बांग्लादेशी माइनॉरिटी वॉच संगठनके श्री. रविंद्र घोषने अधिवेशनमें बांग्लादेशी हिंदुओंकी दयनीय स्थितिपर प्रकाश डालते हुए कहा, विभाजनके समय बांग्लादेशमें २८ प्रतिशत हिंदू थे; जिनकी संख्या अब केवल ८ प्रतिशत रह गई है । उन हिंदुओंपर भी धर्मांधोंद्वारा अमानवीय अत्याचार किए जा रहे हैं । इस प्रकार बांग्लादेशसे हिंदू नामशेष होनेके मार्गपर हैं ।
१. बांग्लादेशके हिंदुओंपर ३ सहस्र ४३६ आक्रमण हुए हैं । जिसमें हिंदुओंकी मां-बहनोंपर बलात्कार, पुरुषोंकी हत्या, उनके घर जलना इत्यादि आजतक हो रहा है ।
२. पिछले वर्ष बांग्लादेशमें ३६ बुद्धगया तथा मंदिर तोडे गए और हिंदू देवी-देवताओंकी मूर्तियां उद्ध्वस्त की गईं ।
३. गत वर्ष धर्मांधोंने दंगे भडकाकर ५३ हिंदू परिवार उद्ध्वस्त किए । मां-बहनोंपर अत्याचार कर, पुरुषोंकी हत्या की । इस प्रकरणमें वहांके मानवाधिकार आयोगके समक्ष विषय प्रस्तुत करनेके उपरांत भी आयोग मौन रहा ।
४. एक हिंदू युवतीपर ४ धर्मांधोंने बलात्कार किया । तदुपरांत युवती गर्भवती हो गई । अब उस युवतीने बच्चेको जन्म दिया है । उस बच्चेका दायित्व कोई नहीं स्वीकार रहा है । उस असहाय युवतीने हमारे यहां आश्रय लिया है । इस प्रकरणमें वहांके समाचारपत्रोंने प्रसिद्धि दी थी; परंतु सरकारद्वारा कोई कारवाई नहीं हुई ।
५. आतंकवादियोंने एक महिलाका बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन किया है । उसका अन्वेषण अब भी चल रहा है ।
६. एक धर्मांध पुलिस अधिकारीने एक हिंदू युवतीका बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन कर, उससे विवाह किया । अब उसपर अनन्वित अत्याचार हो रहे हैं । इस प्रकरणमें भी वहांके पुलिस महासंचालकतक परिवाद प्रस्तुत करनेके उपरांत भी किसीने कुछ नहीं किया ।
७. एक पाठशाला जानेवाला विद्यार्थी हिंदू होनेके कारण उसका अपहरण कर लिया; तदुपरांत उसकी हत्या कर दी गई ।
८. बांग्लादेशके हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंके विषयमें संयुक्त राष्ट्र संघ एवं भारत सरकारको बारंबार जानकारी देनेके उपरांत भी कोई कुछ नहीं करता ।