हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु त्याग करने के लिए तैयार हों ! – प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजा सिंह लोध, तेलंगाना
अनेक लोगों ने प्राणों का त्याग किया, तब जाकर भारत को स्वतंत्रता मिली । गुरु गोविंदसिंह ने अपने पुत्रों सहित बलिदान दिया । छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, वीर सावरकर सहित अनेक क्रांतिकारियों ने राष्ट्र और धर्म के लिए त्याग किया । देश के लिए बलिदान देनेवालों का सदैव स्मरण करेंगे । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए भी हर तरीके से प्रयत्न करना होगा । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए त्याग करने के लिए तैयार हों, ऐसा आवाहन भाजपा के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजा सिंह लोध ने किया ।
विधायक टी. राजा सिंह लोध द्वारा प्रस्तुत जाज्वल्य विचार
१. मैं राजनीति में सत्ता के लिए नहीं आया, अपितु रामराज्य की स्थापना करने के लिए आया हूं । अनेक लोकप्रतिनिधि चुनकर आने से पहले हिन्दुत्वनिष्ठ होने का नाटक करते हैं । सत्ता प्राप्त होेे जाने पर धर्मनिरपेक्ष बन जाते हैं ।
२. हाल ही में बकरी ईद के दिन गायों की रक्षा करने के लिए एक भी लोेेकप्रतिनिधि रास्ते पर नहीं उतरा । हम रातभर गायों की रक्षा के लिए कार्यरत थे । इसलिए तेलंगाना में गाय काटनेवालों को १०० बार विचार करना पडता है ।
३. स्वतंत्रताप्राप्ति से ही भारत का इस्लामीकरण करने का षड्यंत्र शुरू है । वर्तमान में प्रशासन के बडे अधिकारी हिन्दुत्व के विरुद्ध हैं । हिन्दुत्वनिष्ठ युवकों को उच्च पद तक पहुंचाएं, जिससे वे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए योगदान दे सकें ।
४. जब तक देश में धर्मनिरपेक्ष नेता हैं, तब तक भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित नहीं किया जा सकता । लगभग ५० हिन्दुत्वनिष्ठ सांसद चुनकर लाना आवश्यक है, जो संसद में हिन्दू राष्ट्र की मांग करेंगे ।
५. आनेवाला काल कठिन है । धर्मकार्य करना है, तो निर्भय होना होगा । केवल बातों से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी । उसके लिए लडना ही होगा ।
हिन्दुत्व के लिए संघर्ष करनेवालों का अभिनंदन ! – विधायक टी. राजा सिंह लोध
डॉ. दाभोलकर की हत्या के लिए पुलिस ने हिन्दुत्वनिष्ठों को बंदी बनाया । डॉ. वीरेंद्र तावडे, अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर, श्री. विक्रम भावे को कारागृह में जाना पडा । उन्हें निर्दाेष मुक्त कर दिया है; परंतु अब भी सचिन अंदुरे और शरद कळसकर को दंड हुआ है । हिन्दू संगठित नहीं हैं, इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठों पर ऐसा समय आ गया है । जिन अधिवक्ताओं ने हिन्दुत्वनिष्ठों को छुडाने में न्यायालयीन संघर्ष किया, उनका मैं अभिनंदन करता हूं । उन्होंने हिन्दुत्व के लिए संघर्ष किया ।
हम भगवान और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के आशीर्वाद के कारण धर्मकार्य कर सकते हैं !
प्रत्येक राज्य में हिन्दुओं का संगठन बनाना आवश्यक है, जिससे सरकार पर दबाव निर्माण होगा । तेलंगाना में मैं अकेले ही हिन्दुत्व के लिए कार्य कर रहा हूं । वहां सहायता के लिए कोई नहीं; परंतु मुख्यमंत्री को भी सोचना पडता है कि ‘हम कब क्या करेंगे ?’, कारण यह कि भगवान एवं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के आशीर्वाद और हिन्दुत्वनिष्ठों की सहायता के कारण ही मैं यह कार्य कर पा रहा हूं ।
आगामी काल में संकटों का सामना करना ही होगा !
आगामी काल संकटाें का है; परंतु साधना से इस वातावरण को बदला जा सकता है । अखंड हिन्दू राष्ट्र के लिए साधना करना आवश्यक है । हिन्दुओं का संगठन बनाने के लिए भी साधना ही आवश्यक है । यदि अभी भूल की, तो आनेवाले काल में बडे संकट का सामना करना होगा ।
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाए बिना नहीं रुकेंगे !
लोकप्रतिनिधि अपने बच्चों को हिन्दुत्व नहीं सिखाते । मेरे ३ लडके हैं । धर्मकार्य के लिए एक हुतात्मा हो गया, तब भी अन्य २ पुत्र धर्म के लिए तैयार हैं । जब तक भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं बनाते, तब तक मैं रुकूंगा नहीं । भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिन्दुओं को त्याग करने की आवश्यकता है । साधना के बल पर ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सकते हैं ।
सन्मान
इस अवसर पर मध्यप्रदेश के हिन्दू युवा संगठन के अध्यक्ष श्री. निर्मल पाटीदार और ओडिशा के ‘गोरक्षा दल’के अधिवक्ता सुरेशकुमार पांडा ने गोमाता की प्रतिमा देकर विधायक टी. राजासिंह लोध को व्यासपीठ पर सम्मानित किया ।
क्षणिकाएं :
१. श्री. राजा सिंह लोध व्यासपीठ पर आने के पश्चात, उनका भाषण आरंभ होने से पहले और भाषण समाप्त होने पर उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों ने उत्स्फूर्तता से जयघोष किए । अंतिम सत्र समाप्त होने पर श्री. राजा सिंह लोध के साथ छायाचित्र खिंचवाने के लिए सभी हिन्दुत्वनिष्ठों की भीड हो गई थी ।
२. श्री. राजा सिंह इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में अपने साथ अपने बेटे कु. चंद्रशेखर सिंह को भी लेकर आए थे । इस अवसर पर कु. चंद्रशेखर ने व्यासपीठ पर आकर अपना मनोगत व्यक्त किया । तदुपरांत उपस्थितों ने उत्साहपूर्ण जयघोष करते हुए उसका मनोबल बढाया । इस संदर्भ में श्री. राजा सिंह ने कहा, ‘‘व्यासपीठ पर कैसे बोलना है ? यह केवल हिन्दू जनजागृति समिति में सिखाया जाता है । इसलिए मैं अपने बेटे को साथ में लेकर आया हूं ।
दाभोलकर हत्या प्रकरण अभियोग का निर्णय न्यायालय तथा अन्वेषण विभागों ने पहले ही सुनिश्चित किया था ! – अधिवक्ता प्रकाश साळसिंगीकर, उच्च न्यायालय, मुंबई, महाराष्ट्र
दाभोलकर हत्या प्रकरण का अभियोग अन्य अभियोगों से भिन्न था । इस अभियोग का निर्णय क्या देना है ?, इसे न्यायालय तथा अन्वेषण विभागों ने पहले ही सुनिश्चित कर लिया था, ऐसा उनके व्यवहार से लग रहा था । पुणे जिला सत्र न्यायालय ने जिन २ आरोपियों को दंडित किया है, उसे हम उच्च न्यायालय में चुनौती देनेवाले हैं । उसमें ये दोनों आरोपी निर्दोष मुक्त होंगे, इसके प्रति हम आश्वस्त हैं, ऐसा दृढतापूर्ण प्रतिपादन दाभोलकर हत्या प्रकरण के अधिवक्ता प्रकाश साळसिंगीकर ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’के छठे दिन व्यक्त किया । इस अवसर पर व्यासपीठ पर मुंबई उच्च न्यायालय के अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय, सनातन के साधक श्री. विक्रम भावे तथा तेलंगना के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक श्री. श्री. राजा सिंह लोध उपस्थित थे ।
अधिवक्ता साळसिंगीकर ने कहा,
१. ‘‘जब यह अभियोग लडने का अवसर मिला, उस समय ‘इस माध्यम से मुझे अपने विचारों की लडाई लडने का अवसर मिला है ।’, ऐसा मुझे लगा । दाभोलकर हत्या प्रकरण के मुख्य अन्वेषण अधिकारी एस्.आर्. सिंह की साक्ष्य के समय उनके पास कागदपत्रों का संच था; परंतु उनका प्रतिपरीक्षण करते समय वह संच अचानक गायब हुआ था । उस समय न्यायालय का सभागार खचाखच भरा हुआ था । इस संच के विषय में एस्.आर्. सिंह ने उठपटांग उत्तर दिए, उसके कारण उसे ढूंढने में बहुत समय व्यर्थ हुआ । वह जब मिला, तब उसमें से कुछ कागद खो गए हैं, ऐसा दिखाई दिया । इस अभियोग में सरकारी परक्ष के लोगों का अधिक से अधिक समय दिया गया, अपितु हमें अल्प समय दिया गया । कुल मिलाकर इस अभियोग के संदर्भ में अनेक प्रसंगों में न्यायालय में हमारे साथ पक्षपात हुआ ।
२. जब एक साक्ष्यकर्ता की साक्ष्य चल रही थी, तब उसे पूछा किया कि आपको साक्ष्य कैसे बतानी है, क्या यह आपको किसी ने पढाया था ? उसी समय न्यायालय से एक व्यक्ति उठकर बाहर जाता हुआ दिखाई दिया । उसके उपरांत उस साक्ष्यकर्ता ने उस भाग जा रहे व्यक्ति की ओर देखकर ‘उन्होंने ही मुझे साक्ष्य देने के विषय में समझाया है’, ऐसा बताया । वह व्यक्ति अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का (अंनिस का) पदाधिकारी था । यह बात न्यायाधीश ने बहुत सहजता से ली । इस प्रकरण में संदिग्ध आरोपियों पर ‘यू.ए.पी.ए.’ (गैरकारनूनी अपराध (प्रतिबंध) कानून) लगाया गया था । एकल हत्या में यह कानून लगाना अनुचित था ।’’
न्याय व्यवस्था में परिवर्तन के लिए चलाया जाएगा आंदोलन ! – अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय, अध्यक्ष, लॉयर्स फॉर जस्ट सोसाइटी, मुंबई
डॉ. दाभोलकर हत्याकांड एक हत्या का प्रकरण है; लेकिन समस्त जांच एजेंसियों ने उसे अलग मोड़ दे दिया । यह प्रकरण सनातन साधकों को फंसाने के एकमात्र उद्देश्य से आरंभ किया गया था । इन प्रणालियों ने इस प्रकरण को उसी दिशा में एक ही पद्धति से आगे बढ़ाने का प्रयास किया । प्रकरण की जांच बहुत तनाव में की जा रही थी । ऐसे समय में न्यायाधीश निष्पक्ष नहीं रहता । इस प्रकरण पर उच्च न्यायालय की पैनी दृष्टि थी । इसलिए सभी पर उनका तनाव था । इस प्रकरण में आरोप पत्र प्रविष्ट किया गया था; लेकिन एक विरोधाभास था । इस प्रकरण को अदालत ने कई वर्षों तक खींचा तथा सनातन साधकों को इसकी बहुत पीड़ा सहनी पड़ी एवं सनातन संस्था की असीमित हानि हुई । हिंदुत्ववादी अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में न्याय व्यवस्था में परिवर्तन के लिए आंदोलन आरंभ किया जाएगा ।
अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने आगे कहा कि आज न्यायालय में हिन्दू विरुद्ध गैर-हिंदू’ की लड़ाई चल रही है । आज के नक्सली तथा साम्यवादी विचारधारा के न्यायाधीश विलासपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं । उन्हें धर्म, संस्कृति अथवा मर्यादा किसीकी चिंता नहीं है । इन न्यायधीशों को धर्म का कोई ज्ञान नहीं है । यदि न्यायाधीश को न्यायशास्त्र, मर्यादा, धर्मशास्त्र, धर्म-अधर्म का ज्ञान हो तो वह उचित न्यायदान कर सकता है । राष्ट्र-विरोधी और धर्म-विरोधी लोगों का ‘इकोसिस्टम’ बहुत प्रभावी है । इससे निपटने के लिए अपने दबाव समूह को तैयार करना आवश्यक है ।
मैं सीबीआई जांच अधिकारी सुभाष रामरूप सिंह को सजा दिलाने का प्रयास करूंगा ! – विक्रम भावे, साधक सनातन संस्था
सीबीआई के जांच अधिकारी सुभाष रामरूप सिंह ने मुझे झूठे आरोप में बंदी बनाया । सिंह ने मुझे बताया कि उसे दूसरे राज्य में एक प्रकरण के अंतर्गत बंदी बनाया जा रहा है । सुभाष रामरूप सिंह ने मेरे विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल (दायर) कर दिया । मैंने जमानत के लिए आवेदन किया; लेकिन मेरी जमानत अर्जी निरस्त कर दी गई । मुझे झूठा बताकर जमानत देने से मना कर दिया गया कि मुझ पर आतंकवाद का आरोप है । इसलिए मुझे 2 वर्ष जेल में काटने पड़े, जबकि मैंने कोई अपराध नहीं किया था । बाद में न्यायालय ने मुझे निर्दोष मुक्त कर दिया । न्यायालय में प्रमाणित हुआ कि मुझे 2 वर्ष की जेल हुई जबकि कोई अपराध नहीं था । सीबीआई के जांच अधिकारी सुभाष रामरूप सिंह ने द्वेष की भावना से मेरे साथ अनुचित किया । ऐसे सुभाष सिंह को कड़ी सजा दिलाने का प्रयास करूंगा ।
अपने पिता समान ही ‘हिन्दू राष्ट्र’के लिए योगदान दूंगा ! – कु. चंद्रशेखर सिंह लोध (टी. राजा सिंह लोध का पुत्र)
इस प्रसंग में भाजपा के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजा सिंह का पुत्र कु. चंद्रशेखर सिंह (वय १७ वर्ष) मनोगत व्यक्त करते हुए बोला, ‘‘जिसप्रकार मेरे पिता हिन्दू राष्ट्र के लिए योगदान दे रहे हैं, उसीप्रकार मैं भी हिन्दू राष्ट्र के लिए योगदान दूंगा । मैं शासनकर्ताओं से कहना चाहता हूं, तुम राजनीति बाद में करो, उससे पहले हिन्दू राष्ट्र के लिए हिन्दुओं को संगठित करने का प्रयत्न करो ।’’
हिंदू राष्ट्र के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता ! – अधिवक्ता संजीव पुनालेकर, सचिव, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में मुझे, विक्रम भावे तथा डाॅ. वीरेंद्र सिंह तावड़े को निर्दोष मुक्त कर दिया गया; लेकिन शरद कालस्कर तथा सचिन आंदुरे को दी गई सजा अन्यायपूर्ण है । हम इसके विरुद्ध उच्चन्यायलय में जायेंगे । हमें विश्वास है कि उच्चन्यायलय में उनकी निर्दोषता प्रमाणित होगी । यह झूठा प्रकरण हिन्दू समर्थक संगठनों की गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया गया था; लेकिन हम इस कारण से हिन्दुत्व का कार्य नहीं रोकेंगे ।’ कुछ राजनेताओं ने सत्ता के लिए हिन्दुओं को फंसाने का प्रयास किया । स्वार्थपूर्ण राजनीति के कारण ही हिन्दू विभाजित हो रहे हैं । मां सरस्वती देवी का अपमान करने वाले नेता को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में लिया गया। प्रत्येक राजनीतिक दल में ऐसे स्वार्थी नेता हैं । अधिवक्ता संजीव पुनालेकर ने कहा कि इन सबके विरुद्ध हिन्दुओं को एक साथ आकर हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्य करने की आवश्यकता है । उनके भाषण को वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘वीडियो’ के माध्यम से दिखाया गया था ।