६७.८ प्रतिशत छात्रों ने कहा कि जर्मनी के कानूनों से ज्यादा कुरान ज्यादा इंपोर्टेंट है। इनमें से ४५.६ प्रतिशत छात्रों का मानना है कि इस्लामिक धर्मतंत्र सरकार का सबसे अच्छा रूप है।
जर्मनी में विद्यालयों के बच्चे इस्लाम अपना रहे हैं, इस बात का खुलासा एक सर्वे में हुआ है। एक स्टडी में कहा गया कि ये बच्चे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये खुद को बाहरी जैसा महसूस करते हैं ऐसे में ये लोग इस्लाम अपनाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
जर्मन टैब्लॉइड बिल्ड के मुताबिक, एक स्टेट सिक्योरिटी ऑफिसर ने कहा कि जर्मन बच्चों के माता-पिता बड़ी संख्या में काउंसलिंग सेंटर्स की ओर जा रहे हैं, वजह ये है कि ईसाई बच्चे अपना धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं, क्योंकि इन बच्चों को लगता है कि वो बाहरी हैं और धर्म परिवर्तन के बाद वो बाहरी नहीं लगेंगे।
६७.८ प्रतिशत छात्रों ने माना, कानून से ज्यादा कुरान महत्वपूर्ण
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के स्टेट लोअर सैक्सोनी के क्रिमिनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक स्टडी में पाया कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले ६७.८ प्रतिशत छात्रों ने कहा कि जर्मनी के कानूनों से ज्यादा कुरान ज्यादा इंपोर्टेंट है। इनमें से ४५.६ प्रतिशत छात्रों का मानना है कि इस्लामिक धर्मतंत्र सरकार का सबसे अच्छा रूप है। खास बात ये है कि बर्लिन और फ्रैंकफर्ट जैसे बड़े शहरों के कई विद्यालयों में मुस्लिम बच्चों की संख्या ८० प्रतिशत से ज्यादा है।
सीरिया, अफगानिस्तान और इराक के मुस्लिम छात्र विद्यालयों में पढ़ रहे
जर्मनी के विद्यालयों में पढ़ने वाले कई मुस्लिम छात्र सीरिया, अफगानिस्तान और इराक जैसे कट्टर इस्लामिक परिवारों से आते हैं। स्टेट सिक्योरिटी ऑफिसर ने कहा, “लड़कियां जब स्कूल में वेस्टर्न विहेव करती हैं तो मुस्लिम छात्रों को लगता है कि उन्हें उनके सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। ये लड़कियां सिर न ढकना या फिर लड़कों से मिलती हैं तो मुस्लिम छात्र इन्हें इस्लाम के बारे में बताते हैं और कट्टर मुस्लिम की तरह व्यवहार करने की चेतावनी देते हैं।”
स्त्रोत : ए बी पी न्युज