वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र महोत्‍सव का पांचवां दिन (२८ जून) : मंदिरों की रक्षा हेतु न्‍यायालयीन प्रयास

बाएं से, अधिवक्‍ता कृष्‍णराज आर्. (एर्नाकुलम्, केरल), अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन (सर्वोच्‍च न्‍यायालय तथा प्रवक्‍ता, हिन्‍दू फ्रंट फॉर जस्‍टीस), अधिवक्‍ता बालासुब्रह्मण्‍यम् कामरसु (सर्वोच्‍च न्‍यायालय) एवं नामराम रेड्डी (राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय वानर सेना, तेलंगाना)

भक्‍ति तथा उपासना के केंद्र मंदिर अब राजनीतिक दलों के केंद्र बन चुके हैं ! – अधिवक्‍ता बालासुब्रह्मण्‍यम् कामरसु, सर्वोच्‍च न्‍यायालय

अधिवक्‍ता बालासुब्रह्मण्‍यम् कामरसु, सर्वोच्‍च न्‍यायालय

प्राचीन काल में मंदिर केवल पूजा-पाठ के केंद्र नहीं थे, अपितु सर्वांगीण विकास के केंद्र थे । स्‍वतंत्रता संग्राम में मंदिर स्‍वतंत्रतासेनानियों के लिए शक्‍तिकेंद्र बने थे । उसके उपरांत मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना अल्‍प हुआ । उसके कारण हिन्‍दुओं का धर्मांतरण करना सरल हुआ । स्‍वतंत्रता के उपरांत आई सरकारों ने अंग्रेजों की ही नीति अपनाई । उन्‍होंने अनेक धनवान मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर मंदिरों की संपत्ति लूटना आरंभ किया । उसके कारण मंदिरों की स्‍थिति में सुधार आने की अपेक्षा उनकी स्‍थिति और अधिक दयनीय हुई । अनेक मंदिरों की समितियों में सत्ताधारी दलों की ओर से उनके अपने कार्यकर्ताओं को घुसाकर उन्‍हें स्‍थापित करने का प्रयास किया जाता है । उन कार्यकर्ताओं के द्वारा मंदिर के धन का विनियोग सरकारी योजनाओं के लिए भरभरकर किया जाता है । उसके कारण अब मंदिर भक्‍ति एवं उपासना के केंद्र न रहकर राजनीतिक दलों के केंद्र बन चुके हैं । मंदिरों की पुनर्स्‍थापना का मार्ग निश्‍चित ही कठिन है; परंतु हमारे प्रयास व्‍यर्थ नहीं होंगे । मेरा यह दृढ विश्‍वस है कि हम मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्‍त करने में सफल होंगे, ऐसा प्रतिपादन सर्वोच्‍च न्‍यायालयाचे अधिवक्‍ता बालासुब्रह्मण्‍यम् ने ‘वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र महोत्‍सव’के पांचवें दिन किया ।

मैं जब तक जीवित हूं, तब तक मंदिरों की रक्षा के लिए लडूंंगा ! – नामराम रेड्डी, राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय वानर सेना, तेलंगाना

नामराम रेड्डी, राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय वानर सेना, तेलंगाना

वर्ष १९९२ में पाकिस्‍तान के गुप्‍तचर संगठन ‘आई.एस्.आई.’ ने मुझे मारने के लिए २ बार रेकी की । मुझे मारने हेतु कुछ लोग आए थे; परंतु मैं वहां नहीं था, उसके कारण वे मेरे मित्र से मारपीट करके चले गए । मैं जहां नियमितरूप से जाता हूं, वहां मारने हेतु वे वहां आए थे । मेरे घर से १५ कि.मी. की दूरी पर स्‍थित एक मंदिर को मुसलमानों ने अपने नियंत्रण में करने का प्रयास किया, जिस मंदिर में छत्रपति शिवाजी महाराज आए थे । मैंने सूचना के अधिकार का उपयोग कर इस मंदिर की भूमि मुक्‍त करने हेतु न्‍यायालयीन लडाई लडी । अभी तक राष्‍ट्रीय वानर सेना ने मंदिरों की ३ सहस्र एकर भूमि मुसलमानों के नियंत्रण से मुक्‍त की है । यह काम करने हेतु ही भगवान ने मुझे प्रत्‍येक बार बचाया है । हनुमानजी मेरे साथ हैं; इसलिए मैं अभी तक मंदिर से संबंधित एक भी अभियोग नहीं हारा हूं । पिछले १५ वर्ष में वानर सेना का कार्य तेलंगनासहित आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक इन राज्‍यों में भी बढ रहा है । मंदिरों की रक्षा के कार्य में विभिन्‍न हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ संगठन मेरी सहायता कर रहे हैं । हमारा कार्य पारदर्शी है । एक बडे वृक्ष की अपेक्षा यदि अनेक छोटे-छोटे वृक्ष हो, तो उससे ऑक्‍सिजन अधिक मिलती है, तो उस प्रकार से विभिन्‍न संगठनों के माध्‍यम से हमें धर्मकार्य करना चाहिए; परंतु सभी को एकत्रित रहना महत्त्वपूर्ण है । मंदिरों की रक्षा हेतु उच्‍च अथवा सर्वोच्‍च न्‍यायालय में कानूनी लडाई लडने हेतु मैं सहायता करूंगा । जब तक मैं जीवित हूं, तब तक मैं मंदिरों की रक्षा की लडाई लडता रहूंगा ।

केरल में वामपंथ का प्रवेश होने के उपरांत हिन्‍दुओं का उत्‍पीडन होना आरंभ हुआ ! – अधिवक्‍ता कृष्‍णराज आर्. एर्नाकुलम्, केरल

अधिवक्‍ता कृष्‍णराज आर्. एर्नाकुलम्, केरल

वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र महोत्‍सव में भाग लेना मेरे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण क्षण है । मैं एक स्‍वाभिमानी हिन्‍दू हूं । स्‍वाभिमानी हिन्‍दुओं के यह सम्‍मेलन हिन्‍दुओं के लिए प्रेरणादायक है । केरल में हिन्‍दुओं को लव जिहाद जैसी अनेक समस्‍याओं का सामना करना पडता है । केरल का कोई भी हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ संगठन उनकी सहायता के लिए नहीं आता । केरल में वामपंथ ने प्रवेश करने से लेकर वहां हिन्‍दुओं का उत्‍पीडन होना आरंभ हुआ है, ऐसी जानकारी एर्नाकुलम्, केरल के अधिवक्‍ता कृष्‍णराज आर्. ने वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र महोत्‍सव में बोलते हुए दी ।

सर्वोच्‍च न्‍यायालय एक निर्णय दिया है, जिसमें राज्‍य सरकारों, केंद्र सरकार तथा न्‍यायतंत्र को छोटे मंदिरों की रक्षा करनी चाहिए, ऐसा कहा गया है । इस निर्णय के आधार पर मैंने मंदिरों की रक्षा हेतु न्‍यायालयीन लडाई आरंभ की । मंदिर की संपत्ति की रक्षा करना भक्‍तों का कर्तव्‍य है तथा वह उनका अधिकार भी है । राज्‍य की हिन्‍दूविरोधी सरकार ने शबरीमला प्रकरण को एक अलग ही मोड दिया । इस प्रकरण में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने जो निर्णय दिया, उस निर्णय का इस सरकार ने अपलाभ उठाया । जिहादी टीपू सुल्‍तान ने केरल के मुसलमानबहुल मल्लपुरम् जिले के सर्वाधिक मंदिर ध्‍वस्‍त किए । हिन्‍दू संगठनों को मंदिरों की रक्षा हेतु सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ।

ज्ञानवापी मंदिर में हिन्‍दुओं को पूजा का अधिकार मिले, वह दिन अब बहुत दूर नहीं ! – अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन, सर्वोच्‍च न्‍यायालय तथा प्रवक्‍ता, हिन्‍दू फ्रंट फॉर जस्‍टीस

अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन, सर्वोच्‍च न्‍यायालय तथा प्रवक्‍ता, हिन्‍दू फ्रंट फॉर जस्‍टीस

१. वर्ष २०२२ में न्‍यायालय ने ज्ञानवापी मंदिर का अभियोग ‘प्‍लेसेस ऑफ वरशिप एक्‍ट’ से बाधित नहीं होता, ऐसा निर्णय दिया । पुरातत्‍व विभाग के सर्वेक्षण में इस स्‍थान पर ‘वजू’ (मस्‍जिद में प्रवेश करने से पूर्व पैर धोने का स्‍थान) करने के स्‍थान पर शिवलिंग दिखाई दिया । वह इस अभियोग का निर्णायक मोड था । नंदीजी से ८३ फीट की दूरी पर यह शिवलिंग स्‍थित है । जिला न्‍यायालय में हमने शिवलिंग का सर्वेक्षण करने की मांग की थी । न्‍यायालय ने हमारी याचिका खारीज की, जिसे हमने इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय में चुनौती दी । उच्‍च न्‍यायालय ने इस पर पुरातत्‍व विभाग का मत मांगा । पुरातत्‍व विभाग ने सर्वेक्षण की अनुमति दी; परंतु ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्‍जिद कमेटी’ इस पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय गई, तब न्‍यायालय ने शिवलिंग के सर्वेक्षण के निर्णय पर रोक लगा दी है । मंदिर तोडा भी जाए, तब भी वहां स्‍थित देवता का अस्‍तित्‍व समाप्‍त नहीं होता । भगवान का सूक्ष्मरूप में वहांं वास होता है । शिवलिंग का जब सर्वेक्षण होगा, तब सत्‍य उजागर होगा ही ! अब वह दिन दूर नहीं जब ज्ञानव्‍यापी मुक्‍त होकर हिन्‍दुओं को वहां पूजा का अधिकार मिलेगा ।

२. मथुरा की श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि के सर्वेक्षण को इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के द्वारा ‘एडवोकेट कमिशन’ के द्वारा सर्वेक्षण करने की मान्‍यता दिए जाने के उपरांत फरवरी से मई २०२४ की अवधि में सर्वेक्षण हुआ । श्रीकृष्‍ण भूमि पर दावा  करनेवाली शाही ईदगाह मस्‍जिद की ओर से सर्वेक्षण के निर्णय के को सर्वोच्‍च न्‍यायालय में चुनौती दी गई है । इस पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने सर्वेक्षण पर रोक लगाई है । जुलाई के महिने में इस पर सुनवाई होने की संभावना है ।

भोजशाला के सर्वेक्षण में मिली देवताओं की मूर्तियों का ब्‍योरा जनता के सामने रखेंगे !

पुरातत्त्व विभाग की ओर से मध्‍यप्रदेश की भोजशाला का ९० दिन तक सर्वेक्षण किया गया । इस सर्वेक्षण में श्री गणेश, श्री नृसिंह, श्री दुर्गादेवी, श्री हनुमान, श्री पार्वतीमाता, परिवारसहिंत श्री ब्रह्माजी, श्री महिषासुरमर्दिनी देवी आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली । पुरातत्त्व विभाग से सर्वेक्षण का ब्‍योरा प्राप्‍त होने पर हम उसे जनता के सामने रखेंगे । वह दिन अब दूर नहीं जिस दिन भोजशाला को न्‍याय मिलेगा; यह विश्‍वास अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन ने व्‍यक्‍त किया ।
किष्‍किंधा मुक्‍त कराने हेतु हिन्‍दुओं की एकजुटता आवश्‍यक !

कर्नाटक के कोपर में स्‍थित किष्‍किंधा में हनुमानजी का जन्‍मस्‍थान है । कर्नाटक की सरकार ने वर्ष २०१८ में उसके व्‍यवस्‍थापन करने के नाम पर इस भूमि का अधिग्रहण किया है । किष्‍किंधा की भूमि को सरकारीकरण से मुक्‍त करना महत्त्वपूर्ण है । इसके लिए हिन्‍दुओं को एकजुटता से लडाई लडनी आवश्‍यक है, ऐसा भी अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन ने कहा ।

सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी तथा हिन्‍दू जनजागृति समिति के कारण कार्य को दिशा मिली ! – अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन

मैं तथा मेरे पिता पू. हरि शंकर जैनजी हिन्‍दू जनजागृति समिति के कार्य से विगत १२ वर्षों से जुडे हैं । प्रतिवर्ष हम हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन में आते हैं । यह १२ वर्ष की आध्‍यात्मिक यात्रा थी । समिति के संपर्क में आने के उपरांत मेरे दृष्‍टिकोण में परिवर्तन आया । हिन्‍दू जनजागृति समिति ने मुझे तथा मेरे पिता को इसका भान करा दिया कि मंदिरों हेतु न्‍यायालयीन लडाई लडना हमारी साधना है । हिन्‍दू जनजागृति समिति धर्मकार्य का वटवृक्ष है तथा हम उसके अंश हैं । हिन्‍दू जनजागृति समिति तथा सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने हमें बहुत कुछ सिखने को मिला । वर्ष में एक बार हम वैश्‍विक हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन में सम्‍मिलित होते हैं । इस अधिवेशन में जो संस्‍कार मिलते हैं, वह हमारे लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं । जो इस महोत्‍सव में पहली बार सम्‍मिलित हुए हैं, वे अनेक बातें सीख लें । हिन्‍दू संगठन का कार्य कैसे करना चाहिए ?, इसका हिन्‍दू जनजागृति समिति एक ‘मॉडल’ (आदर्श उदाहरण) है; ऐसे अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन ने ‘हिन्‍दू जनजागृति समिति’ तथा ‘सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी’के प्रति व्‍यक्‍त किए ।

संत सन्मान

सुश्री रामप्रियाजी माई (अध्यक्ष, रामप्रिया फाउंडेशन, अमरावती, महाराष्ट्र) का सन्मान करते पू. (श्रीमती) सुनीता खेमका (सनातन संस्था की संत, झारखंड)

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