रहा है और मंदिर न्यासी द्वारा न केवल महाराष्ट्र, बल्कि कर्नाटक, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश भर के कई राज्यों और विदेशों के मंदिरों में भी वस्रसंहिता लागू करने के सराहनीय निर्णय लिए जा रहे हैं।
साल 2020 में निधर्मी राज्य सरकार ने राज्य के सभी सरकारी कार्यालयो में वस्रसंहिता भी लागू कर दिया है । देशभर में कई मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्च, मस्जिदों और अन्य पूजास्थलों, निजी प्रतिष्ठानों, स्कूल-कॉलेजों, न्यायालय, पुलिस ठाना आदि में वस्रसंहिता का पालन किया जाता है। इसी प्रकार हिंदू मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार और संस्कृति को बनाए रखने के लिए ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की बैठक में पुणे जिले के 71 मंदिरों के न्यासीओं ने उन मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुसार वस्रसंहिता लागू करने का निर्णय लिया है, एैसा श्री. घनवट ने कहा ।
श्री. घनवट ने आगे कहा, ”5 फरवरी 2023 को ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्थापना के बाद राज्य भर में मंदिर महासंघ का काम गती से बढ़ रहा है । श्री क्षेत्र तुलजाभवानी मंदिर ने वस्रसंहिता लागू करने का विरोध किया; लेकिन उसके बाद महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य के 528 मंदिरों में वस्रसंहिता लागू किया गया। जब मंदिरों में वस्रसंहिता लागू किया जाता है, तो कुछ आधुनिकतावादी इस बात पर चिल्लाते हैं कि यह कितना गलत है। समाज में भारतीय संस्कृति के बारे में ग़लत विचार प्रचारित करना प्रारंभ करते है । मात्र मंदिरो में भगवान के दर्शन के लिए कमी वस्त्रों में अथवा परंपराहीन पोशाक पहनकर जाना ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ नहीं हो सकती। प्रत्येक व्यक्ति को ‘घर पर और सार्वजनिक स्थान पर क्या पहनना है’ की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्थान है । वहा धर्मानुसार आचरण होना चाहिए । वहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं, बल्कि धर्माचरण को महत्वपूर्ण है । मंदिर के न्यासीओं ने इस पर अच्छे से विचार किया और यह निर्णय लिया । अब मंदिर की पवित्रता बरकरार रहेगी और संस्कृति के संरक्षण में मदद मिलेगी।
कई प्रसिद्ध मंदिर जैसे कि उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, छत्रपति संभाजीनगर का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश का श्री तिरूपति बालाजी मंदिर, केरल का प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर आदि में कई वर्षों से सात्विक वस्त्रसंहिता लागू है । इतना ही नहीं, यह वस्त्रसंहिता अन्य धर्मों के पूजा स्थलों पर भी लागू होता है।
महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के जींस पैंट, टी-शर्ट, चमकीले रंग या कढ़ाई वाले कपड़े पहनने और पैरों में स्लीपर पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मद्रास हाई कोर्ट ने भी माना कि ‘मंदिरों में प्रवेश के लिए सात्विक पोशाक पहननी चाहिए’ और 1 जनवरी 2016 से राज्य में ड्रेस कोड लागू कर दिया ।