कहा- इनका अपराध गंभीर लेकिन इन्होंने कोई आतंकवादी घटना अंजाम नहीं दी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जैश-ए-मोहम्मद के ५ ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) की सजा उम्रकैद से घटा कर १० वर्ष कर दी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि कई मामलों में लिप्त होने के बावजूद उन्होंने खुद किसी वारदात को अंजाम नहीं दिया। इस दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुप्रसिद्ध रुसी लेखक फ्योडोर दोस्तोवस्ती के मशहूर नॉवेल ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ का भी हवाला दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से बिलाल अहमद मीर, सज्जाद अहमद खान, मुजफ्फर अहमद भट, मेहराज-उद-द्दीन चोपन और इशफाक अहमद भट को ये राहत मिली है।
लॉ रिपोर्टिंग वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (२० मई २०२४) को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के पाँच सदस्यों को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 ए के तहत अपराध के लिए दी गई सजा को बदलकर उम्रकैद से १० साल के कठोर कारावास में बदल दिया। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने बिलाल अहमद मीर, सज्जाद अहमद खान, मुजफ्फर अहमद भट, मेहराज-उद-दीन चोपन और इशफाक अहमद भट द्वारा ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर अपील पर ये फैसला दिया। उच्च न्यायालय की बेंच ने यूएपीए की धारा 23 के तहत अपराध के लिए इशफाक अहमद भट को दी गई सजा को उम्रकैद से १० साल की कठोर सजा में बदल दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, “जिस व्यक्ति के पास विवेक है, वह अपने पाप को स्वीकार करते हुए कष्ट सहता है। हम ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ के लेखक फ्योदोर दोस्तोवस्की के उद्धरण का उल्लेख करते हैं, जिसके १९ वें चैप्टर में दोस्तोवस्की ने लिखा, “यदि उसके पास विवेक है तो वह अपनी गलती के लिए पीड़ित होगा; वही सजा होगी – साथ ही जेल भी।”
जानकारी के मुताबिक, बिलाल अहमद मीर, सज्जाद अहमद खान, मुजफ्फर अहमद भट, मेहराज-उद-द्दीन चोपन और इशफाक अहमद भट को साल २०२२ में ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी की धाराओं और यूएपीए की धाराओं के तहत दोषी पाया था और उन्हें २८ नवंबर २०२२ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। ये सभी लोग जम्मू-कश्मीर में आत्यधिक सक्रिय रहे जैश-ए-मोहम्मद जैसे दुर्दांत आतंकी संगठन के ओवर ग्राउंड वर्कर थे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि उनकी सजा कम करने से इनके अपराध कम नहीं हो जाते, ये भले ही कई मामलों से जुड़े रहे थे, लेकिन सीधे इन्होंने किसी काम को अंजाम नहीं दिया। ऐसे में इन्हें सुधरने के लिए एक खिड़की खुली छोड़ देनी चाहिए। हालाँकि एनआईए ने जोर दिया है कि ये लोग कई आतंकी घटनाओं से जुड़े रहे हैं।
स्त्रोत : ऑप इंडिया