धर्मांधों के ‘इकोसिस्टम’ में अंतर्भूत गैरसरकारी संस्थाओं की आर्थिक सहायता बंद की जानी चाहिए ! – अधिवक्ता (श्रीमती) सिद्धि विद्या, सर्वोच्च न्यायालय, देहली एवं उच्च न्यायालय, मुंबई
कुछ राज्यों में जो ‘धर्मांतरणविरोधी कानून’ लाए गए हैं, उन्हें‘लव जिहाद’विरोधी कानून बताया जा रहा है; परंतु वो कानून वैसे नहीं हैं । उसमें लव जिहाद की व्याख्या नहीं की गई है तथा लव जिहाद से संबंधित अनेक बातें उनमें नहीं हैं । उसमें धर्मांतरण के अपराध के लिए दंड का प्रावधान है; परंतु वह लव जिहाद के अंतर्गत आनेवाले किसी अपराध के लिए नहीं है । इस कानून से किसी को कोई समस्या नहीं है; परंतु केवल मुसलमानों को है; क्योंकि वे ही धर्मांतरण तथा लव जिहाद कराते हैं । इसके लिए हमें लव जिहाद करनेवाले धर्मांधों का ‘इकोसिस्टम’ (एक-दूसरे की सहायता करनेवाली शृंखलाबद्ध व्यवस्था) समझ लेनी होगी । उनके ‘एन्.जी.ओ.’ की ओर से (गैरसरकारी संगठनों की ओर से) ऐसी फंसाई गई लडकियां घर से बाहर न निकलें; इसके लिए उन्हें ‘समाज तुम्हारा स्वीकार नहीं करेगा’, ऐसा बताया जाता है । इन संगठनों के विरुद्ध शिकायतें प्रविष्ट कर तथा उन्हें चंदा कहां से मिलता है ?, इसे देखकर उसे बंद किया जाना चाहिए । यहां अधिवक्ताओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण है । सडक पर उतरकर लडनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ धोखाधडी कर उनके विरुद्ध अपराध पंजीकृत होते हैं । नौखाली के लोग उनकी पिछली पीढी पर हुए अत्याचारों को आज पूर्णतः भूल चुके हैं । वर्तमान समय में हिन्दुओं को सामाजिक माध्यमों से उनकी सामग्री (‘कंटेंट’) को बडे स्तर पर फैलाना आवश्यक है । अधिवक्ताओं को कानून ज्ञात होने से वे उसके अनुसार लेखन कर सकते हैं ।
‘ऑनलान’ बकरियां काटने की अनुमति देना बंद करने पर बाध्य बनाया गया !
श्रीमती सिद्धि विद्या ने आगे कहा कि लव जिहाद के प्रकरण में लडकी को चोरी करना लगाया गया । यह प्रेम पहले दिन से नहीं था, अपितु अपनी पहचान छिपाकर उन्हें फंसाया गया जैसी सभी बातें एफ्.आई.आर्’ में पंजीकृत होनी पडेंगी । पहचान छिपाकर किया जानेवाला झूठ उजागर होना होगा । उसमें आश्वस्तता एवं प्रमाण होने चाहिएं तथा आरोपपत्र प्रविष्ट होना चाहिए । ‘ऑनलाइन’ बकरियायं काटने की अनुमति देने से क्या समस्याएं आती हैं ?’, इसे न्यायालय समझ ही नहीं ले सकता था । यह अनुमति मिलने से किसी के घर के सामने यदि बकरियां काटी जानेवाली हों, तो उससे उसे क्या कष्ट हो सकता है ?, यह समझ लेने हेतु हमने मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ओक के न्यायालय में बकरियां काटने की अनुमति ली तथा उन्हें कागद दिखाए, तब उन्हें उसकी गंभीरता ध्यान में आई । उसी दिन दोपहर उन्होंने ऑनलाइन बकरियां काटने की अनुमति बंद की । इसलिए अधिवक्ताओं को आवश्यकता पडने पर भिन्न पद्धति से भी काम करना चाहिए ।
श्रीमती सिद्धि विद्या ने धर्मांतरण के बताए हुए कुछ उदाहरण !
१. एक हिन्दू लडकी की एक मुसलमान सहेली थी । एक बार हिन्दू लडकी जब बसस्थानक पर खडी थी, तब एक लडके ने उसे छेडखानी से बचाया तथा उसके उपरांत प्रेमजाल में फंसाकर उसके साथ निकाह किया । उससे पूर्व उसने उसे घर में चोरी करने लगाया । उसके उपरांत वह लडका मुसलमान है, यह उसके ध्यान में आया । उसके उपरांत भी वह उससे बाहर नहीं निकल पाई; क्योंकि उनके ‘एन्.जी.ओ.’ की ओर से (गैरसरकारी संगठन) शिकायत पंजीकृत न करने के विषय में उनका उद्बोधन किया जा रहा था ।
२. नौखाली में मुसलमानों की अेार से हिन्दुओं के साथ बहुत अत्याचार हुए, उस समय उन्होंने हिन्दू अधिवक्ताओं-न्यायाधीशों की घर की महिलाओं को घर से बाहर लाकर उन पर अत्याचार किए । उनके घर के बहनों को बाहर न जाना पडे; इसलिए मुसलमान बने हिन्दुओं ने विवशतावश बहनों के साथ विवाह किया । प्रतिदिन पुलिस निरीक्षण उनके घर में आकर वहां ५ बार नमाज पढा जाता है अथवा नहीं ?, यह देखता था । अब ३ पीढियों के उपरांत यहां के लोगों को ‘हम मुसलमान क्यों बने ?’, इसके विषय में कुछ भी नहीं लगता ।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगले ३ वर्षों में संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र बनने के स्पष्ट संकेत ! – आचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र, सभापति, एशिया चैप्टर, विश्व ज्योतिष महासंघ
वर्ष २०२५ में बृहस्पति, राहु और शनि इन ग्रहों का स्थानपरिवर्तन होनेवाला है । यह परिवर्तन दुर्लभ है । इससे, वर्ष २०२५ के उत्तरार्ध में धर्मनिष्ठों को बल मिलेगा । श्रीरामजन्मभूमि निर्णय के समय गुरु और शनि ग्रह की युति थी । उस समय न्याय व्यवस्था में अचानक परिवर्तन हुआ था । वैसी ही युति वर्ष २०२५ से २०२७ के मध्य बनने जा रही है । इससे, आगामी ३ वर्षों में हिन्दुओं के हित में बड़े निर्णय होंगे । वर्ष २०२७ तक का काल हिन्दुत्व के लिए अनुकूल है ।ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आगामी ३ वर्षों में संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे हैं । आगामी २ वर्ष परिवर्तनकाल रहेगा । संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है । आगामी काल में हिन्दू राष्ट्र की आधारशिलाएं निर्माण करनी चाहिए । दैवी शक्तियां हिन्दुओं की सहायता कर रही हैं । ऐसे समय, हिन्दुओं को तेज गति से हिन्दुत्व का कार्य करने की आवश्यकता है ।अनुकूल काल में कार्य में शिथिलता आई, तो बड़ा कार्य हाथ से छूट सकता है । इसलिए, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दुओं को संगठित होकर प्रयास करना पड़ेगा । बृहस्पति, यह वैदिक धर्म का तारक ग्रह है । आगामी काल में बृहस्पति ग्रह मीन राशि में प्रवेश करने वाला है । इससे चीन और रूस इन साम्यवादी देशों में व्यवस्था परिवर्तन होने की संभावना है । इन देशों में धर्मसिद्धांतों पर चलनेवाली सरकार आ सकती है ।
हिन्दुत्व की रक्षा अर्थात मानवरक्षा !
हिन्दू राष्ट्र का निर्माण केवल हिन्दुओं के लिए नहीं, अपितु संपूर्ण मानव जाति की रक्षा के लिए है । प्रकृति ने पशु-पक्षियों को भी स्व-रक्षा के लिए नखें दी हैं । अपनी रक्षा करना प्राकृतिक धर्म है । इसलिए, हिन्दू धर्म की रक्षा करना, प्रकृति की रक्षा करना है । ये विचार आचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र ने व्यक्त किए ।
हिन्दूहित के कानून बनाने हेतु सरकार को बाध्य बनाना चाहिए ! – मुन्नाकुमार शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारत हिन्दू महासभा, देहली
आज हमें अपनी संस्कृति, सीमा तथा हिन्दुओं की रक्षा हतेु ‘राजनीति का हिन्दूकरण’ करन आवश्यक है । राजनीति का अर्थ केवल चुनाव जीतना नहीं है । वर्तमान राजनीति स्वार्थ से भरी तथा पारिवारीक बन चुकी है । देश की सीमाओं की रक्षा करना राज्यकर्ताओं का दायित्व होता है । अभी भी गोहत्या रूकी नहीं है । मंदिर तोडे जा रहे हैं । हिन्दुओं की अल्प होती जा रही संख्या, लव जिहाद जैसी अनेक समस्याएं हैं । नरसिंह राव सरकार द्वारा बनाए गए ‘मंदिर कानून’ को रद्द कर गिराए गए अथवा मुसलमानों द्वारा हडप लिए गए ३ लाख मंदिरों का पुनर्निर्माण करना है । सरकार को इन सभी कानून बनाने के लिए बाध्य बनाना चाहिए । अब इस महोत्सव के माध्यम से ‘हिन्दू राष्ट्र समिति’ बनाने के प्रयास चल रहे हैं, उसके लिए मेरा संपूर्ण समर्थन रहेगा । पहले राष्ट्रीय स्तर पर स्थित अधिवेशन अब विश्वस्तर का बन चुका है । उसके कारण अखंड हिन्दू राष्ट्र बनेगा, ऐसा लगता है; ऐसा प्रतिपादन अखिल भारत हिन्दू महासभा के अध्यक्ष श्री. मुन्नाकुमार शर्मा ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के अंतिम दिन अर्थात ३० जून के द्वितीय सत्र में ‘राजनीति का हिन्दूकरण’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा कि अखिल भारत हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता स्वतंत्रतासंग्राम में सहभागी हुए; परंतु उन्होंने राजनीतिक अधिकार लेने का कभी प्रयास नहीं किया । उसका परिणाम यह हुआ कि यह देश कांग्रेस के हाथ में चला गया । उसके उपरांत कांग्रेस ने संपूर्ण भारत का इस्लामीकरण करना आरंभ किया । उस समय मुख्यमंत्री, राज्यपाल, शिक्षामंत्री आदि सभी मुसलमान थे । वीर सावरकरजी ने कारागृह से बाहर आने पर यह घोषणा करते हुए कहा कि राजनीति का हिन्दूकरण तथा हिन्दुओं का सैनिकीकरण कीजिए । उन्होंने अंग्रेजी सेना में सम्मिलित होने का आवाहन किया । उसके लिए उनकी आलोचना हुई; परंतु उन्होंने यह पूछा कि स्वतंत्रता को टिकाए रखने हेतु सीमाओं की रक्षा करने हेतु क्या सैनिकों की आवश्यकता नहीं है ?’
साम्यवादियों ने हिन्दुओं के इतिहास का विकृतिकरण कर नास्तिकतावाद फैलाया ! – कश्यप महर्षि. राज्य अध्यक्ष, धर्मवीर अध्यात्म चैतन्य वेदिका, तेलंगाना
तेलंगाना के ‘धर्मवीर अध्यात्म चैतन्य वेदिका’ संगठन के राज्य अध्यक्ष श्री. कश्यप महर्षि ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के अंतिम दिन उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा, ‘साम्यवादियों ने हिन्दुओं का इतिहास बदल दिया । हिन्दुओं के गौरवशाली इतिहास का विकृतिकरण कर उन्होंने हिन्दुओं में संभ्रम की स्थिति निर्माण की और झूठा इतिहास उन पर थोपा । नास्तिकतावाद कर्करोग समान है । कथित विचारकों ने षड्यंत्र रचकर हिन्दुओं के ग्रंथों का विकृतिकरण किया और झूठा इतिहास लोगों के सामने प्रस्तुत किया । साम्यवादियों ने हिन्दुओं के इतिहास का विकृतिकरण कर समाज में नास्तिकतावाद फैलाया । नास्तिकतावाद फैलने से समाज की अधोगति हुई । कुटुंबव्यवस्था और आर्थिकव्यवस्था नष्ट हो गई । विवाहव्यवस्था पर परिणाम हुआ ।’
उन्होंने आगे कहा,
१. तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश के हिन्दुओं को उनके खरे इतिहास से दूर रखा गया है । आंध्रप्रदेश में पहले प्रेलय रेवा रेड्डी नामक राजा हुए थे । उन्होंने वर्ष १३२० में भारत में सर्वप्रथम इस्लाम के विरोध में ‘केरल युद्धनीति’का उपयोग किया । उन्होंने केरल में हिन्दू शासनप्रणाली लागू की । वे कट्टर हिन्दू थे । उनकी सेना में एक भी मुसलमान नहीं था । आंध्रप्रदेश में एक संत पेदाकमोटी रेमा के अंतर्गत धर्मरक्षा का कार्य चल रहा है । इस संगठन की ओर से धर्मवीर तैयार कर उनके माध्यम से धर्मशिक्षा देने का काम शुरू है । इतिहास और धर्म के विकृतिकरण का षड्यंत्र उजागर करना, हिन्दूविरोधी फिल्मों के विरुद्ध कानूनीमार्ग से उनका सामना करना, छोटे – छोटे बच्चों को धर्मशिक्षा देने के लिए अभिभावकों में जागृति करना । आदिवासी लोगों को उनकी मूल संस्कृति के विषय में जागृत कर उनका धर्मपरिवर्तन रोकना, हिन्दुओं के घरों पर भगवा झंडा फहराकर ‘धर्मांतर माफियों’को दूर रखना, अवैध मस्जिदें और चर्च हटाने के लिए सरकार को बाध्य करना, इत्यादि कार्य ‘धर्मवीर अध्यात्म चैतन्य वेदिका’ इस संगठन की ओर से शुरू हैं ।
मंदिरों की हजारों एकड़ भूमि पर अतिक्रमण ! – अनूप जयसवाल, सचिव, देवस्थान सेवा समिति, विदर्भ, महाराष्ट्र
मंदिर की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए कई प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं । इन मंदिरों को उनकी भूमि दिलाने के लिए ‘देवस्थान समिति विदर्भ’ का गठन किया गया । इस समिति के अंतर्गत अब तक 1 हजार 500 एकड़ भूमि सफलतापूर्वक मंदिरों को वापस की जा चुकी है । कुछ स्वार्थी लोगों के कारण मंदिरों की भूमि पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है । इसलिए, मंदिर के न्यासियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है, तथा यदि बड़े मंदिर छोटे मंदिरों की सहायता करते हैं, तो हम सरलता से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं, ऐसा प्रतिपादन ‘देवस्थान सेवा समिति, विदर्भ’ के सचिव और महाराष्ट्र मंदिर महासंघ राज्य ‘कोर समिति’ के सदस्य श्री. अनूप जयसवाल ने किया ।
उन्होंने आगे कहा, ‘मंदिरों का रखरखाव चलाने के लिए राजाओं, महाराजाओं तथा धनवान लोगों ने मंदिरों को भूमि दान में दी थी । उस भूमि पर बड़े स्तर पर अतिक्रमण किया गया । मन्दिरों की भूमि पट्टे पर दे दी गयी । जब इंदिरा गांधी ने ‘सीलिंग’ अधिनियम बनाया, तो यह प्रचार किया गया कि ‘मंदिरों की भूमि का भुगतान नहीं किया जाएगा’। तब से उन भूमि का लगान बंद हो गया । अब मंदिर की हजारों एकड़ भूमि अवैध रूप से किरायेदारों को हस्तांतरित कर दी गई है । मंदिरों की ऐसी ही विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्थापना की गई है । इस महासंघ द्वारा 2 राज्य स्तरीय एवं 10 जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित किये गए । इन सम्मेलनों को मंदिर न्यासियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली । अमरावती के सम्मेलन में 650 से अधिक न्यासी थे ।