आनेवाले काल में ‘सेक्युलर’ एवं ‘सोशलिस्ट’ शब्द संविधानविरोधी ठहराए जाएंगे ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वोच्च न्यायालय एवं प्रवक्ता, हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस
हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रवक्ता और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन ‘संविधान के सेक्युलर शब्द और न्यायालयीन संघर्ष’ विषय पर मार्गदर्शन करते हुए कहा प्रा.के.टी. शाह ने वर्ष १९४८ में ३ बार ‘धर्मनिरपेक्ष’ (सेक्युलर) एवं ‘समाजवाद’ (सोशलिस्ट) शब्द संविधान में समावेश करने का प्रस्ताव रखा था; परंतु वह प्रस्ताव संविधान के मूल ढांचे से विसंगत होने से संविधान की रचना समिति ने तीनों बार उनका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया । वर्ष १९७६ के आपातकालीन समय में किसी भी प्रकार की चर्चा न करते हुए अवैधरूप से ये दोनों शब्द संविधान में घुसेड दिए गए । संविधान में इन शब्दों का समावेश ही मूलत: संविधान के विरोध में है । इन दोनों शब्दों को संविधान में समावेश करने के विरोध में हमने न्यायालय में भी याचिका प्रविष्ट की है । आनेवाले काल में ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द संविधानविरोधी ठहराए जाएंगे । आगामी जुलाई में इस पर सुनवाई होने की संभावना है ।
आगे उन्होंने कहा, ‘संविधान के प्रत्येक शब्द की व्याख्या दी गई है । संविधान में समावेश करने से पूर्व उन पर चर्चा हुई है; परंतु अबतक ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’, इन दोनों ही शब्दों की व्याख्या निश्चित नहीं की गई है । संविधान में समावेश करते समय इन शब्दों पर चर्चा भी नहीं हुई । संविधान के अनुच्छेद २५ के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्मानुसार आचरण करने का अधिकार दिया गया है । ऐसा होते हुए भी भारत के किसी भी नागरिक पर ‘धर्मनिरपेक्षता’ कैसे थोपी जा सकती है ? धर्म के नाम पर किसी से भेदभाव न किया जाए, इसके लिए सरकार धर्मनिरपेक्ष हो सकती है; परंतु किसी नागरिक पर धर्मनिरपेक्षता थोपी नहीं जा सकती । ‘समाजवाद’ शब्द के जनक कार्ल मार्क्स द्वारा लिखे गए लेखों में हिन्दू धर्म, भारत के विषय में घटिया शब्दों का उपयोग किया है । उन शब्दों का भारत के संविधान में समावेश करना, घोर अनादर है ।
केवल मुसलमानों का हितैषी ‘एम्.आइ.एम्.’ पक्ष ‘धर्मनिरपेक्ष’ कैसे ?
धर्म के आधार पर मत मांगे इसलिए हिन्दूहृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे ने संविधान की धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन किया, ऐसा कहने लगे; फिर यही बात असदुद्दीन ओवैसी पर लागू नहीं होती क्या ? भारत में किसी भी राजकीय पक्ष का पंजीयन करते समय ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ को स्वीकारने का प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करना पडता है । ‘एम्.आइ.एम्.’ पक्ष की गतिविधियों को देखें तो स्पष्ट है कि यह केवल मुसलमानों के हित के लिए कार्यरत है । ‘एम्.आइ.एम्.’ अर्थात दूसरी ‘मुस्लिम लीग’ ! ऐसा होते हुए भी इस पक्ष का पंजीयन निरस्त नहीं किया गया । केवल प्रतिज्ञापत्र में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ का उल्लेख कर, यह पक्ष भारत में चुनाव लडता है और उसके प्रत्याशी चुनकर भी आते हैं । यह कैसी धर्मनिरपेक्षता ?, ऐसा प्रश्न अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने उपस्थित किया ।
धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ के कारण ‘हिन्दू राष्ट्रविरोधी झूठा ‘नैरेटिव’ निर्माण करने का प्रयत्न !
लोकसभा में सदस्यत्व की शपथ लेते समय असदुद्दीन ओवैसी ने ‘जय पैलेस्टाईन’ की घोषणा दी । संसद के सदस्य का अन्य किसी भी देश का समर्थन करना, भारतीय संविधान के अनुच्छेद १०२ ‘ड’ का उल्लंघन है । ऐसा होते हुए भी ओवैसी का लोकसभा सदस्यत्व निरस्त नहीं किया गया । इस अवसर पर ओवैसी ने अपना समर्थन करने के लिए संसद में ‘जय हिन्दू राष्ट्र’, की घोषणा देने का संदर्भ दिया; जबकि हिन्दू राष्ट्र की घोषणा ओवैसी की उस घोषणा के बाद दी गई थी । हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना आध्यात्मिक राष्ट्र की संकल्पना है; परंतु ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ इन दोनों शब्दों को हौवा बनाकर हिन्दू राष्ट्र के विरोध में झूठा कथानक (नैरेटिव) निर्माण किया जा रहा है ।
हिन्दुओं के विरुद्ध वैचारिक युद्ध जीतने के लिए अधिवक्ताओं का ‘इकोसिस्टम’ आवश्यक है ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिंदू जनजागृति समिति
हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रत्यक्ष लडाई में हमारे जैसे सामान्य कार्यकर्ता सहभागी होंगे; परंतु आज विरोधकों ने वैचारिक युद्ध आरंभ किया है । उसे जीतने के लिए वैचारिक योद्धाओं की आवश्यकता है । ये वैचारिक योद्धा भारतीय कानून संबंधी जानकारी और संविधान के अंतर्गत व्यवस्थाओं का उचित अर्थ बताकर हिन्दुओं का पक्ष कानूनीदृष्टि से सक्षम बनानेवाले होंगे । धर्मसंस्थापना के इस कार्य में योगदान देने के लिए हिन्दू अधिवक्ताओं को ‘साधक अधिवक्ता’ बनना चाहिए । उन्हें विरोधकों के ‘इकोसिस्टिम’को (तंत्र को) प्रत्युत्तर (मुंहतोड जवाब) देने के लिए साधक अधिवक्ता के रूप में हिन्दू राष्ट्र और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के समर्थन हेतु ‘इकोसिस्टिम’ बनाना आवश्यक है, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद़्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’के छठे दिन किया । वे ‘अधिवक्ता संगठन : हिन्दू कार्यकर्ताओं के लिए आधारस्तंभ’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
सद़्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे बोले, ‘‘भारत के स्वतंत्रतासंग्राम में अधिवक्ताओं को योगदान अतुलनीय है । लोकमान्य तिलक, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर, लाला लाजपत राय, न्यायमूर्ति रानडे, देशबंधू चित्तरंजन दास जैसे अनेक अधिवक्ताओं ने उस काल में स्वतंत्र भारत की लडाई के लिए प्रयत्न किया और भारत को स्वतंत्रता दिलवाई । इसीप्रकार अपने सभी अधिवक्ताओं के संगठन सक्रिय बन गए और उसमें सभी का योगदान मिला, तो आगामी काल में इस भूमि पर हिन्दुओं को अधिकार दिलाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की निश्चितरूप से स्थापना होगी ।’’
भगवान के सान्निध्य में रहकर न्यायालयीन कार्य करना चाहिए ! – अधिवक्ता कृष्णमूर्ती पी., जिलाध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद, कोडागु, कर्नाटक
अधिवक्ता कृष्णमूर्ती वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के छठे दिन ‘हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं को न्यायालयीन सहायता करते समय आए आध्यात्मिक अनुभव’, इस विषय पर उद्बोधन करते हुए कहा, ‘मैं वाहन से प्रवास करते समय अथवा न्यायालय में भी नामजप करता हूं । भगवान पर हमारी इतनी श्रद्धा होनी चाहिए कि यदि हम पर कोई संकट आता है तो भगवान को हमारी सहायता करनी चाहिए । हमारे मालिक भगवान हैं । भगवान के भक्त को चिंता करने की आवश्यकता नहीं । सतत नामजप करते हुए न्यायालयीन काम करने चाहिए । भगवान का नामजप करते हुए कार्य करने से भगवान हमें शक्ति देता है । भगवान के निरंतर हमारे साथ होने की अनुभूति हमें आती है । थकान आने पर मैं जब भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करता हूं, तो ठंडी हवा बहने लगती है । इस माध्यम से भगवान मुझे अपने अस्तित्व की अनुभूति देते हैं । साधना और स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के कारण हमारे व्यक्तित्व में निखार आता है । साधना के कारण मेरा क्रोध कम हो गया है; परंतु क्षात्रवृत्ति पहले की भांति ही कायम है । कानून के अध्ययन के साथ ही साधना करते हुए न्यायालयीन लडाई (केस) लडने पर कार्य की गति बढती है और सफलता मिलती है । भगवान हमारे साथ हैं । भगवान से प्रार्थना करके ही घर से बाहर निकलना चाहिए । साधना करने से अनुभूति होगी कि ‘भगवान सतत हमारे साथ हैं । ‘साधक अधिवक्ता’, ‘हिन्दू अधिवक्ता’ होकर हमें न्यायालयीन लढाई लडनी है ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी अपने आचरण से साधकों को सिखाते हैं !
उन्होंने आगे कहा, ‘एक अभियोग की सुनवाई के पश्चात मैं अपने सहयोगी के साथ बेंगळुरू जा रहा था । तब एकाएक पीछे से एक ट्रक ने आकर गाडी को जोरदार टक्कर दी । इसमें हमारी गाडी का बायां भाग कट गया । यह अपघात इतना बडा था कि गाडी देखने पर किसी को ऐसा नहीं लग रहा था कि जो भी व्यक्ति इस गाडी में थे, वे जीवित बचे होंगे; परंतु सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की कृपा से मेैं और मेरा सहयोगी सुरक्षित था । इसप्रकार गुरुदेव प्रत्येक साधक की रक्षा करते हैं । उनका ध्यान रखते हैं । इसलिए हमें सतत भगवान के सान्निध्य में रहना चाहिए । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी सभी साधकों को प्रेम से बताते हैं । अपने स्वयं के आचरण से वे साधकों को घडते हैं ।’
श्री तुलजाभवानी मंदिर की अर्पणपेटी में घोटाले के पैसे दोषियों से वसूल किए जाएं !- पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णी, मुंबई उच्च न्यायालय
श्री तुलजाभवानी मंदिर में ८ करोड ४५ लाख ९७ हजार रुपए का दान-पेटी घोटाला हुआ था । इस घोटाले की जांच बंद करने का सरकार के आदेश को मुंबई उच्च न्यायालय के छत्रपति संभाजीनगर खंडपीठ ने रद्द कर दिया । इसी के साथ पूर्व की जांच समिति द्वारा दोषी पाए गए नीलामीकर्ता, मंदिर कर्मचारी, न्यासी, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी आदि १६ दोषियों पर तुलजापुर पुलिस थाने में आपराधिक (फौजदारी) अपराध प्रविष्ट करने का आदेश न्यायालय ने दिया है । परंतु, न्यायालय के इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया । इन सभी दोषियों से इस घोटाले की धनराशि वसूल की जाए, यह मांग मुंबई उच्च न्यायालय के अधिवक्ता पूज्य सुरेश कुलकर्णी ने की । वे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन के सत्र में ‘तुलजापुर घोटाला प्रकरण में न्यायालयीन संघर्ष’, इस विषय पर बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा, ‘हिन्दू जनजागृति समिति ने श्री तुलजाभवानी मंदिर की दानपेटी घोटाले का विषय कसकर पकड रखा है । समिति की ओर से श्री तुलजाभवानी देवस्थान मंडल के विरुद्ध उच्च न्यायालय में एक आपराधिक जनहित याचिका डाली गई थी । इस याचिका की सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने दोषियों पर अपराध पंजीकृत करने का आदेश दिया था । दुर्भाग्य से उसकी कार्यवाही नहीं हुई । इसलिए, इन भ्रष्ट अधिकारियों को जबतक दंड नहीं मिलता, हम इस प्रकरण में लगातार प्रयास जारी रखेंगे । साथ ही, सब मंदिर भक्तों के नियंत्रण में हों, इसके लिए सरकारीकरण हुए भ्रष्ट मंदिर प्रशासन के विरुद्ध संघर्ष जारी रखना पडेगा । हम सभी अधिवक्ता, धर्माभिमानी, श्रद्धालु-भक्त मिलकर यह संघर्ष अधिक व्यापक करने का संकल्प लेंगे ।’
‘हेट स्पीच’ के नाम पर हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं का दमन
१. घृणित वक्तव्य (हेट स्पीच) के विषय पर बोलते समय पू. (अधिवक्ता) कुलकर्णी ने कहा, ‘घृणित वक्तव्य देने से कानून एवं सुव्यवस्था संकट में पडती है । यह कारण बताकर प्रशासन हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं का दमन करता है । महाराष्ट्र के चोपडा शहर में तेलंगाना के हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक राजा सिंह की सभा आयोजित थी । इसके लिए कार्यकर्ता १ माह से तैयारी कर रहे थे । परंतु, प्रशासन ने सभा से एक दिन पहले दी हुई अनुमति रद्द कर दी । तब इस प्रकरण में उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ में याचिका डाली गई । उसपर सुनवाई कर न्यायालय ने सभा की अनुमति रद्द करने के आदेश को ही निरस्त कर दिया । पश्चात, प्रशासन ने आयोजित सभा के २४ घंटे पहले सभा करने की अनुमति दे दी ।
२. मीरा भाईंदर में भी हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक श्री राजा सिंह की सभा को दंगा होने की आशंका बताकर अनुमति नहीं दी गई । तब उसके लिए भी न्यायालय जाना पडा । पश्चात, न्यायालय के आदेश से इस सभा को भी अनुमति मिली ।