फोटो ओसामा बिन लादेन की, वीडियो ISIS कत्लेआम की…
दिल्ली हाई कोर्ट ने आतंकवाद से जुड़े UAPA के एक मामले में सोमवार (६ मई २०२४) को सुनवाई करते हुए मुस्लिम युवक अम्मार अब्दुल रहमान को जमानत दे दी। उसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े होने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि मोबाइल में आतंकी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें, जिहाद प्रचार और ISIS के झंडे रखने से कोई आतंकी नहीं हो जाता।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित के मोबाइल में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें, जिहाद प्रचार सामग्री और ISIS झंडे जैसी आपत्तिजनक सामग्री मिलने और कट्टरपंथी या मुस्लिम उपदेशक के लेक्चर को सुनना आरोपित को एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के सदस्य के रूप में ब्रांड करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
कोर्ट ने आगे कहा, “आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में इस प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और केवल इसे एक्सेस करना और यहाँ तक कि इसे डाउनलोड करना भी यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि उसने खुद को ISIS के साथ जोड़ा था। कोई भी जिज्ञासु मन ऐसी सामग्री तक पहुँच सकता है और यहाँ तक कि उसे डाउनलोड भी कर सकता है। हमारे लिए वह कृत्य अपने आप में कोई अपराध नहीं प्रतीत होता है।”
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह का कृत्य व्यक्ति की मानसिकता के बारे में ‘अंतर्दृष्टि’ दे सकता है, लेकिन जब कोई दंडात्मक प्रावधान के तहत, जिसमें किसी की स्वतंत्रता छीन ली जाती है, ऐसे में जमानत देना भी एक प्रकार का अपवाद बन जाता है। अभियोजन पक्ष को समझने योग्य और ठोस सामग्री के रूप में कुछ अतिरिक्त सबूत की आवश्यकता है।
इसमें आगे कहा गया है कि केवल इसलिए कि वह व्यक्ति ‘मध्य-पूर्व और इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित समाचारों’ फॉलो कर रहा था या ‘कट्टरपंथी मुस्लिम उपदेशकों के नफरत भरे भाषणों को देख-सुन रहा था’ यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि वह एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन की विचारधारा को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका अदा कर रहा था।
पीठ ने कहा कि इस मामले में UAPA की धारा 38 और 39 का प्रयोग गलत प्रतीत होता है। UAPA की धारा 38 एक आतंकवादी संगठन की सदस्यता से संबंधित अपराध है और धारा 39 एक आतंकवादी संगठन को दिए गए समर्थन से संबंधित अपराध है। इसके बाद कोर्ट ने अम्मार अब्दुल रहमान को जमानत दे दी। हालाँकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि उसकी टिप्पणियाँ अस्थायी स्वभाव की हैं।
अम्मार अब्दुल रहमान को NIA ने UAPA की विभिन्न धाराओं के तहत अगस्त २०२१ में गिरफ्तार किया था। उस पर ISIS से जुड़े होने और आतंकी संगठन की कट्टरपंथी विचराधारा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। हालाँकि, निचली अदालत ने दिसंबर २०२३ में आरोपित को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद निचली अदालत के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
स्त्रोत : ऑप इंडिया