लड़कियाँ फँसाने पर लाखों का इनाम, इस्लामी कट्टरपंथी संगठन दे रहे ट्रेनिंग
बांग्लादेश में हिंदू पुरुषों और महिलाओं को धर्मांतरित कराने के लिए इस्लामी कट्टरपंथियों के समूह ने नया खेल शुरू किया हुआ है। वहाँ कट्टरपंथी संगठनों द्वारा समूह में शामिल मुस्लिम युवकों को इनाम दिया जा रहा है ताकि वो उसका इस्तेमाल हिंदुओं को इस्लाम कबूल करवाने के लिए करें।
मीडिया रिपोर्टें दावा करती हैं कि सोशल मीडिया पर तमाम पेज आदि खुले हैं ताकि कट्टरपंथी हिंदू पुरुषों और महिलाओं को धर्मांतरण के लिए मना सकें। इसके अलावा इन कट्टरपंथियों को ये भी सिखाया जाता है कि कैसे लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण करवाया जाए। वहीं नव मुस्लिमों को संरक्षण देने के नाम पर बैंक समेत कई सामाजिक संगठन धर्म परिवर्तन जैसे कुकृत्यों में शामिल रहे हैं।
आज भी कई सामाजिक संगठन इस तरह की हरकत करते हैं जबकि कानून प्रशासन चुप होकर ये सब देखता रहता है। कट्टरपंथियों का मकसद अन्य धर्मों के लोगों को कमजोर करना है जिससे या तो वो इस्लाम में आ जाएँ या फिर पलायन करके भारत चले जाएँ।
उनके ऐसे घटिया प्रयासों के चलते देश में साम्प्रदायिकता फैल रही है… हाल में मोहम्मद साहिदुल्ला खान मदानी और डॉक्टर अब्दुल्ला फारूक द्वारा दस्तख्त किया गया जमीयत-ए-अहले-हदीस का फतवा सोशस मीडिया पर धड़ल्ले से चल रहा है। उसमें तो कहा यही गया है कि हिंदू युवतियों को लव जिहाद में फँसाओ और उनका धर्मांतरण कराओ। फतवे में ५० हजार से लेकर ५० लाख बांग्लादेशी करंसी इनाम देने की भी बात है। इस फतवे की कॉपी को संगठन के हर जिला अध्यक्ष और महासचिवों के पास भेजा गया है।
वहीं, जब इस संबंध में बांग्लादेश जमीयत-ए-अहले-हदीस से पूछा गया तो उन्होंने इसे साजिश बता दिया। जब पूछा गया कि इस संगठन का खर्चा कैसे चलता है तो बताया संतोषजनक जवाब देने की बजाय सिर्फ इतना कहा गया कि एफ्रो-अरब की अलग-अलग जगहों से जो चंदा आता है उससे ये संगठन चलते हैं।
इसी तरह इस्लामी दावाह संगठन भी मुफ्ती जुबैर अहमद के नेतृत्व में ऐसे कृत्यों को करवाने में शामिल है। वो मुस्लिम युवकों को ट्रेनिंग देते हैं कि कैसे हिंदू महिलाओं को फँसाकर इस्लाम में लाया जाए। इनके नाम पर तो एक पोस्ट भी वायरल हुआ था जिसमें साफ कहा गया था- “हमारे मुस्लिम भाई मूर्तिपूजकों (हिंदुओं) को प्रेम जाल में फँसा रहे हैं, और साथ ही उन्हें सच्चे मुसलमानों में बदल रहे हैं। प्रशंसनीय बात यह है कि हमारे मुस्लिम भाइयों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा है कि लड़कियों (अन्य धर्मों की)को लगे कि वे वास्तव में उनसे प्यार करते हैं। उनकी यही क्षमता हमारे मिशन (गैर-मुसलमानों को प्रेम जाल में फँसाने) को पूरा कर रही है।” इसी तरह से लव जिहाद के नाम से एक मामून नाम का व्यक्ति ‘लव जिहाद मिशन’ पर पूरा फेसबुक पेज ही चला रहा है।
कई हिंदू संगठन इस्लामी कट्टरपंथियों के ऐसे कृत्यों से वाकिफ हैं इसलिए वो इसे चिंताजनक स्थिति बताते हैं। नेशनल हिंदू ग्रैंड अलायंस से जुड़े वकील गोबिंदा चंद्रा कहते हैं कि इस तरह का ट्रेंड बेहद डराने वाला है। ऐसा देखने को मिल रहा है कि इस्लामी खुलेआम लव जिहाद की गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं और मुस्लिम युवकों को रिवार्ड दे रहे हैं ताकि वो हिंदुओं को फँसाएँ। गोबिंदा कहते हैं कि मुस्लिम कट्टरपंथियों की ऐसी हरकत का शिकार सिर्फ हिंदू महिलाएँ नहीं है बल्कि हिंदू पुरुष भी हैं और पूरा का पूरा परिवार है। ऐसा लगता है कि ये प्रयास हो बांग्लादेश को हिंदू मुक्त करने का। ये लोग हिंदुओं को इस मुल्क से मिटाना चाहते हैं।
गोबिंदा और उनके संगठन पर हिंदुओं की आवाज बनने पर तमाम लांछन लगते हैं। लेकिन वो कहते हैं कि पिछले ३५ सालों से उनका संगठन हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ रहा है और लव जिहादियों का शिकार बनने से उन्हें रोक रहा है यही वजह है कि हिंदू विरोधी लोग इसे बंद कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि ये लोग हर संगठन को चुप कराना चाहते हैं ताकि बांग्लादेश को हिंदू मुक्त बना सकें… ये आरएसएस को बैन कराना चाहते हैं क्योंकि वो संस्था देश भर के हिंदुओं के अधिकारों के लिए काम कर रही है। ऐसे ही बांग्लादेश के इस्लामी पीएम मोदी के खिलाफ भी प्रोपगेंडा चलाते हैं क्योंकि वो हिंदुओं के अधिकार संरक्षित करने वाले वैश्विक नेता बनकर उभरे हैं।
दावा है कि बांग्लादेश में इस्लामी अपने तौर-तरीकों को हिंदुओं पर थोपने का प्रयास करते हैं। वहीं प्रशासन में बैठे कुछ लोग ऐसे हैं जो साफ तौर पर लव जिहाद को मानने से इनकार कर देते हैं। गोबिंदा इसे हिंदू घृणा का सबसे घटिया उदाहरण कहते हैं और बताते हैं कि सोशल मीडिया पर चल रहे ऐसे अभियानों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
इसके अलावा एक प्राइवेट इस्लामिक शरीया बैंक हैं जहाँ मुस्लिमों को कानूनी, आर्थिक और रोजगार संबंधित दिक्कतों के लिए सहायता मिलती है। ये बैंक कहता है कि ये मुस्लिमों के सामाजिक स्तर को बढ़ाने के लिए काम करते हैं लेकिन हकीकत में तो ये युवकों को कट्टरपंथी बना रहे हैं। देश के ६४ जिलों में इन्होंने धर्मांतरण के काम के लिए कट्टरपंथी तैयार किए हुए हैं।
स्त्रोत : ऑप इंडिया