Menu Close

नळदुर्ग में अफसान यंत्रमाग गारमेंट को नियमबाह्य पद्धति से सरकार द्वारा 3.15 करोड का कर्ज

प्रशासकीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार को करोडों रुपयों की आर्थिक हानि !

अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर

अफसान यंत्रमाग गारमेंट औद्योगिक सह‌कारी संस्था मर्यादित नळदुर्ग ता. तुळजापुर जि. धाराशिव, संस्था में महाराष्ट्र सरकार द्वारा निवेश किए आंशिक भाग (शेयर्स) एवं दिया कर्ज डूबने की स्थिति निर्माण हो गई है । इसमें शर्त एवं नियम ताक पर रखनेवाले शासकीय अधिकारियों के कारण वस्त्रोद्योग उद्योग विभाग की करोडों की आर्थिक हानि होने का भय हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने व्यक्त किया है ।

अधिवक्ता इचलकरंजीकर आगे बोले कि उपरोक्त संस्था को ‘शासन निर्णय क्र. यंत्रमाग 2009/ प्र.क्र.261/ टेक्स-2’ के अंतर्गत दी हुई राशि का 20 प्रतिशत तक प्रत्येक संचालक की संपत्ति गिरवी रखने के साथ ही संस्था का त्रैमासिक प्रगति ब्योरा लेना बंधनकारक है । ऐसा होते हुए भी दोनों शर्त अपूर्ण रखने से सरकार द्वारा आंशिक भाग (शेयर्स) निवेश की हुई और कर्ज के लिए दी हुई 3 करोड 15 लाख की राशि संबंधित विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की अक्षम्य लापरवाही के कारण डूब जाएगी, ऐसी स्थिति है ।

हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा सूचना के अधिकार के माध्यम से संबंधित आर्थिक व्यवहार की जानकारी लेते समय यह घोटाला सामने आया है । इसके साथ ही सूचना अधिकार के अंतर्गत मांगी गई जानकारी के साथ ही कुछ हास्यास्पद जानकारी भी सामने आई है । इसमें प्रमुखरूप से शासकीय शर्त के अनुसार लाभार्थी संस्था के प्रत्येक संचालक की कुल राशि की 20 प्रतिशत संपत्ति गिरवी रखना बंधनकारक होते हुए भी केवल अध्यक्ष द्वारा ही संपत्ति गिरवी रखी है । जब यह विषय सूचना अधिकार निवेदन द्वारा ध्यान में लाने पर हास्यास्पद उत्तर दिया कि नळादुर्ग तहसीलदार अधिभार (penalty) लगाने की कार्रवाई कर रहा है । इसके साथ ही संचालक, वस्रोद्योग नागपुर और प्रादेशिक उपसंचालक, छत्रपती संभाजीनगर को संस्था के काम‌काज पर ध्यान रखकर मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बारे में पूछा, तब उन्होंने रिपोर्ट प्राप्त नही हो रहा है ऐसा टालमटोल करनेवाल उत्तर दिया है।

इस कारण अफ‌सान यंत्रमाग गारमेंट औद्योगिक सरकारी संख्या मर्यादित नळदुर्ग, यह संस्था वास्तव में है अथवा बनावटी संस्था के नाम से पैसे हडप लिए गए हैं ? ऐसा संशय निर्माण होता है । इस संदर्भ में हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा शासन से महत्त्वपूर्ण मांगें की गई हैं । इन मांगों में उक्त संस्था और संचालकों की गिरवी रखी संपत्ति की वर्तमान स्थिति क्या सरकारी निर्णयों के अनुसार है, यह देखें । संस्था की देयराशि (बकाया राशि) के संदर्भ में संस्था की मालमत्ता जप्ती की कार्रवाई आरंभ की जाए । जिन शासकीय अधिकारियों पर इस संस्था पर ध्यान रखकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी थी उनकी विभागीय पूछताछ कर उन पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए । इसके साथ ही अपने विभाग के अथवा वस्रोद्योग विभाग के वेबसाईट पर राज्यस्तर पर सहकारी संस्थाओं को दी हुई राशि, उनसे पुन: आनेवाली राशि का विवरण और उनके काम का रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाए, ऐसा भी अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने कहा है ।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *