तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा जादूटोना कानून के प्रचार के लिए नियुक्त शासकीय समिति (PIMC) के उपाध्यक्ष श्याम मानव आज भी उस समिति पर कार्यरत हैं । वास्तव में मानव ने झूठा लेखन किया था, इसलिए उन्हें न्यायालय ने एक दिन की कैद एवं आर्थिक दंड भी दिया था । वे निरंतर वारकरी संप्रदाय के साधुसंतों पर जातिवादी आलोचना कर धार्मिक भावनाएं आहत करने का काम करते रहते हैं । इसलिए इस शासकीय समिति से श्याम मानव को हटाया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री. एकनाथ शिंदे, तथा उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस से एक निवेदन द्वारा की है ।
संतांवर जातीयवादी टीका करणार्या श्याम मानव यांची जादूटोणा कायद्याच्या समितीतून हकालपट्टी करा ! @HinduJagrutiOrg @CMOMaharashtra @maharashtra_hmo pic.twitter.com/B14wGqvFCk
— Sunil Ghanwat🛕🛕 (@SG_HJS) July 27, 2024
पुणे के सुप्रसिद्ध डॉ.प.वि. वर्तक के संबंध में झूठा लेखन प्रकाशित करने के कारण पुणे के प्रथमवर्ग न्यायदंडाधिकारी श्री. पाध्ये के न्यायालय ने प्रा. श्याम मानव को एक दिन की कैद एवं आर्थिक दंड दिया था । ‘मुंबई सार्वजनिक विश्वस्त संस्था अधिनियम 1950’ की धारा 56 के अंतर्गत फौजदारी अपराध सिद्ध हुआ व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक समिति अथवा न्यास पर सदस्य के पद पर नहीं रह सकता । वैसा हो तो वह पद अपनेआप निरस्त हो जाता है । इसलिए सरकार ने कानून की समिति में श्याम मानव को लेना गैरकानूनी है । हिन्दू धर्म, संत परंपरा आदि के प्रति द्वेष रखनेवाले मानव ने सामाजिक न्याय विभाग की ओर से आयोजित जादूटोना कानून के जनजागृति कार्यक्रम में ‘संत ज्ञानेश्वर ने भैंसे के मुख से वेद बुलवाए, यह स्पष्ट झूठ बताया जाता है’, इस प्रकार के अनेक विवादित विधान किए हैं । इससे पूर्व भी ‘कुलकर्णी का 12 वर्ष का बच्चा (संत ज्ञानेश्वर महाराज) दीवार क्या चलाएगा ?’, ‘संत तुकाराम महाराज सदेह वैकुंठ नहीं गए हैं, उनकी हत्या हुई है’, इस प्रकार के वारकरियों सहित महाराष्ट्र की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाले अनेक आपत्तिजनक एवं जातिवादी विधान करते रहते हैं । यह निश्चित रूप से किस जादूटोना कानून का प्रचार है ? यह कानून का प्रचार नहीं है, अपितु श्रद्धाभंजन करनेवाला कार्य है । सरकार तंत्र का दुरुपयोग कर हिन्दू संतों की बदनामी करनेवाले श्याम मानव को तत्काल हटाया जाना चाहिए ।
इसी प्रकार का अंधश्रद्धा निर्मूलन का कार्य कर समाजसेवक का मुखौटा लगाई हुई ‘महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ ने (‘अंनिस’ ने) अपने ट्रस्ट में अनेक आर्थिक घोटाले किए हैं । उनकी शिकायते हुई हैं । ‘अंनिस’ने तो सरकार को ठगकर लाखो रुपयों का अंशदान डुबोया है । विदेशों से लाखों रुपए लेकर उसका हिसाब न देने के कारण केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अंनिस का FCRA (विदेशी मुद्रा) पंजीकरण निरस्त किया है । ‘अंनिस’ के ट्रस्ट पर प्रशासक नियुक्त करने की सिफारिश सहायक धर्मादाय आयुक्त ने की है । इन सबकी शासकीय स्तर पर गहन पूछताछ चल रही है । इस संगठन के कार्यकर्ताओं को नक्सलवादी कार्यवाहियों में सम्मिलित होने के प्रकरणों में बंदी भी बनाया गया है । ऐसे भ्रष्ट, घोटालेबाज, अर्बन नक्सली संगठनों तथा उनके पदाधिकारियों को शासकीय समितियों में स्थान मिलना अत्यंत गंभीर है । इसलिए श्याम मानव के समान ही इस संगठन के पदाधिकारियों को भी शासकीय समिति से तत्काल बाहर निकाला जाए तथा वह समिति बर्खास्त की जाए, ऐसी हिन्दू जनजागृति समिति की मांग है।