पाटलीपुत्र (बिहार) – जीवन में आनेवाले सुख और दु:ख सिक्के के दो पहलू हैं । गत जन्मों में हमसे हुए कर्मानुसार प्रारब्ध के रूप में हमें सुख-दु:ख भोगने ही पडते हैं । साधना करने से भोग भोगने की क्षमता मिलती है । इसलिए कठिन प्रसंग में भी व्यक्ति स्थिर रह सकता है । कलियुग में नामस्मरण ही साधना है । नामजप के लिए किसी भी प्रकार का बंधन नहीं । इसलिए भवसागर पार करा देनेवाला अपने कुलदेवता का नामस्मरण हमें अधिकाधिक करना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ ने किया । वे पाटलीपुत्र में कंकडबाग में शिव मंदिर के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में मार्गदर्शन कर रहे थे । कार्यक्रम के अंत में उन्होंने उपस्थितों का शंकानिरसन किया । सभी ने वहां साप्ताहिक धर्मशिक्षा वर्ग आरंभ करने की इच्छा प्रदर्शित की ।
कुलदेवता के नामस्मरण से प्रारब्ध सुसह्य होता है – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ, हिन्दू जनजागृति समिति
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