मुंबई के कॉलेज ने लागू किया ड्रेस कोड, इस्लामी कट्टरपंथियों ने बुर्के-हिजाब पर बैन बताकर मचाया बवाल

फैसले को बता रहे मुस्लिम विरोधी

मुंबई के उपनगरीय इलाके चेंबूर में स्थित आचार्य मराठे कॉलेज प्रशासन ने डिग्री कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए ड्रेस कोड जारी किया है। इस ड्रेस कोड के हिसाब से सभी लड़के और लड़कियों को एक समान ड्रेस पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। अब कॉलेज परिसर में हिजाब, बुर्का, नकाब और अन्य धार्मिक कपड़ों के पहनने पर रोक लग गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये ड्रेस कोड जून 2024 से शुरु होने वाले शैक्षणिक सत्र से लागू हो जाएगा। जूनियर कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए एक साल पहले ही ये ड्रेस कोड लागू कर दिया गया था। नए नियमों के मुताबिक, आचार्य मराठे कॉलेज में डिग्री हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को एक कॉमन रूम में अपनी धार्मिक पोशाकों को उतार कर रख देना होगा, इसके बाद वो क्लास रूम में एंट्री ले पाएँगे।

हालाँकि इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। बल्कि इससे जुड़े निर्देश दूसरे और तीसरे साल के छात्र-छात्राओं के वॉट्सऐप ग्रुपों में शेयर किए जा रहे हैं। ड्रेस कोड में कहा गया है, “बुर्का, नकाब, हिजाब, या बैज, कैप या स्टोल जैसे किसी भी धार्मिक पहचान चिह्न को कॉलेज में घूमने से पहले ग्राउंड फ्लोर पर कॉमन रूम में आने पर हटा दिया जाना चाहिए।”

नए नियमों में कहा गया है कि सभी छात्रों को औपचारिक पोशाक और शालीन पोशाक पहननी होगी। पुरुष छात्रों को फुल या हाफ शर्ट के साथ नियमित पतलून पहनना आवश्यक है। महिला छात्रों को शालीन पश्चिमी या भारतीय कपड़े पहनने का निर्देश दिया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ मुस्लिम छात्रों ने आचार्य मराठे कॉलेज के प्रशासन से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है। इस बीच, इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ड्रेस को के फैसले को ‘इस्लामोफोबिक’ करार दिया है।

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक फैज़ान ने लिखा, “आचार्य मराठे कॉलेज ने कॉलेज में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। 45 साल के इतिहास में कॉलेज में ड्रेस कोड लागू कर दिया है और अचानक कॉलेज में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह सिर्फ मुस्लिम लड़कियों को निशाना बनाने के लिए इस्लामोफोबिक निर्णय है।”

एक इस्लामी चरमपंथी ने हिंदुओं की तुलना गिद्धों से की और ट्वीट किया, “आचार्य मराठे कॉलेज ने कॉलेज में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हिंदू ऐसा करते हैं और फिर बहस करने की कोशिश करते हैं कि भारत में मुसलमान पसमांदा क्यों हैं।”

मोहम्मद शेर अली नाम के एक अन्य इस्लामवादी ने लिखा , “आचार्य मराठे कॉलेज ने कॉलेज में बुर्का पहनने पर बैन लगा दिया है। यह केवल मुस्लिम लड़कियों को निशाना बनाने का एक इस्लामोफोबिक निर्णय है।”

स्रोत : ऑप इंडिया

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