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करीना कपूर खान को हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस, इसाईयों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप

ईसाई समाज में रोष

अपनी किताब के साथ करीना कपूर खान

बॉलीवुड ने फिल्मों और उसके संवादों के माध्यम से हिंदू समाज और उसकी संस्कृति का बड़े ही भद्दे ढंग से मजाक उड़ाया है। ये बात किसी फिल्म विशेष की नहीं, बल्कि एक दौर की है। हिंदू धर्म, उसके त्योहारों, उसके आचार-विचार, उसकी आस्था, उसकी मान्यता, उसके विश्वास से लेकर उसके अनुयायियों को बेहद फूहड़ता से दिखाने का जैसे फिल्मों में रिवाज सा चल पड़ा है। हालाँकि, किसी दूसरे समुदाय के साथ इस तरह का प्रयोग मुश्किल में डालने वाला होता है।

दरअसल, बॉलीवुड अभिनेत्री एवं सैफ अली खान की बीवी करीना कपूर खान ने अपनी गर्भावस्था को लेकर एक पुस्तक लिखी है। उस पुस्तक के शीर्षक में उन्होंने बाइबिल शब्द का प्रयोग किया है। इसको लेकर ईसाई समाज के लोगों में रोष फैल गया। आखिरकार क्रिस्टोफर एंथनी नाम के एक वकील ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका डालकर अभिनेत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग की है।

इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने गुरुवार (९ मई २०२४) को करीना कपूर खान को नोटिस जारी किया। वकील एंथनी ने फरवरी २०२२ में अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने करीना के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि करीना ने अपनी किताब ‘करीना कपूर खान्स प्रेग्नेंसी बाइबिल‘ के शीर्षक में ‘बाइबिल’ शब्द का उपयोग करके ईसाई समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाया है। इसलिए करीना कपूर खान के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जानी चाहिए। करीना के अलावा याचिका के अन्य प्रतिवादी अमेज़ॅन ऑनलाइन शॉपिंग, जगरनॉट बुक्स और पुस्तक के सह-लेखक हैं।

दरअसल, वकील एंथनी ने शुरू में जबलपुर के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि करीना कपूर खान के कृत्य ने ईसाई समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था ‘पवित्र पुस्तक बाइबिल’ की तुलना अभिनेत्री की गर्भावस्था से नहीं की जा सकती है। हालाँकि, पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया।

इसके बाद वकील एंथनी ने मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया और इसी तरह की राहत की माँग करते हुए एक निजी शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, मजिस्ट्रेट ने भी इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता यह बताने में विफल रहा कि ‘बाइबिल’ शब्द के इस्तेमाल से ईसाई समुदाय की भावनाएँ कैसे आहत हुईं।

इसके बाद एडवोकेट क्रिस्टोफर एंथनी ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय का रुख किया, लेकिन वहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिली और कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद क्रिस्टोफर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दरवाजे पर पहुँचे। यहाँ पर हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब माँगा है।

दरअसल, हिंदुओं के दिवाली के त्योहार, मंगलसूत्र-बिंदी, कन्यादान आदि पर बॉलीवुड वाले मज़ाक उड़ाते रहते हैं। हालाँकि, अपनी सहिष्णुता की वजह से हिंदू समाज चुप रह जाता है। वहीं, हिंदुओं की तरह वे दूसरे समाज का माखौल उड़ाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें परेशानी भोगनी पड़ती है। चाहे वह किसी मुद्दे पर फिल्म बनानी हो या फिल्म का कोई दृश्य हो, गैर-हिंदू समुदाय बॉलीवुड को ऐसा करने की स्वतंत्रता नहीं देता है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं।

यही करीना कपूर हैं, जिन्होंने करवा चौथ का माखौल उड़ाया था। करीना कपूर ने एक बार कहा था, “जब बाकी औरतें भूखी रहेंगी, मैं खूब खाऊँगी। क्योंकि मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए भूखे रहने की कोई भी जरूरत नहीं है।” नसीरुद्दीन शाह की बीवी रत्ना पाठक शाह ने भी इसे पिछड़ेपन से जोड़ दिया था।

रत्ना पाठक ने कहा था,  “एक बार मुझसे किसी ने पूछा था कि आप करवा चौथ का व्रत क्यों रखती। तो मैंने यही सोचा कि मैं क्या पागल हूँ क्या? ये बहुत ही अजीब है कि पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा था कि इससे पता चलता है कि असहिष्णुता कितनी बढ़ गई है कि करवा चौथ तक का प्रश्न किया जाता है।

स्त्रोत : ऑप इंडिया

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