संभाजीनगर के देवगिरी किले के भारतमाता मंदिर में पुरातत्व विभाग द्वारा पूजा पर रोक लगाने का मामला !
पूजा पर रोक का निर्णय वापस न लेने पर हिंदुत्वनिष्ठ मंदिर में घुसकर आंदोलन करेंगे
देश के एकमात्र भारत माता मंदिर में पुरातत्व विभाग ने पूजा पर रोक लगा दी है। छत्रपति संभाजीनगर के देवगिरी किले में भारत माता का मंदिर है। वर्ष 1948 से, अर्थात पिछले 75 वर्षाें से वहां पूजा हो रही थी। हाल ही में पुरातत्व विभाग ने पुजारियों को एक पत्र भेजकर वहां पूजा नहीं कर सकते, ऐसा तुगलकी फरमान जारी किया है। इसका ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में एकमत से तीव्र विरोध किया गया, साथ ही तुरंत पूर्व की भांति वहां पूजा की अनुमति देने की मांग भी की गई। इस समय ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ यह प्रस्ताव पारित किया गया।
यदि तुरंत पूर्ववत पूजा की अनुमति नहीं दी गई, तो शिवप्रेमी, दुर्गप्रेमी और हिंदुत्वनिष्ठ देवगिरी के भारतमाता मंदिर में जाकर सामूहिक पूजा करेंगे और वहां कानून और व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने पर इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की होगी। इस प्रकार किले पर चल रही भारतमाता मंदिर की पूजा को बंद कर तमाम हिंदू गप्रेमी, शिवप्रेमियों की नाराजगी का कारण न बनाएं, अन्यथा ये सभी सड़क पर उतरकर आंदोलन किए बिना नहीं रूकेंगे।
वास्तव में पुरातत्त्व विभाग के नियमों के अनुसार, किसी पुरातत्व संरचना में पूर्व से कोई धार्मिक गतिविधि हो रही हो, तो उसे बंद नहीं किया जा सकता । ताज महल में हर शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करता है । काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त कर बनाए गए ज्ञानवापी में नमाज अदा की जाती है । इसी प्रकार मध्य प्रदेश की भोजशाला में कमाल मौलाना मस्जिद में नमाज अदा की जाती है। यदि भारतमाता मंदिर में 1948 से पूजा हो रही हो और उसे बंद किया जा रहा हो, तो इसी प्रकार ताजमहल, ज्ञानवापी और धार की कमाल मौलाना मस्जिद में नमाज बंद कर के दिखाएं, ऐसा चुनौती ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के माध्यम से केंद्रीय पुरातत्व विभाग को दी गई है । वास्तव में भारतमाता की पूजा बंद कर पुरातत्व विभाग ने भारत के साथ द्रोह किया है। ऐसे लोगों पर केंद्र सरकार ने कठोर कानूनी कार्रवाई कर देशवासियों में एक अच्छा संदेश देना चाहिए, ऐसी मांग भी हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य के संगठक श्री. सुनील घनवट ने की है।