भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने हेतु हिन्दुओं का संगठन आवश्यक ! – पंडित सुरेश मिश्रा, संस्थापक तथा अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, सर्व ब्राह्मण महासभा, जयपुर
केवल देश में ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनी चाहिए । उस दृष्टि से संपूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म का कार्य चल रहा है; परंतु हमारे भारत में ही हिन्दू राष्ट्र नहीं बन रहा है । हिन्दू बिखरे हुए होने से यह संभव नहीं हो रहा है; इसलिए जब तक हिन्दू संगठित नहीं होंगे, तब तक भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बनेगा ।
विश्व में जनसंख्या में पहले स्थान पर ईसाई, जबकि दूसरे स्थान पर मुसलमान हैं तथा उसके उपरांत हिन्दुओं का क्रम है । हिन्दू धर्म बढान हेतु किसी पर भी बलप्रयोग की आवश्यकता नहीं है । विदेशी लोग हमारे ज्ञान की ओर ही आकर्षित होंगे । हिन्दू धर्म बढाने हेतु, साथ ही भारत को बचाने हेतु बच्चों को अच्छे संस्कार देने आवश्यक हैं । उसके लिए उन्हें रामायण एवं महाभारत सिखाना चाहिए ।
विदेशों के हिन्दुओं को जोडने हेतु तथा भारतीय लोगों को विदेशों में बंसाने हेतु हमने ‘भारत गौरव’ पुरस्कार का आरंभ किया है । इस माध्यम से हमें सहस्रों भारतीयों को विदेशों में बंसाने में सफलता मिली है । इस पुरस्कार के लिए कभी-कभी भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री ने भी नाम सुझाए हैं । इंग्लैंड की संसद में ८ बार इस पुरस्कार का वितरण हुआ है । इस वर्ष यह पुरस्कार वितरण फ्रांस की संसद में हुआ तथा इसके उपरांत हमने उसे न्यूयॉर्क में करना सुनिश्चित किया है ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को ‘भारत गौरव’ पुरस्कार से सम्मानित कर हम ही गौरवान्वित हुए ! – पंडित सुरेश मिश्रा
इस वर्ष फ्रांस की संसद में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को ‘भारत गौरव’ पुरस्कार से सम्मानित किया । उनकी ओर से उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी (सनातन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी) ने उसे स्वीकार किया । इसके कारण हम ही गौरवान्वित हुए हैं । इस अधिवेशन का निमंत्रण देने हेतु समिति के पदाधिकारी मेरे पास आए थे । उन्होंने मुझे समिति की जानकारी पुस्तक दिखाई । मैंने उस पुस्तक पर अंकित प.पू. डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र देखा तथा उनका छायाचित्र देखकर मैं उनमें विद्यमान देवत्व की ओर इतना आकर्षित हुआ कि मुझे ऐसा लगा, ‘वे ही ‘भारत गौरव’ हैं । उसी समय मैंने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया ।
हिन्द रक्षक संगठन के कार्यकर्ता राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति के पहरेदार हैं ! – एकलव्य सिंह गौड, संयोजक, हिन्द रक्षक संगठन, इंदौर, मध्यप्रदेश
हिन्द रक्षक संगठन के कार्यकर्ता राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति के पहरेदार हैं । संगठन की ओर से संपूर्ण वर्ष में प्रमुखरूप से ३ उपक्रम चलाए जाते हैं । होली के समय होनेवाली अप्रिय घटनाएं रोकने हेतु उस दिन परिवारसहित राधा-कृष्ण फाग (पारंपरिक नृत्य) मेला निकालना, महापुरुषों की जानकारी देनेवाली ३ लाख अभ्यासपुस्तकों का ६० सहस्र छात्रों को वितरण करना तथा अप्रिय घटनाएं टालने हेतु पारंपरिक वेशभूषा में धार्मिक गीतों पर खेले जानेवाले गरबा का आयोजन करना ! वर्तमान समय में मालवांचल (राजस्थान) में ५०० से अधिक राधा-कृष्ण फाग (पारंपरिक नृत्य) मेलों में २५ सहस्र से अधिक हिन्दू सम्मिलित होते हैं; परंतु इन मेलों का आरंभ करने हेतु हमें तत्कालिन कांग्रेस सरकार के विरोध में बडा संघर्ष करना पडा । मालवांचल के एक बनवासी क्षेत्र में गरीबी तथा पानी के अभाव के कारण में बडे स्तर पर धर्मांतरण चल रहा था । वहां के १ सहस्र २३२ गावों में शिवालयों की स्थापना कर, साथ ही पानी के बडे कुण्ड का निर्माण कर संगठन ने धर्मांतरण रोकने में सफलता प्राप्त की है । देवताओं का उपहास करनेवाले हिन्दूद्वेषी व्यंग कलाकार मुनव्वर फारुकी के विरोध में भी हमने भूमिका ली ।
महाराष्ट्र के प्रत्येक मंदिर में गोशाला आरंभ करनी चाहिए ! – शेखर मुंदडा, अध्यक्ष, महाराष्ट्र गो सेवा आयोग, पुणे, महाराष्ट्र
देवस्थानों के पास भूमि तथा धन है । महाराष्ट्र में जितने मंदिर हैं, उनमें गोशालाएं आरंभ की जानी चाहिएं । ‘इस्कॉन’ संस्था महाराष्ट्र में २ गोशालाएं चला रही हैं । तुळजापुर देवस्थान, शिरडक्ष देवस्थान तथा पंढरपुर देवस्थानों के साथ गोशाला आरंभ करने के विषय में हमारी बातचीत हुई है । यदि गोमाता बच गई, तो देश बचेगा । जो गोमाता को मानता है, वही सच्चा हिन्दू है । महाराष्ट्र में गोहत्या बंदी कानून है; परंतु उसकी कार्यवाही नहीं हो रही थी । महाराष्ट्र में गो आयोग की स्थापना होने पर गोहत्याएं रोकने में कुछ मात्रा में सफलता मिली है । गोपालन, गोरक्षा, गोशाला, गो कृषि, गो पर्यटन तथा गो साक्षरता पर काम करने की आवश्यकता है । इसके अनुसार काम हुआ, तभी जाकर गोमाता को सम्मान का स्थान प्राप्त होगा ।
साधु-संत जागृत हो गए, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कोई भी रोक नहीं सकेगा ! – पू. संत श्रीराम ज्ञानीदासजी महात्यागी, अध्यक्ष, महात्यागी सेवा संस्थान, तिरखेडी आश्रम, गोंदिया
अपने देश के साधु और संतों की साधनापद्धति भले ही कोई भी हो, तब भी उन्हें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए एकत्र आना चाहिए । इस देश के साधु-संत जागृत हो गए, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कोई भी रोक नहीं सकेगा । इसलिए हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में देशभर के आखाडे और खालसा को सम्मिलित करना चाहिए । प्रयागराज में आनेवाले कुंभमेले में प्रत्येक आखाडा और खालसा में ऐसे फलक लगाने चाहिए – ‘हम सभी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के पक्ष में हैं’ । इसके साथ ही देशभर के सभी मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करनी चाहिए । प्रत्येक मंदिर में ‘सात्त्विक वेशभूषा परिधान करके ही मंदिर में प्रवेश करें’, ऐसा फलक लगाना चाहिए ।
छत्रपति शिवाजी महाराज के पदस्पर्श से पवित्र गढ-किलों को इस्लामी अतिक्रमण से मुक्त करने का निश्चय करें ! – नितीन शिंदे, प्रदेशाध्यक्ष, हिन्दू एकता आंदोलन, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के सातारा जिले में स्थित प्रतापगढ किलेकी तलहटी के पास स्थित अफजलखान की मजार के इर्द-गिर्द अवैधरूप से दर्गाह का निर्माण किया गया था, साथ ही दर्गाह के परिसर में १९ कक्षों का भी निर्माण किया गया था । इस दर्गाह के लिए पाकिस्तान से झाड-फानूस मंगाए गए थे । छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस किले पर अफजलखान का वध कर ‘आतंकवाद कैसे समाप्त किया जाता है ?’, यह दिखा दिया, उसी किले पर इस प्रकार अतिक्रमण किया जाना क्षोभजनकथा । इसके विरोध में मैंने वर्ष २००१ में महाराष्ट्र विधान परिषद में आवाज उठाई, साथ ही ‘श्री शिवप्रतापभूमीमुक्ति आंदोलन’ आरंभ किया । इसमें हिन्दू जनजागृति समितिसहित विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का समावेश था ।
आंदोलन आरंभ होने पर उच्च न्यायालय ने ३ बार आदेश देकर भी कांग्रेस के कार्यकाल में इस अवैध निर्माण को गिराया नहीं गया । राज्य में भाजपा-शिवसेना का हिन्दुत्वनिष्ठ शासन के सत्ता में आने पर हमने तत्कालिन वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से हमने निरंतर इस प्रकरण की समीक्षा की । अंततः १० दिसंबर २०२३ के दिन शिवप्रताप दिवस के दिन इस संपूर्ण अतिक्रमण को तोडा गया । इसी प्रकार से आनेवाले समय भी हम छत्रपति शिवाजी महाराज के गढ-किलों को इस्लामी अतिक्रमणों से मुक्त करने का निश्चय करेंगे ।
विशालगढ किले पर भी रेहान मलिक दर्गाह परिसर में अनेक अवैध निर्माण हो चुके हैं । इस किले पर मुर्गाें की बलि चढाई जाती है, जिससे किले की पवित्रता नष्ट होती है । इसके संदर्भ में भी हमने !विशालगढ मुक्ति आंदोलन’ चलाया । इस आंदोलन के माध्यम से हमने सरकार से विशालगढ किले पर जो १६४ अवैध निर्माण हुए हैं, उन्हें तत्काल गिरा दिया जाए, विशालगढ किले पर स्थित स्मारकों-मंदिरों का जीर्णाेद्धार किया गया, वहां लगनेवाला ‘उर्स’ (किसी मुसलमान धर्मगुरु के स्मृतिदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित उत्सव) तत्काल बंद किया जाए, ये मांगें की हैं । वर्तमान समय में वहां पशुबलि चढाना बंद है; परंतु वहां के अतिक्रमण हटाने तक हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा । अभी तक राज्य के अनेक किलों पर अतिक्रमण हुए हैं तथा उन्हें हटाने हेतु हमें प्रयास करने पडेंगे ।
इस अवसर पर उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा ‘जय भवानी, जय शिवाजी’, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जय’, ‘छत्रपति संभाजी महाराज की जय’, ‘मां भवानी हमें शक्ति दें मलंगगढ को मुक्ति दें !’ के नारों से सभागार गूंज उठा ।
हिन्दुओं को मिटाने हेतु यदि विरोधी एकत्रित होते हों, तो हिन्दुओं को भी संगठित होना चाहिए ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
वर्तमान समय में देश का भविष्य माने जानेवाली युवापीढी में बुद्धिभ्रम फैलाने का काम चल रहा है । इस षड्यंत्र के पीछे शहरी नक्सलवाद है । वामपंथियों में संपूर्ण विश्व में ९ करोड ४० लाख से अधिक लोगों की हत्याएं की हैं । पिछले २५ वर्षों में वामपंथियों ने महाराष्ट्र में भी १४ सहस्र से अधिक लोगों की हत्याएं की हैं । उनमें किसान, सैनिक, पुलिसकर्मी, जनप्रतिनिधियोंसहित सामान्य नागरिकों का समावेश है । दक्षिण भारत में अनेक हिन्दू नेताओं की हत्याएं की गई हैं । कश्मीर में हिन्दुओं का वंशविच्छेद किया गया; परंतु किसी भी समाचारवाहिनी पर इस पर चर्चा नहीं होती । उसके विपरीत इन वामपंथियों को ‘‘मानवतावादी’, जबकि हिन्दुत्वनिष्ठों को ‘आतंकी’ दिखाया जाता है । पत्रकारों के गिरोह की ओर से वामपंथी विचारों का महिमामंडन किया जाता है । इस संपूर्ण षड्यंत्र के पीछे शहरी नक्सलवाद है । हिन्दुओं को मिटाने हेतु यदि सभी विरोधी एकत्रित होते हों, तो हिन्दुओं को भी संगठित होना चाहिए । इस दृष्टि से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘सनातन धर्मरक्षक अभियान’ चलाया जा रहा है । महाराष्ट्र के २५ जिलों में इस विषय में २५० से अधिक कार्यक्रम किए गए, जिनमें १० सहस्र लोग सम्मिलित हुए । सभी हिन्दू ‘सनातन धर्मरक्षक अभियान’ में सम्मिलित हों ।