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मंदिर क्षेत्रों में होनेवाले दुकानों में प्रसाद की शुद्धि हेतु ‘ॐ प्रतिष्ठान´ की होगी स्थापना

नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर से होगा आरंभ

दुकानों को जारी होंगे ओम प्रमाणपत्र

मंदिरों के बाहर मिलने वाले प्रसाद में विधर्मियों द्वारा मिलावट किए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं में प्रसाद में नकली घी, अन्य पदार्थ और यहां तक कि, गाय की चर्बी का उपयोग किए जाने का भी खुलासा हुआ है। इससे हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है और प्रसाद की पवित्रता भी नष्ट हो रही है।

भक्तों और हिंदू धर्म की इस पवित्रता को भंग न होने देने के लिए हिंदुत्वनिष्ठ संगठन एकजुट हुए हैं। हिंदू मंदिरों में प्रसाद बेचने वाली दुकानों को अब ‘ओम प्रमाणपत्र’ दिया जाएगा। यह प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करेगा कि, हिंदुओं द्वारा अपने आराध्य देवताओं को अर्पित किए जाने वाला प्रसाद सात्विक और शुद्ध है। पडचाल में सभी ठीक होनेवाले दुकानों को ‘ओम प्रमाणपत्र’ दिया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस नहीं पहुंचेगी।

प्रसाद शुद्धि अभियान की शुरुआत 14 जून 2024 को नासिक के त्र्यंबकेश्वर से होनेवाली है।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजित सावरकर, अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज के महाराष्ट्र प्रदेश के महंत आचार्य पीठाधीश्वर डॉ. अनिकेत शास्त्री महाराज ने पहल लेकर इस आंदोलन की शुरुआत की है। इसकी शुरुआत बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर से होगी। महंत आचार्य पीठाधीश्वर डॉ. अनिकेत शास्त्री ने इस आंदोलन के बारे में बात करते हुए कहा है कि, यदि प्रसाद अशुद्ध होगा तो उसका फल विपरीत मिलता है।

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