Menu Close

ब्रिटेन : विद्यालय में नमाज प्रतिबंध के खिलाफ प्रविष्ट मुस्लिम छात्रा की याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज

कहा – विद्यालय के नियम नहीं पसंद तो छोड दो जाना

भारत में मचा था बडा बवाल

ब्रिटेन में छात्रा की नमाज बैन के खिलाफ अपील खारिज

ब्रिटेन में एक विद्यालय की मुस्लिम छात्रा ने विद्यालय परिसर में नमाज बैन के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, जिस पर उसे झटका लगा है। हाई कोर्ट ने छात्रा की अपील की खारिज कर दिया और साफ कहा कि अगर विद्यालय में पढ़ना है तो विद्यालय के नियमों के हिसाब से ही चलना होगा। अगर विद्यालय का कोई भी नियम छात्रा या उसके माता-पिता को नहीं पसंद तो वो विद्यालय छोड़ने के लिए आजाद हैं।

ये मामला ब्रिटेन के सबसे सख्त विद्यालयों में से एक ब्रेंट में स्थिल मिशेला कम्यूनिटी विद्यालय से जुड़ा है। इस विद्यालय में धार्मिक शिक्षा पर सख्ती से रोक है। इस विद्यालय के कंपाउंड में किसी भी तरह के धार्मिक कार्य करने पर रोक है। इस विद्यालय में ७०० बच्चे पढ़ते हैं, जिसमें आधे से अधिक मुस्लिम हैं। इस विद्यालय में नमाज पर बैन लगाने के बावजूद मार्च २०२३ में ३० विद्यालयी बच्चों ने अपना स्वेटर बिछाया और उसपर नमाज पढ़ी। इसके बाद विद्यालय ने कड़ा कदम उठाया और सभी को चेतावनी दी। इसी के बाद विद्यालयी छात्रा ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

इस मामले में हाई कोर्ट की जस्टिस लिंडेन ने ८३ पेजों के फैसले में कहा कि इस विद्यालय में एडमिशन से पहले सभी बच्चों और उनके माता-पिता को बताया जाता है कि इस विद्यालय में धार्मिक क्रिया कलापों की कोई जगह नहीं है। इस विद्यालय को गैर आस्था विद्यालय के तौर पर बनाया गया है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद संस्थापक और मुख्य शिक्षक कैथरीन बीरबलसिंह ने कहा कि यह फैसला “सभी विद्यालयों की जीत” है।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान विद्यालय ने कहा, “विद्यालयों को एक बच्चे और उसकी माँ को अपना दृष्टिकोण बदलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने फैसला किया है कि उन्हें विद्यालय में कुछ पसंद नहीं है। अगर माता-पिता को मिशेला जैसी चीज़ पसंद नहीं है, तो उन्हें अपने बच्चों को हमारे पास भेजने की ज़रूरत नहीं है।”

भारत में हिजाब को लेकर हुआ था जबरदस्त बवाल

बता दें कि फरवरी २०२२ में कर्नाटक के उडुपी में एक सरकारी कॉलेज में क्लासरूम में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के बाद विवाद शुरू हुआ था। इस नियम को और भी कई संस्थानों ने लागू कर दिया और बाद में उस समय की बसवराज बोम्मई सरकार ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में शैक्षिक संस्थानों के अंदर हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया गया था। आदेश में कहा गया कि ऐसी ड्रेसिंग को अनुमति नहीं दी जाएगी, जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को खराब करे। आदेश को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके चलते कुछ दिनों के लिए शैक्षिक संस्थानों को बंद करना पड़ा।

फिर यह मामला हाईकोर्ट पहुँचा और १५ मार्च, २०२२ को फैसला आया। हाई कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने राज्य सरकार के इस आदेश को भी सही ठहराया कि विद्यालय-कॉलेज में यूनिफॉर्म का पूरी तरह से पालन होना चाहिए। ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचा था और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। हालाँकि २०२३ में विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की जीत हुई सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धारमैया ने विद्यालय-कॉलेज में हिजाब पहनने पर लगे बैन को हटा दिया।

स्त्रोत : ऑप इंडिया

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *