वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव द्वितीय दिन : अनुभवकथन तथा उपासना का महत्त्व

हिन्दू राष्ट्र का कार्य रोकने हेतु ‘हिन्दू आतंकवाद’ का कथानक तैयार करने का प्रयास ! – अभय वर्तक, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

अभय वर्तक, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

समझौता एक्सप्रेस बमविस्फोट, अजमेर बमविस्फोट, मालेगांव विस्फोट प्रकरण हों अथवा डॉ. दाभोलकर हत्या तथा कॉ. पानसरे हत्या प्रकरण हो, ऐसे विभिन्न प्रकरणों में निर्दाेष हिन्दुत्वनिष्ठों को गिरफ्तार किया गया । उनके विरुद्ध कोई प्रमाण नहीं मिले; परंतु उससे उनका जीवन ध्वस्त हुआ । हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को कारागृह में डाल देना तथा उनके संबंध में ‘हिन्दू आतंकवाद’ का कथानक चलाकर उन्हें बदनाम करना हिन्दूविरोधी शक्तियों का षड्यंत्र था । ऐसा कर उन्हें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य रोकना था, ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में किया ।

उन्होंने कहा, ‘‘डॉ. दाभोलकर हत्या तथा कॉ.पानसरे हत्या इन प्रकरणों में भी २५ से अधिक निर्दाेष हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता अभी भी कारागृह में हैं । वे भले ही किसी भी संगठन के हों, तब भी ‘हिन्दू आतंकवाद’ का कथानक तैयार करनेवालों के लिए वे हिन्दू ही हैं । हमारी संवेदना ऐसे हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ सदैव होनी चाहिए तथा उन्हें छुडाना प्रत्येक हिन्दू संगठन को अपना कर्तव्य प्रतीत होना चाहिए । वर्तमान समय में समाचारवाहिनियां हिन्दू संगठनों के पक्ष में नहीं हैं । उसके कारण हिन्दुत्वनिष्ठों को सत्य के आधार पर इन झूठे कथानकों का सामना करना है । उसके लिए हमें अपनी ‘इकोसिस्टम’ को अधिक मजबूत करना आवश्यक है । हमारा पथ धर्म का पथ है; इसलिए वे हमें कष्ट देने का प्रयास करेंगे; परंतु वे हमें नष्ट नहीं कर सकते । धर्म के मार्ग पर चलने के कारण कोई हमारा अनिष्ट नहीं कर सकता । इस संघर्ष में हमारी ही विजय होनेवाली है तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्चित ही होनेवाली है ।’’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के आशीर्वाद से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे ! – आचार्य चंद्र किशोर पराशर, संस्थापक, अंतरराष्ट्रीय सनातन हिन्दू वाहिनी, बिहार

आचार्य चंद्र किशोर पराशर, संस्थापक, अंतरराष्ट्रीय सनातन हिन्दू वाहिनी, बिहार

हिन्दू राष्ट्र काल की आवश्यकता है । हमारे संगठन जैसे छोटे संगठन वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव से धर्मकार्य के लिए ऊर्जा लेकर जा रहे हैं । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य को आशीर्वाद है । उनके आशीर्वाद से हम हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे । उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के आधार पर प्रत्येक हिन्दू तक हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा पहुंचाएंगे । इस धर्मकार्य के लिए भगवान परशुराम के समान ब्राह्म एवं क्षात्र तेज की आवश्यकता है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल कल्पना नहीं है, अपितु वास्तविकता है । कुछ लोग हिन्दू राष्ट्र का विरोध करेंगे, उनका सामना करने की तैयारी हमें रखनी चाहिए ।

गोमाता को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करें ! – राजीव झा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, केसरिया हिन्दू वाहिनी, गोवा

राजीव झा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, केसरिया हिन्दू वाहिनी, गोवा

जिस देश में गोमाता की दुर्दशा हो रही है, उस देश में हम हिन्दू राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने से पूर्व गोमाता को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित किया जाना चाहिए । गोमाता के बिना हिन्दू राष्ट्र की कल्पना अधुरी है, ऐसा प्रतिपादन ‘केसरिया हिन्दू वाहिनी, गोवा’के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव झा ने किया ।

उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू धर्म में देसी गाय को ‘गोमाता’ कहा गया है । पहला निवाला गोमाता को देना चाहिए, यह हिन्दू धर्म की सीख है । वर्तमान स्थिति में गोरक्षकों को धमकाया जा रहा है । गुंडों के द्वारा उन पर आक्रमण किए जा रहे हैं । गायों को गोतस्करों को सौंपा जा रहा है । प्रतिदिन अनेक गोवंश की हत्याएं की जा रही हैं । परशुरामभुमि कहे जानेवाले गोमंतक में गोवंश सुरक्षित नहीं है । जिस दिन गोमाता को राष्ट्रमाता घोषित किया जाएगा, तभी जाकर भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।

हिन्दू राष्ट्र का शिवधनुष उठाने के लिए आध्यात्मिक बल आवश्यक ! – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन उपस्थितों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि हिन्दू राष्ट्र का शिवधनुष उठाने के लिए प्रत्येक को आध्यात्मिक बल की आवश्यकता है । पांडव महारथी थे, तब भी उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की सहायता ली थी । इसलिए हमें भी ईश्वर की सहायता लेना आवश्यक है । रज-तमयुक्त शत्रु से लडने के लिए रज-सत्त्व अथवा सत्त्व-रज गुणों की आवश्यकता है तथा वह केवल साधना से बढ सकते हैं । हमसे अनेक गुना अधिक सामर्थ्यवान शत्रु से लडने के लिए प्रचंड सामर्थ्यवान ईश्वर की उपासना करना आवश्यक है ।

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने कहा, ‘‘जो धर्माचरण एवं साधना करता है, उसे धर्मशक्ति की अनुभूति होती है । साधना करने से हमें धर्म का महत्त्व, श्रेष्ठत्व ज्ञात होता है । ऐसा धर्मनिष्ठ व्यक्ति कभी धर्म की हानि नहीं कर सकता तथा वह धर्म हानि खुली आंखों से देख भी नहीं सकता एवं उसे रोकने का प्रयत्न करता है । जो साधना करता है, उसे यह भान होता है कि धर्म कार्य करते समय उसके पास ईश्वरीय शक्ति है । इसलिए असफल होने पर उसे निराशा नहीं आती । उसका समर्पणभाव बना रहता है तथा साधना करने से उसे कर्मफल की अपेक्षा नहीं रहती । अतः उसका कार्य निष्काम कर्मयोगी के समान होता है एवं उसकी साधना होती है तथा उसे ईश्वर की शक्ति प्राप्त होती है । कलियुग में नामस्मरण श्रेष्ठ साधना है एवं उससे ही आध्यात्मिक बल मिलता है ।’’

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