राजस्थान सरकार भी करेगी समीक्षा
पश्चिम बंगाल में ओबीसी कोटे में ममता बनर्जी की सरकार मुस्लिमों के 77 समूहों को आरक्षण का लाभ दे रही थी। साल 2011 में सरकार बनने के 6 माह के भीतर ही ममता सरकार ने ये आरक्षण देना शुरू कर दिया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस रिजर्वेशन को खत्म कर दिया है, साथ ही 2011 से अब तक जारी 5 लाख से अधिक ओबीसी प्रमाण पत्रों को भी रद्द कर दिया है। वहीं, राजस्थान में 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलता है, जो इन्हें 1997 से 2013 के बीच दिया गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल हाई कोर्ट के फैसले से सबक लेकर राजस्थान सरकार अब ओबीसी कोटे में मुस्लिम आरक्षण की समीक्षा करेगी।
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राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाथ गहलोत ने कहा है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कॉन्ग्रेस की सरकारों ने राजस्थान में मुस्लिमों को भी आरक्षण दिया था। कॉन्ग्रेस की सरकारों ने धार्मिक आधार पर आरक्षण 1997 से 2013 के बीच दिए, जिसमें से 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटे में आरक्षण दे दिया गया। अब लोकसभा चुनाव 2024 के खत्म होने के बाद राजस्थान सरकार राज्य में ओबीसी आरक्षण के तहत आने वाली सभी जातियों की समीक्षा करेगी। अविनाथ गहलोत ने कहा कि हम धार्मिक आधार पर आरक्षण के खिलाफ हैं, क्योंकि ये संवैधानिक रूप से गलत है।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ये बात कह चुके हैं कि वो धार्मिक आधार पर आरक्षण को लागू नहीं होने देंगे। राजस्थान सरकार के इस ऐलान के बाद ये बहस तेज हो गई है कि क्या धार्मिक आधार पर आरक्षण के दिन अब खत्म हुए?
बात सिर्फ पश्चिम बंगाल और राजस्थान की नहीं है, बल्कि देश के उन तमाम राज्यों की है, जहाँ ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम समूहों को घुसाकर जरूरत मंद समूहों का हक मारा गया। कॉन्ग्रेस के राज में कर्नाटक में भी यही हो रहा है। पीएम मोदी भी कह चुके हैं कि कॉन्ग्रेस अपने कर्नाटक फॉर्मूले को पूरे देश में लागू करना चाहती है, लेकिन वो ऐसा होने नहीं देंगे। कर्नाटक के साथ ही केरल में भी ओबीसी समूहों में मुस्लिमों की भारी भागीदारी है और वो आरक्षण का लाभ ले रहे हैं।
स्रोत : ऑप इंडिया