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धार्मिक स्वतंत्रता अर्ताथ दूसरों का धर्म परिवर्तित करने का कोई अधिकार नहीं – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

अवैध रूप से हिन्दूओं का धर्मांतरण कराने वाले ईसाई की जमानत अस्वीकार !

प्रयागराज – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ दूसरों का धर्म परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अवैध रूप से कुछ हिन्दूओं का धर्म परिवर्तन करने वाले एक ईसाई आरोपी को जमानत देना अस्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की।

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के श्रीनिवास राव नामक ईसाई के विरोध मे ‘उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण रोकथाम अधिनियम, 2021’ की धारा 3 और 5 (1) के अंतर्गत आरोप प्रविष्ट किया गया था। 15 फरवरी 2014 को आरोपी ने कुछ लोगों को हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया था। इसके पश्चात उनके विरोध मे आरोप प्रविष्ट किया गया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना कि भारत का संविधान नागरिकों को अपने धर्म का पालन, अभ्यास एवं प्रचार करने का अधिकार देता है; किंतु धर्म की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार को धर्म परिवर्तन के सामूहिक अधिकार तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।

स्रोत : हिन्दी सनातन प्रभात

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