Menu Close

केरल का वामपंथी आतंकी मॉडल: विजयन सरकार के ६ साल में ४३१ बम हमले, पर सजा किसी को नहीं

अधिकांश केस बंद क्योंकि CPIM से जुड़े हैं आरोपित

पी विजयन के केरल मॉडल का फूटा गुब्बारा

केरल में साल २०१६ से सीपीआई-एम की कम्युनिष्ट सरकार है। कम्युनिष्ट जिस केरल मॉडल का हौव्वा खड़ा करते हैं, उस केरल में जून २०१६ से अगस्त २०२२ तक के मौजूदा आँकड़ों में सीपीआई-एम के राज में ४३१ बम धमाके हो चुके हैं। खास बात ये है कि वामपंथी सरकार के ६ सालों में ४३१ मामलों में से किसी एक मामले में भी आतंकियों को कोई सजा नहीं हो पाई।

ऑनलाइन मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल पुलिस ने ४३१ बम धमाकों में से सिर्फ १६२ मामलों में चार्जशीट दाखिल की है। यही नहीं, जाँच में सबूतों का हवाला देते हुए २०५ मामलों को तो बंद ही कर दिया गया, जबकि २ अन्य मामलों को सबूत न मिलने का हवाला देकर बंद कर दिया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केरल पुलिस ने ज्यादातर मामलों की जाँच नहीं की क्योंकि आरोपित सत्ताधारी पार्टी सीपीआई-एम से जुड़े थे।

मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, “अधिकाँश मामलों में शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने जाँच टीमों पर दबाव डाला कि वो केस में ढंग से जाँच न करें और न ही सबूत प्रस्तुत करें।” आतंकी हमलों के अलावा इस रिपोर्ट में ‘गुंडा हमलों’ की भी जानकारी दी गई है। गुंडा हमलों के १५० मामलों में से १४२ में चार्जशीट दाखिल कर दी गई, जिसमें ६ को बरी कर दिया गया जबकि सिर्फ ५ अपराधियों को सजा हुई।

केरल में ‘गुंडा‘ शब्द का इस्तेमाल उन मामलों में किया जाता है, जिसमें कोर्ट ने किसी को दोषी पाया हो या केरल के सक्षम अधिकारी द्वारा केरल असामाजिक गतिनिधियाँ (रोकथाम) अधिनियम-२००७ के केस में उन्हें शामिल पाया गया हो। ऐसे ममालों में सिर्फ १० मामले सामने आए, जिसमें आरोपित बम बनाते पकड़े गए, जिसमें से ५ मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि २ मामलों को बंद कर दिया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, “टॉप पुलिस अधिकारियों ने इन मामलों को दबाने में दिलचस्पी दिखाई और जाँच टीमों पर दबाव बनाया कि वो कोर्ट में पुख्ता सबूत न पेश करें।”

इस तरह का एक हालिया मामला सामने आया है, जिसमें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में एक एसआई सभी हिस्ट्रीशीटरों तक पहुँचा और उनसे पुलिस स्टेशन में आकर रजिस्टर पर साइन करने का ‘अनुरोध’ किया।

ये पूरा घटनाक्रम लोकसभा चुनावों के बीच सामने आया है, जहाँ सीपीआई-एम केरल में सुशासन का दावा करती है और अपने दावों को सही ठहराने के लिए भ्रामक ‘केरल मॉडल‘ का प्रचार करती है। बता दें कि मौजूदा समय में केरल राज्य गहने फाइनेंसियल क्राइसिस में है, जहाँ इस्लामी कट्टरपंथ के बढ़ते मामलों के बीच, सरकार अपने सबसे बड़े वोट बैंक पर ठोस कार्रवाई से पीछे हट रही है। यही वजह है कि राज्य की हालत और भी खराब होती जा रही है।

स्त्रोत : ऑप इंडिया

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *