५ वर्ष पश्चात भी कोई कार्यवाही नहीं !
‘सुराज्य अभियान’ के अभिषेक मुरुकटे ने द्वारा सूचना के अधिकार के माध्यम से ज्ञात हुआ कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों का समर्थन हो रहा है !
मुंबई – क्षेत्रीय परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने सैकड़ों वाहन चालकों से टैक्स वसूल कर सरकार को पैसा जमा करने के बदले उसे हड़प लिया। प्रारंभिक जांच में वर्ष २०१९ में ८५० वाहनों के कर चोरी की बात सामने आने के पश्चात भी पिछले ५ वर्ष से इस मामले में विभागीय जांच का नाटक चल रहा है। हिन्दू जनजागृति समिति के सुराज्य अभियान के संयोजक श्री. अभिषेक मुरूकटे द्वारा आरटीआई के अंतर्गत मांगी गई जानकारी से ज्ञात हुआ है कि भ्रष्ट कर्मचारियों को समर्थन दिया जा रहा है। इस गबन की विभागीय जांच के संबंध में मा. सूचना के अधिकार के अंतर्गत मांगी गई जानकारी में अभिषेक मुरुकटे ने उत्तर दिया है कि ‘इस पर अंतिम निर्णय नहीं होने के कारण जानकारी नहीं दी जा सकती ।’ ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रारंभिक जांच में गबन की बात सामने आने के पश्चात भी पिछले ५ वर्षों से मामला लटका हुआ है। इस मामले में कार्यवाही में देरी के कारण श्री.अभिषेक मुरूकटे ने इसकी आपत्ति १८ जुलाई को राज्य के मुख्यमंत्री एवं परिवहन मंत्री एकनाथ शिंदे और परिवहन आयुक्त से की है।
क्या है प्रकरण ?
नवी मुंबई में उप-क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सैकड़ों लोगों से वाहन कर वसूला। इसकी प्रविष्टि कार्यालय के रजिस्टर में नहीं की जाती है। आरंभिक जांच में पता चला है कि ये गाड़ियो के टैक्स अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने मिली भगत से हड़प लीं। इसके कारण सरकार ने मामले की विभागीय जांच आरंभ कर दी। दिसंबर 2021 में तत्कालीन विधायक और वर्तमान कौशल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने विधानमंडल के मानसून सत्र में इस पर तारांकित सवाल उठाया था। इस पर परिवहन मंत्री अनिल परब ने माना कि मामले में अनियमितताएं पाई गई हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि मामले की विभागीय जांच चल रही है; यद्यपि अभी जांच आगे नहीं बढ़ी है। इससे इस बात की प्रबल आशंका है कि इस प्रकरण में भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों का सहयोग किया जा रहा है।
एक साधारण प्रकरण की जांच ५ साल तक चलती रहती है, ये सरकारी सिस्टम की अक्षमता है ! – अभिषेक मुरूकटे, समन्वयक, सुराज्य अभियान
सरकारी राशि का गबन करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही में विलंब क्यों हो रहा है ? इससे प्रशासन की कार्यकुशलता और पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े होते है। इस देरी के लिए दायित्व किसका है ? इसमे लाभ किसका है ? इसका पता लगाने की आवश्यक्ता है। एक सीधे से मामले की जांच जो 5 साल तक चलती रही है ये सरकार के लिये लज्जासपाद है ऐसा श्री. अभिषेक मुरुकटे ने परिवहन मंत्री से की गई अपनी आपत्ति में कहा है।