ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या , कलियुग वर्ष ५११५
१. हिंदू अधिवेशनके दूसरे दिन बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, भारत आदि विविध देशोंमें हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंके विषयमें मान्यवरोंने प्रखरतासे अपने विचार प्रस्तुत किए । प्रत्येक राज्यके हिंदुओंपर हो रहे अत्याचारोंसे संबंधित विषय अन्य राज्योंके हिंदुत्ववादी संगठनोंके प्र्रतिनिधि अत्यंत एकाग्रतासे एवं ध्यानपूर्वक सुन रहे थे ।
२. वक्ताके भाषणसे किसी देशमें हिंदू उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं यह जाननेपर उपस्थित धर्माभिमानी तालियां बजाकर उनका अभिनंदन करते हुए हर्ष व्यक्त कर रहे थे ।
३. बांग्लादेश, श्रीलंकाके हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारके विषयमें संबंधित वक्ता क्षात्रवृत्तिसे बोल रहे थे ।
४. दिनभर सर्व हिंदुत्ववादी वैश्विक स्तरपर हिंदुओंका विचार कर रह थे, इसलिए वे व्यापक हो गए ।
क्षणिकाए
१. कश्मीर एवं बांग्लादेशमें हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंसे संबंधित फलक प्रदर्शनी सभागृहमें लगाई गई थी ।
२. प्रथम अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें पूरे भारतके समाचार-पत्रोंमें प्रकाशित हुए समाचार कतरनोंकी प्रदर्शनी भी लगाई गई थी ।
३. पनून कश्मीर एवं हिंदू वॉइस ये हिंदुत्ववादी पत्रिकाएं प्रदर्शनी स्थलपर रखी गई थीं ।
४. हिंदू जनजागृति समितिद्वारा प्रकाशित प्रबोधन करनेवाले पत्रकोंके संच एवं धूळे दंगेसंबंधी सत्यशोधन समितिका ब्यौरा भी इस प्रदर्शनीमें रखा गया था ।
५. साथ ही लोकजागरके संपादक श्री. प्रवीण कवठेकरजीकी शिवाजीके पराक्रमकी जानकारी देनेवाली चित्रप्रदर्शनी अधिवेशन स्थलपर लगाई गई थी ।