प्रख्यात पुरातत्वविद् के.के. मुहम्मद ने कहा-‘काशी भगवान शिव से जुड़ा है जबकि मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है। हिन्दू इसे कहीं और नहीं स्थानांतरित नहीं कर सकता है। जबकि मुसलमानों के लिए यह एक केवल मस्जिदें है।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में प्रख्यात पुरातत्वविद् के.के. मुहम्मद ने दावा किया है कि सूबे के धार जिले में विवादास्पद भोजशाला/कमल मौला मस्जिद परिसर एक सरस्वती मंदिर था। इसे बाद में मुसलमानों के इबादत स्थल में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि विवादित परिसर एक सरस्वती मंदिर था। प्रख्यात पुरातत्वविद् ने दोनों पक्षों को सलाह दी कि वे ऐसा कुछ भी न करें जिससे दोनों समुदायों के लोगों को परेशानी हो।
के.के. मुहम्मद ने कहा कि इस मामले में देश के हिंदुओं-और मुसलमानों को कोर्ट के फैसले का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा मसलों में हिंदुओं और मुसलमानों को अदालत के फैसले का पालन करना चाहिए। क्योंकि यही एकमात्र समाधान होगा इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को आपसी बातचीत के माध्यम से भी ऐसी समस्या का समाधान करना चाहिए।
"मध्य प्रदेश का भोजशाला पहले सरस्वती मंदिर था,
बाद में इसे इस्लामिक मस्जिद में बदला गया"पूर्व ASI अधिकारी के.के. मुहम्मद 🔥
फिर भी कुछ बेशर्म लोग रोना बंद नहीं करेंगे ll pic.twitter.com/CFiXSm5nuC
— Dr. Sudhanshu Trivedi Satire (@Sudanshutrivedi) March 25, 2024
‘अधिनियम १९९१ का सम्मान करें दोनों’
इसके साथ ही केके मुहम्मद ने ये भी कहा कि हिन्दुओं और मुसलमानों को पूजा स्थल अधिनियम १९९१ का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मथुरा और काशी को लेकर मुसलमानों को हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। प्रख्यात पुरातत्वविद् ने कहा कि मथुरा और काशी हिंदुओं के लिए उतना ही महत्व रखता है जितना मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना रखता है।
हिन्दुओं के लिए है काशी-मथुरा का महत्व
काशी भगवान शिव से जुड़ा है जबकि मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है। हिन्दू इसे कहीं और नहीं स्थानांतरित नहीं कर सकता है। जबकि मुसलमानों के लिए यह एक केवल मस्जिदें है। उन्होंने कहा कि इसका ना कोई पैगंबर मोहम्मद से और न ही औलिया से कोई लेना-देना है। इसे कहीं भी स्थानातरित किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दोनों समुदायों को एक साथ बैठकर इन मामलों का समाधान निकालना चाहिए।
जारी है सर्वेक्षण
केके मुहम्मद का ये बयान उस समय आया है जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) एमपी के आदिवासी बहुल जिले में विवादित भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण कर रहा है। इस परिसर के बारे में हिन्दू पक्ष का मानना है कि यह वाग्देवी यानि मां सरस्वती का मंदिर है जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमल मौला मस्जिद कहता है। इसके बाद उच्च न्यालय ने ११ मार्च को दिए एक आदेश में कहा है कि एएसआई भोजशाला परिसर का छह सप्ताह के भीतर वैज्ञानिक सर्वेक्षण करे। रविवार को सर्वेक्षण का तीसरा दिन था।
स्त्रोत : टी व्ही ९ भारतवर्ष