कोर्ट ने पीएफआई के जिहादियों को नहीं दी जमानत, कहा- ‘तीनों ने भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की साजिश रची’

मुंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने तीनों को यह कहते हुए जमानत देने से इन्कार कर दिया कि उन्होंने 2047 तक भारत को एक इस्लामिक देश में बदलने की साजिश रची थी। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया तीनों के खिलाफ सबूत हैं।

न्यायमूर्ति अजय गडकरी, न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम पटेल और कय्यूम अब्दुल शेख की जमानत याचिका खारिज की। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने आपराधिक बल का उपयोग करके सरकार को डराने की साजिश रची। केंद्र ने 2022 में पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया था।

https://x.com/verdictum_in/status/1800779043744457023

अदालत ने कहा, एफआईआर में स्पष्ट है कि तीनों ने अपने संगठन पीएफआई के विजन-2047 के दस्तावेज का न सिर्फ प्रचार किया, बल्कि उसे लागू करने का इरादा भी रखते हैं। तीनों आरोपियों ने सरकार को डराने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों को भी अपने साथ शामिल होने के लिए उकसाया। यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि अपीलकर्ताओं ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर व्यवस्थित रूप से ऐसी गतिविधियां की हैं जो राष्ट्र के हित और अखंडता के लिए हानिकारक हैं। आरोपियों ने नफरत फैलाने और प्रचार के विभिन्न माध्यमों से राष्ट्र विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने में भाग लिया।

आरोपियों ने सोशल मीडिया समूहों पर ‘विजन-2047’ शीर्षक से साझा किया दस्तावेज

पीठ ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने सोशल मीडिया समूहों पर ‘विजन- 2047’ शीर्षक से एक दस्तावेज साझा किया। इसके अवलोकन से संकेत मिलता है कि यह अपीलकर्ताओं द्वारा अपनी साजिश के तहत किए गए भयानक कृत्यों को अंजाम देने की एक साजिश है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, जून 2022 में आरोपियों ने पीएफआई की एक गुप्त बैठक में भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने भारत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ किए जा रहे विभिन्न अत्याचारों पर प्रकाश डाला, जिसमें मॉब-लिंचिंग की घटनाएं भी शामिल थीं। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि किसी भी तरीके को अपनाकर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मुस्लिम समुदाय में एकता की आवश्यकता है।

महाराष्ट्र एटीएस ने तीनों के खिलाफ दर्ज किया मामला

बैठक के बाद महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने संदिग्ध पीएफआई सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश रचने, धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।

स्रोत : अमर उजाला

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