योगी आदित्यनाथ को फंसाने की थी साजिश
महाराष्ट्र ATS आतंक के मामले में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ, विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को फँसाना चाहती थी। इसके लिए उसने मालेगाँव बम धमाकों के मामले में मुकदमे का सामना करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को प्रताड़ित किया था। ATS ने उनको बम धमाके की जिम्मेदारी लेने के लिए लगातार यातनाएँ दी। कर्नल पुरोहित ने बताया है कि महाराष्ट्र ATS उनसे उनके ख़ुफ़िया मिशन के बारे में सारी जानकारी बताने को कह रही थी। कर्नल पुरोहित ने यह सभी खुलासे कोर्ट के सामने किए हैं।
कर्नल पुरोहित ने बुधवार (८ मई, २०२४) को मुंबई के एक कोर्ट को बताया, “मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जो किसी जानवर के साथ भी नहीं किया जाता। मेरे साथ युद्ध बंदी से भी बदतर व्यवहार किया गया। हेमंत करकरे, परमबीर सिंह और कर्नल श्रीवास्तव लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि मैं मालेगाँव बम धमाके के लिए खुद को जिम्मेदार बता दूँ। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं RSS, VHP के वरिष्ठ नेताओं और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लूँ। उन्होंने मुझे ३ नवम्बर, २००८ तक यातनाएँ दी।”
कर्नल पुरोहित ने बताया कि यह सब कुछ तत्कालीन UPA सरकार और राज्य की कॉन्ग्रेस-NCP सरकार के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उनकी शह पर किया गया था। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और मालेगाँव के मामले में में बताया है कि सब पूर्व नियोजित तरीके से हुआ था।
कर्नल पुरोहित ने कोर्ट से कहा, “करकरे और परमबीर सिंह बार-बार मुझ पर अपने खुफिया नेटवर्क की जानकारी देने के लिए दबाव डाल रहे थे। यह लोग मुझसे अपने उन मुखबिरों की सूची देने को कह रहे थे जिन्होंने आतंकी संगठन SIMI, ISI और डॉ. जाकिर नाइक की गतिविधियों का पता लगाने में मेरी सहायता की थी। मैंने अपने नेटवर्क का खुलासा करने से इनकार कर दिया क्योंकि यह मुझे स्वीकार्य नहीं था।”
उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व पर हिन्दू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “अचानक अगस्त २००८ में , NCP अध्यक्ष (शरद पवार) ने अलीबाग में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक रैली में बयान दिया कि सिर्फ़ आतंकवादी इस्लामी ही नहीं हैं, बल्कि हिंदू आतंकवादी भी हैं। यह पहली बार था जब ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द सामने आया था। इस बयान के बाद २९ सितंबर, २००८ की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई और उसमे हिन्दुओं को आतंकवादी बताया गया।”
कर्नल पुरोहित ने आरोप लगाया कि ATS गवाहों से बन्दूक की नोक पर बयान दिलवाती थी। उन्हें प्रताड़ित करती थी। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन इसे कागजों में नहीं दिखाया गया। उन्हें मारपीटा गया और उनका पैर तोड़ दिया गया। कर्नल पुरोहित ने अपने एक सीनियर कर्नल पीके श्रीवास्तव पर भी आरोप लगाए हैं।
हिन्दू नेताओं को फँसाने की यह बात नई नहीं है। इससे पहले भी मालेगाँव मामले में एक गवाह भी ऐसी ही बात बता चुका है। गवाह ने २०२१ में मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को बताया था कि ATS ने उसे उठाया और सात दिन तक बंद रखा। इस दौरान उसे प्रताड़ित किया गया और उसके परिवार को भी फँसाने की धमकी दी गई। गवाह ने बताया कि ATS ने उसे भाजपा के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के अलावा RSS के इंद्रेश कुमार, देवधर, काकाजी और स्वामी असीमानंद का नाम लेने के लिए मजबूर किया था।
गौरतलब है कि सितंबर २००८ में मालेगाँव की एक मस्जिद के पास हुए बम धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी और १०० से अधिक लोग घायल हुए थे। मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बाँधे गए विस्फोटक से धमाके को अंजाम दिया गया था। एटीएस ने इस मामले में शुरुआती जाँच की थी। तीन साल बाद २०११ में इस केस को एनआईए के पास ट्रांसफर किया गया था। मालेगाँव धमाका मामले में अब एनआईए की स्पेशल कोर्ट सुनवाई कर रही है।
स्त्रोत : ऑप इंडिया