१४ जून से आरंभ होगा आंदोलन !
मुंबई – प्रसाद की पवित्रता बनाए रखने के लिए नकली घी, गाय की चर्बी और अन्य वर्जित पदार्थों से युक्त प्रसाद नहीं खाना चाहिए हिंदू तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थलों पर सेवा देने वाले हिंदू संगठनों ने ‘ॐ प्रमाणपत्र’ देने का मुख्य निर्णय लिया है। स्वतंत्र वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष श्री. रणजीत सावरकर, अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज के महाराष्ट्र क्षेत्र के आचार्य पीठाधीश्वर डाॅ. अनिकेत शास्त्री महाराज की पहल पर आरंभ किया जा रहा है। इसका विभिन्न हिंदू संगठनों द्वारा समर्थन किया जाएगा।
१. यह आंदोलन १४ जून से प्रारंभ होगा। यह प्रमाणपत्र ‘ॐ प्रतिष्ठान’ की ओर से दिया जाएगा और इस संगठन में विभिन्न हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
२. पिछले साल यह बात सामने आई थी कि महाराष्ट्र के पवित्र स्थल पंढरपुर में श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में कुछ महीने पहले घटिया तेल से बने लड्डू चढ़ाए जा रहे थे। इसकी सूचना होने के पश्चात श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति ने प्रसाद बनाने वाले ठेकेदार का ठेका निरस्त कर दिया। ‘ॐ प्रमाणपत्र’ प्रमाणीकरण से ऐसी स्थितियों से बच सकता है।
३. ”ॐ प्रमाणपत्र” यह सुनिश्चित करने के बाद ही दिया जाना चाहिए कि प्रसाद में मिलावटी और धार्मिक रूप से निषिद्ध पदार्थ नहीं हैं। हिंदू संगठन इस बात के लिए जागरूकता करने जा रहे हैं, कि श्रद्धालु केवल उन्हीं दुकानदारों से प्रसाद लें जिनके पास ‘ॐ सर्टिफिकेट’ हो।
त्र्यंबकेश्वर से आरंभ होगा प्रमाणपत्र वितरण!
१२ ज्योतिर्लिंगों में से एक, नासिक का तीर्थस्थल श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर यह प्रमाणपत्र वितरित करना आरंभ कर देगा। देश-विदेश से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए हिंदू संगठनों की ओर से श्री त्र्यंबकेश्वर से ‘ॐ प्रमाणपत्र’ देने का निर्णय लिया गया है।
स्रोत : हिन्दी सनातन प्रभात