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विश्व की समस्याएं कट्टर धर्मांधों के कारण निर्माण हो रही हैं, श्रद्धा के कारण नहीं – दाजी, ‘हार्टफुलनेस’

भाग्यनगर (तेलंगाना) यहां ‘ग्लोबल स्पिरिच्युआलिटी महोत्सव’ का उत्साहपूर्ण वातावरण में उद्घाटन !

भाग्यनगर (तेलंगाना) – ‘हार्टफुलनेस’ नामक आध्यात्मिक संस्था के मार्गदर्शक दाजी (कमलेशजी पटेल) ने उद्‌बोधन करते हुए कहा, ‘विश्व देख रहा है कि संकुचित श्रद्धा एवं पंथ लोगों में फूट डाल रहे हैं । वास्तव में हम मूल श्रद्धा को दोष नहीं दे सकते । समस्याएं कट्टर धर्मांधों के कारण निर्माण होती हैं, श्रद्धा के कारण नहीं । हमें एक दूसरे से पुनः जुड जाने की आवश्यकता है । जब हम एकदूसरे से जुड जाएंगे, तभी हम भगवान से पुनः जुड सकते हैं ।’ वे केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय एवं ‘हार्टफुलनेस’ के संयुक्त संयोजन से भाग्यनगर के निकट चेगुर के ‘कान्हा शांति वनम्’ में वैश्विक अध्यात्म महोत्सव के (‘ग्लोबल स्पिरिच्युएलिटी महोत्सव’ के) उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे । इस समय व्यासपीठ पर सांस्कृतिक मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं आर्थिक परामर्शदाता रंजना चोप्रा, ‘इस्कॉन’ के गौड गोपाल दास, ‘रामकृष्ण मिशन’ के स्वामी आत्मप्रियानंदजी, ‘ब्रह्मकुमारी’ संप्रदाय की उषा बहन एवं प.पू. चिन्ना जियार स्वामीजी उपस्थित थे । कार्यक्रम में ३०० से अधिक आध्यात्मिक संगठनों के संत एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

दाजी ने आगे कहा, ‘हमें हमारे अंत:करण में उत्तर ढूंढने की आवश्यकता है । गीता में मन के विषय में १०० से अधिक संदर्भ हैं । प्रत्येक पंथ दो हथियारों का प्रयोग करता है । – नरक का भय एवं स्वर्ग का मोह ! सच्चा आध्यात्मिक साधक इसका बलि नहीं चढता । साधक कहता है कि उसे जानकारी नहीं है कि भगवान है भी अथवा नहीं । उसे अपने अंत:करण में भगवान के अस्तित्व की अनुभूति लेनी होती है ।’

आतंकवाद नष्ट हुए बिना समाज आंतरिक शांति की ओर नहीं मुड सकता ! – प.पू. चिन्नाजीयर स्वामीजी

प.पू. चिन्नाजीयर स्वामीजी

आज पूरे विश्व के लोग आतंकवाद के भय तले जीवनयापन कर रहे हैं । यदि आतंकवाद का पौधा होता, तो हम आंतरिक शांति की ओर ध्यान दे सकते थे; परंतु आज आतंकवाद सर्वत्र बडी मात्रा में फैल गया है । ऐसे समय राजसत्ता एवं प्रशासन को आतंकवाद समूल नष्ट करने के लिए कठोर उपाय करने चाहिए । वह होगा, तभी हम आंतरिक शांति की ओर मुड सकेंगे । अन्यथा दबाव एवं आतंकवाद के रहते हुए हम आंतरिक साधना की ओर किस प्रकार ध्यान दे सकते हैं ? समाज की सुरक्षा करना आवश्यक है । भारतभूमि श्रेष्ठ संस्कृति एवं सभ्यता की भूमि थी ।

उसने विश्व की सभी उपासना पद्धतियों का स्वीकार किया । ‘हमें हमारी उपासना पर श्रद्धा रखनी चाहिए एवं विश्व के अन्य व्यवस्थाओं की ओर आदर से देखना चाहिए’, इस पर भारतीयों का विश्‍वास है । सौभाग्य से आज भारत में वैसी सरकार कार्यरत है । आज सरकार समाज को सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान कर रही है । जीवन की सुरक्षा निर्माण होनी चाहिए, अन्यथा समाज प्रलोभनों की बलि चढता है । वर्तमान सरकार के कारण हम आंतरिक साधना की ओर ध्यान दे सकते हैं । अध्यात्म के बहुत पहलू हैं । हमें प्रत्येक विचारधारा का आदर करना चाहिए । हमारा अंतिम ध्येय आंतरिक शांति से वैश्विक शांति तक पहुंचना, ऐसा होना चाहिए ।’

जो बातें हम परिवर्तित नहीं कर सकते, उन पर ऊर्जा व्यय करना हित में नहीं ! – गौर गोपाल दास

उषा बहन, ब्रह्मकुमारी

हमारे सामने रही चुनौतियां, समस्या आदि के कारण हमारी आंतरिक शांति को ठेस पहुंचती है । शांति शब्द से हम समझते है कि समस्याओं का समाधान अर्थात शांति । मूल में समस्याएं कभी भी समाप्त नहीं होती । इस कारण आपको ही अपनी शांति ढूंढनी पडेगी । यदि मैं ही शांत नहीं हूं, तो विश्व कैसे शांत होगा ? जो बातें हम परिवर्तित नहीं कर सकते, उन पर ऊर्जा व्यय करना हित में नहीं । यदि तुम श्रद्धालु हो, तो भगवान की ओर देखें, यदि अंधश्रद्ध हैं, तो ब्रह्मांड से स्वयं को जोडें । किसी न किसी से स्वयं को जोडना महत्त्वपूर्ण है !

मानव को आध्यात्मिक प्रतिकारशक्ति निर्माण करना आवश्यक ! – उषा बहन, ब्रह्मकुमारी

उषा बहन, ब्रह्मकुमारी

‘हम जिस स्थान पर है, उसी स्थान पर समस्याओं से घीरे जीवन में ही शांति का अनुभव लेना है । इसके लिए हमें स्वयं में आध्यात्मिक प्रगल्भता निर्माण करना आवश्यक है । उसी के कारण हम आंतरिक शांति का अनुभव कर सकेंगे । आध्यात्मिक प्रतिकारशक्ति निर्माण होने से, हमें मानसिक अथवा भावनिक स्तर पर कोई भी समस्या कष्ट नहीं दे सकती । भगवद्गीता में कहा ही है, ‘जो कुछ घटित हो गया, वह मेरे अच्छे के लिए ही था एवं जो होनेवाला है, वह भी अच्छा ही होगा ! हमें जीवन की ओर इस दृष्टिकोण से देखना सीखना चाहिए ।’

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