जनहित याचिका के माध्यम से हम समाज एवं धर्म की रक्षा का बहुत बडा कार्य कर सकते हैं ! – अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
दशहरा, दिवाली, गणेशोत्सव आदि उत्सवों में अनेक अनुचित प्रकार होते दिखाई देते हैं । इन कार्यक्रमों के अंतर्गत ‘डिजे सिस्टम’ (ऊंची आवाज में ध्वनिक्षेपक यंत्रणा) एवं ‘एलईडी लाइटस’ (प्रकाशयोजना) का धडल्ले से उपयोग किया जाता है । पिछले १० से १२ वर्षों में ‘डिजे सिस्टम’ एवं ‘एलईडी लाईटस’ में बहुत ही वृद्धि हुई है । इसका दुष्परिणाम वृद्ध नागरिक, गर्भवती महिलाएं एवं रोगियों को भुगतना पडता है । अनेक लोगों की हृदयाघात से मृत्यु होती है । ‘एलईडी लाईटस’ के कारण अनेक लोगों को आंखों की समस्या हुई है । इन सभी अनुचित प्रकारों के विरुद्ध एवं ध्वनिप्रदूषण के विरुद्ध हमने न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की है । उसको नोट कर न्यायालय ने ये अनुचित प्रकार रोकने के आदेश प्रशासन को दिए । इस कारण समाज एवं धर्म की होनेवाली हानि रोकने में हम सफल हुए । ‘आपरेशन डिजे’ के शिर्षक के अंतर्गत हमने यह अभियान चलाया । जनहित याचिका के माध्यम से हम समाज एवं धर्म की रक्षा का बहुत बडा कार्य कर सकते हैं । गुरुदेवजी के आशीर्वाद के कारण यह कार्य सफल हो रहा है । समाज एवं राष्ट्र के हित के लिए यह कार्य हमें निर्भयता से करना चाहिए । इसके लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर का आदर्श हमें सामने रखना होगा । स्वातंत्र्यवीर सावरकर हमारे अधिवक्ताओं के मुकुटमणि हैं, ऐसे उद्गार हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. ने यहां बोलते हुए व्यक्त किए । वे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन ‘जनहित याचिकाओं के माध्यम से समाज एवं राष्ट्र की रक्षा का कार्य कैसे करें ?’, इस विषय पर बोल रहे थे ।
अधिवक्ता अमृतेश ने आगे कहा, ‘जनहित याचिका के माध्यम से बेंगळुरू (बैंगलोर) एवं मुंबई जैसे बडे नगरों में सडक के दोनों ओर लगाए गए ‘एलईडी होर्डिंग’ के विरुद्ध भी हमने न्यायालयीन संघर्ष आरंभ किया है । गुरुदेवजी के आशीर्वाद से समाज एवं धर्म के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिल रही है ।
भारत के लिए क्रिकेट भले ही एक खेल है, लेकिन पाकिस्तान के लिए यह ‘जिहाद’ है ! – अधिवक्ता विनीत जिंदल, उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय
क्रिकेट भारत में एक खेल के रूप में खेला जाता है; लेकिन पाकिस्तान-भारत का मैच पाकिस्तानियों के लिए युद्ध जैसा होता है । पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था, ‘क्रिकेट भारत के लिये खेल होगा; लेकिन हमारे लिए यह जिहाद है ‘। इसका अर्थ यह है कि ‘क्रिकेट जिहाद’ दुनिया में मौजूद है, यह बात उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विनीत जिंदल ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन ‘क्रिकेट जिहाद के विरुद्ध किए गए न्यायालयीन कार्य’ विषय पर उद्बोधन में कही ।
‘क्रिकेट जिहाद’ पर विस्तार से बोलते हुए अधिवक्ता विनीत जिंदल ने कहा, “1978 में भारत-पाकिस्तान हॉकी मैच जीतने के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने मैदान पर सामूहिक नमाज पढ़ी और कहा, ‘हमने हिन्दुओं को हराया’। हाल ही में एक पाकिस्तानी बल्लेबाज ने अपना शतक फिलिस्तीन को समर्पित किया था । इसके अलावा, इससे पहले वेस्टइंडीज के लोकप्रिय बल्लेबाज ब्रायन लारा को एक पाकिस्तानी खिलाड़ी ने इस्लाम कबूल करने के लिए कहा था । इस प्रकार, पाकिस्तान लगातार क्रिकेट जिहाद को बढ़ावा दे रहा है । क्रिकेट का इतना व्यवसायीकरण हो गया है कि विश्व क्रिकेट संगठन इस जिहाद को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहा है । मैंने इस जिहाद को रोकने के लिए भारतीय क्रिकेट नियंत्रक मंडल और विश्व क्रिकेट संघ से पत्राचार किया है ।’ वर्ष 2023 में एक पाकिस्तानी चैनल की सूत्र संचालिका जैनब अब्बास विश्वकप मैच देखने भारत आई थी । उस समय उसने हिन्दू देवताओं और सचिन तेंदुलकर के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी की थी । तब मैंने उसके विरुद्ध दिल्ली के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई थी ।’ इसके बाद जैनब डरकर दुबई भाग गई । उस समय एक क्रिकेट खिलाड़ी ने मैदान में नमाज पढ़ी थी । हालांकि जूते-चप्पल पहनकर नमाज पढ़ना इस्लाम के विरुद्ध है, फिर भी उनके लोगों ने इसे अनदेखा किया । अधिवक्ता विनीत जिंदल ने कहा कि मैदान में नमाज पढ़ने का कारण इस्लाम का प्रचार करना है ।
स्त्रीवादी संगठनों ने महिला सशक्तिकरण के नाम पर हिन्दू समाज को विभाजित किया ! – प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर, संपादिका, मानुषी, देहली
कानून का पालन करना चाहिए, कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए, इस संदर्भ में सीख केवल हिन्दुओं को ही दी जाती है । पुलिस एवं अधिवक्ता इसका अनुचित लाभ उठाकर निष्पाप हिन्दुओं को फंसाने का काम कर रहे हैं । स्त्रीवादी स्वयंसेवी संगठनों ने समाजसेवा के मुखौटे लगाकर स्वयं को चाहिए वैसे कानून पारित करवा लिए । प्रसारमाध्यम, न्यायव्यवस्था, नौकरशाही ये सभी इन स्त्रीवादी कहलानेवालों की कठपुतलियां हैं । इन स्त्रीवादी संगठनों ने महिला सशक्तिकरण, गरीबों को शिक्षा, अनुसूचित जाति-जनजाति को न्याय जैसे नाम पर हिन्दू समाज विभाजित किया । ऐसे उद़्गार देहली के ‘मानुषी’ नियतकालिक की संपादिका प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर ने व्यक्त किए । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन ‘स्त्रीवादियों द्वारा कानून का अनुचित लाभ उठाकर हिन्दू समाज विभाजित करने का प्रयास’ इस विषय पर वे बोल रही थीं ।
प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर ने आगे कहा, ‘इन स्त्रीवादियों ने झूठे आरोप लगाकर हिन्दुओं को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा । इन लोगों ने झूठे कथानक रचकर जम्मू के हिन्दुओं पर बडे प्रहार किए । उन्हें मुंह खोलना भी कठिन कर दिया । उन्होंने हिन्दुओं में अपराध की भावना वृद्धिंगत की । मुस्लिम लोग बुरहान वानी, दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों के समर्थन में सडकों पर उतर आए । इसके विपरित हिन्दू समाज बलात्कार के आरोप से निर्दोष छूटने पर भी हिन्दू संतों के समर्थन में अग्रसर नहीं हुआ ।
हिन्दू समाज में महिलाओं पर अत्याचार होने के झूठे कथानक रचकर हिन्दू धर्म को बदनाम किया गया एवं अन्याय दूर करने के नाम पर न्यायालयों द्वारा कानून पारित करवा लिए गए । ये कानून वेस्टर्न देशों में आवश्यक थे; क्योंकि वहां जादू टोना आदि प्रकारों का अस्तित्व था । भारतीय संस्कृति में स्त्रीशक्ति को दैवीशक्ति संबोधित किया गया है ।’ ऐसा प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर ने कहा ।
सरकारी भूमि पर मजार को मस्जिद में बदलने से पहले रोका जाए ! – अधिवक्ता खुश खंडेलवाल, संस्थापक, हिन्दू टास्क फोर्स’
सभी जिहादों में सबसे भयानक ‘भूमि जिहाद’ है, तथा सभी जिहाद इसी जिहाद से संबंधित हैं । इसके अंतर्गत वे मुख्यतः सरकारी भूमि को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास करते हैं । आरंभ में वहां एक मजार (मुस्लिम कब्र) बनाई जाती है । उसके उपरांत वहां एक दरगाह (मकबरे की जगह पर बनी संरचना) बनाई जाती है और धीरे-धीरे उसका रूपांतर एक भव्य मस्जिद में हो जाता है । समय के साथ पर्यटन के नाम पर कई धर्मांध वहां आते हैं । उन्हें वहीं बसा दिया जाता है । ऐसा करते करते 5 किमी का क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो जाता है । इसके उपरांत वहां अतिक्रमण रोकना कठिन हो जाता है । इसलिए इसे आरंभ से ही रोकना आवश्यक है, ऐसा हिन्दू टास्क फोर्स’ के संस्थापक अधिवक्ता खुश खंडेलवाल ने ‘विश्व हिंदू राष्ट्र महोत्सव’ के छठे दिन कहा । वह ‘सरकारी भूमि पर बनी दरगाहों के विरुद्ध न्यायालयी लड़ाई’ विषय पर बोल रहे थे ।
वकील खंडेलवाल ने आगे कहा, ”मुंबई से जुड़े भयंदर क्षेत्र में उत्तन डोंगरी में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करके बालेशाह पीर दरगाह का निर्माण किया गया । इस दरगाह के विरुद्ध आपत्ति की । इसके उपरांत तहसीलदार द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के आधार पर न्यासी के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया गया । इस विषय पर महाराष्ट्र विधानसभा में भी चर्चा हुई । सर्किल ऑफिसर ने इस दरगाह के बारे में असत्य रिपोर्ट बनाई तथा दिखाया कि इस दरगाह का निर्माण वर्ष 1995 में हुआ था । मैंने प्रसार माध्यम से इस भ्रष्टाचार को उजागर किया । इस संबंध में उच्च न्यायलय में याचिका प्रविष्ट की । न्यायलय के आदेश अनुसार, राज्य सरकार, जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक को प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत किया । इसके उपरांत वहां के विक्रेताओं ने दरगाह से सटी अतिक्रमित दुकानें स्वयं ही हटा लीं । आगे चलकर हमें यह भूमि अतिक्रमण से मुक्त करानी है । मुझे विश्वास है कि न्यायालय इस संबंध में शीघ्र ही निर्णय लेगा ।”
क्षणचित्र:
इस प्रकरण के बारे में बोलते हुए अधिवक्ता खुश खंडेलवाल ने अपना अनुभव साझा किया । इस प्रकरण में सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस प्रकरण में हम पर पैसे लेकर भ्रष्टाचार करने का दबाव बनाया गया था; किंतु हमने अधिवक्ता खंडेलवाल को देखकर पैसे लेना स्वीकार कर दिया ।
भगवान श्रीकृष्ण का कार्य समझकर धर्म कार्य करें ! – अधिवक्ता खुश खंडेलवाल, संस्थापक, हिन्दू टास्क फोर्स’
कुछ लोग मुझसे पूछते हैं, ‘क्या मुझे ऐसा करने से भय नहीं लगता ?’ तब मैं सोचता हूं, ‘यह भगवान कृष्ण का कार्य है । यह उसकी इच्छा से पूर्ण होगा । इसलिए इस कार्य को रोकने की शक्ति किसी में नहीं है ।” सनातन धर्म में जन्म लेना हमारा सौभाग्य है । धर्म की रक्षा करके ही हम इस सनातन धर्म का ऋण चुका सकते हैं । यदि हम सभी भगवान कृष्ण को केंद्र मानकर कार्य करें तो हमारी विजय निश्चित है ।