केरल की कांग्रेस को तथा वहां की वामपंथी सरकार को शबरीमला मेला होने नहीं देना है ! – टी.बी. शेखर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, शबरीमला अयप्पा सेवा समाजम्
‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’की स्थापना वर्ष २००८ में मिजोरम के पूर्व राज्यपाल कुमारम् राजशेखरची की अध्यक्षता में की गई । ‘सर्व्ह अय्यप्पा सेव्ह शबरीमला’ (अय्यप्पा स्वामीजी की सेवा करें, शबरीमला की रक्षा करें), इस उद्देश्य से ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’की स्थापना की गई । शबरीमला आनेवाले भक्तों को भगवान अय्यप्पा का सुरक्षित तथा बिना किसी असुविधा से व्यवस्थित दर्शन हो, इसके लिए यह संस्था कार्यरत है; क्योंकि यहां आनेवाले यात्रियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है । केरल में अभी तक सत्ता में रही कांग्रेस अथवा वामपंथियों की सरकारें हिन्दूविरोधी हैं । उन्हें हिन्दू यात्रियों यात्रा निर्विघ्नरूप से संपन्न हो, ऐसा नहीं होने देना है । उसके लिए वे इस मेले में अनेक बाधाएं उत्पन्न करते हैं, ऐसा प्रतिपादन शबरीमला अयप्पा सेवा समाजम् के राष्ट्रीय अध्यक्ष टी.बी. शेखर ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में किया । वर्ष २०१७ से श्री. टी.बी. शेखर ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ।
श्री. शेखर ने आगे कहा कि केरल सरकार अन्नदान का विरोध करती है । भगवान अय्यप्पा ‘अन्नदान प्रभु’ के नाम से विख्यात हैं । अन्नदान करने हेतु भी ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’को न्यायालय जाकर अनुमति लेनी पडी । शबरीमला रथयात्रा ४८ दिन चलती है । इस मेले की अवधि में प्रतिदिन ८० सहस्र यात्री शबरीमला आते हैं । इन यात्रियों के लिए ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’ने केरल में १४० अन्नदान केंद्र खोले हैं । यहां प्रति ५० किलोमीटर पर एक अन्नदान केंद्र खोला गया है । ईसाईयों ने शबरीमला परिसर में एक चर्च बनाने का प्रयास किया; परंतु हिन्दुओं के विरोध के कारण वह काम बंद हुआ । आरंबोल में हवाई अड्डा बनाने हेतु वहां का ध्वजस्तंभ हटाने का प्रयास किया गया ।
शबरीमला मंदिर में विराजमान भगवान अय्यपा ‘चिन्मय’ मुद्रा में हैं; इसलिए मंदिर परंपरा के अनुसार इस मंदिर में १० वर्ष से अधिक लडकियों तथा ५० वर्ष के नीचे की महिलाओं को प्रवेश वर्जित है । वर्ष २०१९ में सर्वाेच्च न्यायालय ने सभी आयुसमूह की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का निर्णय दिया । इस निर्णय के विरुद्ध ६० सहस्र महिलाओं ने सडक पर उतरकर आंदोलन कर मंदिर की परंपरा तोडने का विरोध किया । उसके कारण मंदिर की यह प्रथा जारी रही । वैटिकन एवं मक्का के उपरांत शबरीमला में सर्वाधिक यात्री आते हैं । सरकार को यहां आनेवाले यात्रियों की संख्या अल्प करनी है, उसके कारण वे बाधाएं उत्पन्न करते हैं ।
गोरक्षा का कार्य करते समय भगवान ने हमारी रक्षा की ! – सतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, गोरक्षा दल तथा राष्ट्रीय संगठनमंत्री, श्री हिन्दू तख्त, पंजाब
गाय बची, तभी जाकर विश्व बचेगा । सरकार अपना कार्य करेगी; परंतु राष्ट्र, धर्म एवं गोरक्षा का कार्य करना हो, तो उसके लिए लडना पडेगा । धर्म एवं अधर्म के मध्य निश्चित ही युद्ध होनेवाला है । एक न एक दिन हिन्दुओं को आरपार की लडाई लडनी पडेगी । उसके लिए हिन्दुओं को अभी से तैय्यारी करनी पडेगी । अभी भी भारत में गोहत्या तथा पशुवधगृह बंद नहीं हुए हैं । गोरक्षकों के कष्टों में कोई न्यूनता नहीं आई है । आज भी गोरक्षकों को ही गिरफ्तार किया जाता है । गोरक्षा का कार्य करते समय हम पर अनेक आक्रमण हुए; परंतु उसमें भी भगवान ने हमारी रक्षा की । देवता, धर्म, राष्ट्र तथा गोमाता की रक्षा की, तभी हमें आनंद मिलनेवाला है । सरकार गोमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर गोहत्या बंद करे, यह हमारी मांग है; ऐसा प्रतिपादन गोरक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश कुमार ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तृतीय दिन अर्थात २६ जून को किया ।
सतीश कुमार द्वारा कारागृह में की गई साधना
गोरक्षा के कार्य के कारण मैं स्वयं ३ वर्ष कारागृह में था । वहां मैंने भगवान का नामस्मरण किया, साथ ही ५ ग्रंथ लिखे । जिस दिन मुझे कारागृह में डाला गया, उस दिन श्रीकृष्णजन्माष्टमी थी । मृत्यु तो प्रत्येक व्यक्ति को आने ही वाली है । वो कष्ट शरीर से संबंधित हैं, मन से नहीं ! इसलिए धर्म का कार्य करना हो, तो भय छोड देना चाहिए ।
विगत कुछ वर्षाें से हिन्दू जनजागृति समिति भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रयास कर रही है । गोवा की भूमि में हो रहे ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों’ से हिन्दू राष्ट्र की मांग उठी थी, जो अब संपूर्ण देश से उठ रही है ! – सतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, गोरक्षा दल
ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हलाल प्रमाणपत्र की इस्लामी अर्थव्यवस्था को रोकें ! – नरेंद्र सुर्वे, प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति, देहली
विगत अनेक शताब्दियों से भारत पर इस्लामी आक्रमण हो रहे हैं । संबंधित कालावधि में आक्रांताओं ने आक्रमण की पद्धति बदली है । अमेरिका ने अपनी अर्थव्यवस्था के बल पर विश्व पर राज किया । विश्व पर राज करने हेतु अर्थव्यवस्था मजबूत करनी पडेगी, यह बात ध्यान में आने पर प्रथम ‘इस्लामिक बैंकींग’ आरंभ हुआ । भारत में कांग्रेस के कार्यकाल में तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग ने भारत में ‘इस्लामिक बैंकिंग’ को अनुमति दी थी; परंतु उनकी सरकार चली जाने से उस पर कार्यवाही नहीं हुई । उसके उपरांत हलाल प्रमाणपत्र आरंभ किया गया । वर्ष २०१७ में हलाल प्रमाणपत्र से संबंधित अर्थव्यवस्था २.१ यू.एस्. ट्रिलियन डॉलर्स (१ सहस्र ७५४ लाख करोड) रुपए से अधिक थी । वर्ष २०२८ तक हलाल प्रमाणपत्र से संबंधित अर्थव्यवस्था ४ यू.एस्. ट्रिलियन डॉलर्स (३ सहस्र ४०० लाख करोड रुपए से अधिक) तब बढने की संभावना है । जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस इन देशों में हलाल प्रमाणपत्र का विरोध हो रहा है । उत्तरप्रदेश में नवंबर २०२३ में हलाल प्रमाणपत्र पर प्रतिबंध लगाया गया है । प्रतिबंध के उपरांत की गई कार्यवाही में उत्तरप्रदेश में ३ सहस्र किलो हलाल उत्पाद जब्त किए गए । महाराष्ट्र में तीर्थस्थलों पर स्थित दुकानों में निकृष्ट गुणवत्तावाला प्रसाद बेचा जाता है; उसके कारण तीर्थस्थलों पर स्थित प्रसाद के दुकानों को ‘ॐ प्रतिष्ठान’ की ओर से ‘ॐ प्रमाणपत्र’ दिया जानेवाला है । ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हिन्दू हलाल प्रमाणपत्र को झटका दें ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु युवकों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर बलशाली बनना चाहिए ! – प्रज्वल गुप्ता, अध्यक्ष, हिन्दू जनसेवा समिति
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी हो, तो युवकों को हिन्दू राष्ट्र हेतु प्रेरित करना पडेगा, साथ ही युवकों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर बलशाली बनना पडेगा । धर्म के कारण ही समाज की रक्षा होनेवाली है; इसलिए धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दुओं को जागृत करना पडेगा, ऐसा प्रतिपादन श्री. प्रज्वल गुप्ता ने किया ।
श्री. प्रज्वल गुप्ता ने युवकों का संगठन करने हेतु काकोरी (जि. लक्ष्मणपुरी) में हिन्दू जननसेवा समिति की स्थापना की । उन्होंने आगे कहा, ‘‘लक्ष्मणपुरी के आसपास के परिसर में वर्ष २०१२ से २०१५ की अवधि में ईसाईयों द्वारा बडे स्तर पर धर्मांतरण किया जा रहा था । उसके लिए हमने वर्ष २०१६ में १ सहस्र २०० धर्मांतरित घरों में कलशों की स्थापना की तथा उनसे यज्ञ में आहुति डालने का आवाहन किया । उसके उपरांत हमने ५-५ युवकों को एक-एक मंदिर का दायित्व सौंपा । इस प्रकार हमने ५०० युवकों को १०० मंदिरों से जोडा है । इन मंदिरों में प्रतिसप्ताह एक बार स्वच्छता की जाती है, साथ ही हनुमानचालीसा का पाठ किया जाता है तथा नामसंकीर्तन किया जाता है ।’’