लखनऊ की टीले वाली मस्जिद मामले में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि टीले वाली मस्जिद की जमीन वक्फ बोर्ड की है। कोर्ट ने वक्फ के इस दावे को खारिज कर दिया है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि टीले वाली मस्जिद नही हैं बल्कि वो भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण का टीला है।
टीले वाली मस्जिद मामले में याचिका खारिज होने से मुस्लिम पक्ष को करारा झटका लगा है। वहीं हिन्दू पक्ष ने अब न्याय की उम्मीद जताई है। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब इस मामले में और तेजी आएगी।
कोर्ट के फैसले का स्वागत
हिन्दू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने कहा कि अयोध्या की तरह टीले वाली मस्जिद भी हिंदुओ की है। उन्होंने वक्फ बोर्ड को देश का सबसे बड़ा माफिया बताया और कहा कि वक्फ बोर्ड ने लक्ष्मण टीला बनाम टीले वाली मस्जिद मामले में कोर्ट में ये दलील दी थी कि १९७५ में ये वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज है, इस दलील को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
शिशिर चतुर्वेदी ने कहा हिन्दू महासभा इसका स्वागत करती है। जिस प्रकार देश की विभिन्न जमीनों पर एक वर्ग से वक्फ की आड़ में कब्जा करता है उस पर ये बड़ा तमाचा है। लक्ष्मण नगरी में अब न्याय की उम्मीद जगी है। हमें उम्मीद है कि ये मुकदमा अब और तेज गति पकड़ेगा।
दरअसल टीले वाली मस्जिद का विवाद दशकों पुराना है। पूर्व बीजेपी सांसद लाल जी टंडन ने अपनी किताब ‘कितना अनकहा लखनऊ’ में लक्ष्मण टीले का जिक्र किया है। जिसमें लिखा है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के टीले पर औरंगजेब ने सुन्नी मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसके बाद उनकी ये किताब राजनीतिक विवादों में आ गई थी।
बता दें कि हिंदू पक्ष ने टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण का टीला बताते हुए याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि हिंदुओं के धार्मिक स्थल को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ है। इसलिए यहां से मस्जिद हटाकर ज़मीन को हिंदुओं के हवाले कर दिया जाना चाहिए।
स्त्रोत : ए बी पी न्युज