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शिरसोली (जलगांव) शिव जयंती शोभा यात्रा पर धर्मांध कट्टरपंथियों ने किया पथराव !

जो पुलिस कट्टरपंथियों से अपनी रक्षा भी नहीं कर सकती, वह हिन्दूओं की रक्षा कैसे करेगी ? इसके लिए हिन्दूओं को स्वयं शोभा यात्राओं की सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी ! – संपादक

  • ३६ कट्टरपंथी बंदी बनाए गए

  • पुलिस ने कट्टरपंथियों के घरों से पत्थर तथा ईंटें हस्तगत कीं

  • पुलिस समेत ६ घायल

पथराव में घायल हुए हिन्दू

जलगांव – जिले के शिरसोली में शिव जयंती के अवसर पर निकली गई शोभायात्रा जब वराडे गली स्थित मस्जिद के सामने से निकल रही थी, तभी ३५ से ४० कट्टरपंथियों ने एकाएक शोभायात्रा पर पथराव कर दिया । इसमें वहां कार्यरत एक पुलिसकर्मी समेत ६ हिन्दू घायल हो गए । घटना २८ मार्च रात ८ बजे की है । पथराव में वाहनों की भी प्रचंड क्षति हुई । सडक पत्थरों तथा ईंटों से भरी पडी थी।

पथराव में घायल हुए होम गार्ड पंकज सापकर

होम गार्ड पंकज सापकर ने एम.आई.डी.सी. पुलिस थाने में कट्टरपंथियों के विरुद्ध आरोप प्रविष्ट कराए । इसके उपरांत पुलिस ने ३६ कट्टरपंथियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीकृत कर उन्हें बंदी बनाया । पुलिस २० से २५ संदिग्धों को पकडकर जलगांव ले गई । कुछ तथा अपराधियों को बंदी बनाने के प्रयास चल रहे हैं ।

१. इसी प्रकरण में धर्मांध कट्टरपंथी महमूद समसुद्दीन पिंजारी ने होम गार्ड पंकज के माथे पर पत्थर मारकर उसे घायल कर दिया तथा उसके साथ गाली-गलौज की । इसके उपरांत पुलिस अधिकारी किरण जोशी ने होम गार्ड पंकज समेत ४-५ लोगों को चिकित्सा हेतु जिले के राजकीय सुश्रुशा महाविद्यालय में भर्ती कराया ।

२. जलगांव एम.आई.डी.सी. थाने का दंगा नियंत्रण दल शिरसोली गांव में कैंप कर रहा है । पुलिस ने सूचित किया कि गांव में तनावपूर्ण शांति है तथा स्थिति नियंत्रण में है।

कट्टरपंथियों का पूर्व नियोजित षड्यंत्र !

पुलिस ने जब कट्टरपंथियों के घरों की जांच की तो उन्हें भारी मात्रा में संग्रहित पत्थर तथा ईंटें मिलीं । उन्होंने वराडे गली में मस्जिद के पास शिव जयंती के अवसर पर निकलने वाली शोभायात्रा आने पर पथराव करने की पूर्व योजना बनाई थी । शोभायात्रा के मस्जिद के पास पहुंचते ही पथराव किया गया ।

अल्पआयु के बालकों ने कुछ समय पूर्व छत्रपति के विरुद्ध घोषणाएं लिखी थीं !

कुछ दिन पूर्व इसी स्थान पर एक चार पहिया वाहन पर छत्रपति शिवराय के प्रति अपमानास्पद लिखा गया था; किन्तु वह लिखने वाले बच्चे अल्पआयु थे, इसलिए उनका प्रबोधन कर उन्हें मुक्त कर दिया गया ।

स्त्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

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