आधुनिकतावादी एवं और धर्मविरोधी द्वारा धर्म पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए वारकरी की ‘इकोसिस्टम’ तैयार करने का निर्णय!
पंढरी की वारी के दौरान दिंडियों में घुसकर ‘वारकरी मतलब शांत, संयमी, और हनुमान जयंती, श्रीरामनवमी की शोभायात्राओं के समय हिंदू, हिंदू संगठन दंगे करवा रहे हैं’, ऐसा ‘नैरेटिव’ प्रसारित किया जा रहा है। इसमें ‘वारकरी विरुद्ध हिंदू’ के रूप में भड़काया जा रहा है। बुद्धिभेद किया जा रहा है। ऐसा करके ‘हिंदुओं के विरुद्ध हिंदू’ संघर्ष उत्पन्न किया जा रहा है। इसके लिए कुछ कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। ईसाई धर्मप्रचारक वारी में आकर बाइबल बाँट रहे हैं, आधुनिकतावादी विचारधारा के लोग आकर भ्रम फैला रहे हैं। इसलिए आधुनिकतावाद और धर्मविरोधी लोगों द्वारा व्यवस्थित रूप से हिंदू धर्म पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए वारकरी की ‘इकोसिस्टम’ तैयार करने का निर्णय ‘हिंदू जनजागृति समिति’ और ‘राष्ट्रीय वारकरी परिषद’ द्वारा संयुक्त रूप से पंढरपुर में आयोजित ‘राज्यस्तरीय वारकरी बैठक’ में एकमत से लिया गया।
यह बैठक ब्रह्मीभूत श्री बालयोगी महाराज के मठ में हुई, जिसमें वारकरी महामंडल के अध्यक्ष ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाळ, सचिव ह.भ.प. नरहरी महाराज चौधरी, राष्ट्रीय वारकरी परिषद के ह.भ.प. मारुति महाराज तुनतुणे, ह.भ.प. निवृत्ती महाराज हल्लाळीकर, श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर संरक्षण कृति समिति के ह.भ.प. गणेश महाराज लंके, ह.भ.प. (अधिवक्ता) आशुतोष महाराज बडवे, हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ संघटक श्री. सुनील घनवट समेत महाराष्ट्र के 39 ह.भ.प., कीर्तनकार और पदाधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर ह.भ.प. नरहरी चौधरी महाराज ने कहा, ‘‘कीर्तन मौज और मनोरंजन के लिए किया जाता है; परंतु सप्ताह की रूपरेखा इस प्रकार बनाई गई है कि उससे भगवत्प्राप्ति हो। संत जनाबाई, संत मुक्ताबाई ने साधना करके संत बने। इसलिए ‘साधना से संतत्व प्राप्त होता है’ यह सभी को समझना चाहिए। कीर्तन मनोरंजन का साधन नहीं होना चाहिए।’’ ह.भ.प. मारुति महाराज तुणतुणे महाराज ने कहा, ‘‘अब स्थिति ऐसी आ गई है कि सभी को संगठित होकर लड़ना चाहिए, तभी हिंदू और वारकरी परंपरा की रक्षा हो सकेगी। इसके लिए हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता है। हिंदू राष्ट्र घोषित होने तक संगठित प्रयास करना चाहिए।’’
ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाळ ने कहा, ‘‘इस समय श्रीक्षेत्र देहू में वहां के देवस्थान ने उनके परिसर में एक किलोमीटर के क्षेत्र में मद्य और मांस की बिक्री नहीं होने का सभी लोगों से आवाहन किया, जिसके बाद वहां के सभी दुकानें अन्यत्र स्थानांतरित हो गईं। अगर देहू में हो सकता है, तो श्रीक्षेत्र आळंदी और पंढरपुर में क्यों नहीं हो सकता?’’
इस परिषद में सभी तीर्थस्थल मद्य-मांस मुक्त होनी चाहिए, साथ ही तीर्थस्थलों के परिसर में 500 मीटर तक मद्य-मांस मुक्त होना चाहिए, संत, संत वाड्मय, हिंदू धर्मग्रंथ, हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के खिलाफ विशेष कानून बनाया जाए, मंगळवेढा (जिला सोलापुर) में संत कान्होपात्रा के जन्मस्थान पर किए गए अतिक्रमण को तुरंत हटाकर उसे पवित्र भूमि के रूप में आरक्षित करके वारकरियों के नियंत्रण में दिया जाए, पंढरपुर के श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर में श्री बालाजी देवस्थान की तर्ज पर सशुल्क दर्शन के टोकन देने के संदर्भ में लिए जाने वाले निर्णय को तुरंत रद्द किया जाए, इन सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से इस समय मंजूर किया गया।