करकंब (जनपद सोलापुर) – यहांके प्रतिबिंब सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंचद्वारा आयोजित `आई तू जागी हो…! आई तू जिजाऊ हो….!’ विषयपर मार्गदर्शन करते समय ज्येष्ठ समाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता श्रीमती अपर्णा रामतीर्थकरने मार्गदर्शन करते हुए कहा कि आधुनिकताके नामपर हिंदू संस्कृतिकी आदर्श परिवार व्यवस्था भग्नप्राय हो गई है । अपने वृद्ध माता-पिताओंको वृद्धाश्रममें रखनेवाले वर्तमान समयके माता-पिता अपने बच्चोंपर कोई धार्मिक संस्कार नहीं कर रहे हैं । फलस्वरूप अगली पूरी पीढी बेकार होनेके मार्गपर है । इस भयग्रस्त परिस्थितिसे बाहर आने हेतु प्रत्येक बहनको अपने बच्चेपर जिजाऊसमान सुसंस्कार कर धर्माधिष्ठित पीढीकी सृष्टि करनी आवश्यक है ।
अधिवक्ता श्रीमती रामतीर्थकरने कहा कि…
१. हिंदुओंको धर्माचरण करनेमें लज्जा आती है; परंतु अन्य पंथीय कट्टर धर्माचरण करते हैं ।
२. हमने श्रेष्ठ हिंदू धर्ममें जन्म लिया है, इसका हमें अभिमान होना चाहिए तथा हमें धर्माचरण करना चाहिए !
३. महिला सबलीकरणके नामपर घटस्फोट (तलाक) को प्रेरणा देकर हिंदू संस्कृतिका विनाश किया जा रहा है ।
४. हिंदू युवतियोंपर वशीकरण कर `लव जिहाद’ में उनकी बलि दी जा रही है ।
५. यदि युवतियोंने सनातनके सात्त्विक कुमकुमका उपयोग करना चाहिए ।
श्रीमती रामतीर्थकरकी प.पू. डॉ. आठवलेके प्रति अटूट श्रद्धा !
इस अवसरपर हिंदू जनजागृति समितिके आधुनिक वैद्य श्री. श्रीपाद पेठकर तथा श्रीमती सुवर्णा पेठकरने श्रीमती रामतीर्थकरसे भेंट की । उन्होंने कहा कि मैं प्रतिदिन प.पू. डॉ. जयंत आठवलेजीको सूक्ष्मसे आत्मनिवेदन करती हूं । उनके कारण ही मुझे इतनी सभाओंमें विषय प्रस्तुत करने हेतु शक्ति मिलती है । पिछले ४५० दिनोंसे मैं प्रति दिन अलग अलग गांवमें जाकर मार्गदर्शन करती हूं; परंतु मुझे कोई अस्वस्थता अथवा थकान नहीं प्रतीत होती ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात