ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या , कलियुग वर्ष ५११५
श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल, लष्कर-ए-हिंद
यहां हिंदू राष्ट्र स्थापनाके लिए अधिवेशन चल रहा है, वहां भी संत कहते हैं विश्वका कल्याण हो । उनका विचार संकुचित नहीं है कि केवल हिंदुंका ही कल्याण हों । जिस धर्ममें वृक्ष, नाग इत्यादि भी पूजे जाते हैं, ऐसा धर्म आतंकवादी कैसे हो सकता है ? मेरा प्रश्न है कि भगवे आतंकवाद का ढिंढोरा पीटनेवाले केंद्रीय गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदेजीपर उनके माता-पिताने क्या संस्कार किए होंगे ?
श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवालजीको स्फुरित हुए हिंदू राष्ट्रविषयी उद्बोधक काव्य
हिंदू राष्ट्रका जो करे इंकार, वही देशका है गद्दार । हिंदू राष्ट्रकी होगी नीति, सबसे न्याय व सबसे प्रीति ।।
जान भी लेंगें, प्राण भी देंगे, हिंदू राष्ट्रके लिए लढेंगे । देशके गद्दार कौन हैं ? घुसपैठ देखकर जो मौन हैं ।।
सनातनके साधकोंका राष्ट्र और धर्मके लिए त्याग देखनेपर, एक आदर्श राष्ट्रकी कल्पना की जा सकती है ! – श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल
आज देशकी जो अधोगति हुई है, वह संविधानकी त्रुटियोंके कारण ही हुई है । सनातनके आश्रममें जाकर देखें, वहां साधकोंका समर्पणभाव तथा राष्ट्र एवं धर्मके लिए उनका त्याग देखनेपर आदर्श राष्ट्र कैसा होगा, इसकी कल्पना आएगी !