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#UnlockBeejamandal : विदिशा का बीजामंडल (विजय मंदिर) इस्लामी अतिक्रमण से मुक्त होने की प्रतिक्षा में !

औरंगजेब ने तोप से उडा दिया था, आज भी ताले में बंद है हिन्दुओं की आस्था का केंद्र

विदिशा में 1600 वर्ष प्राचीन चालुक्य वंश के समय का सूर्य मंदिर बीजामंडल (विजय मंदिर) जिसपर इल्तुतमिश, खिलजी, औरंगजेब जैसे कई इस्लामिक हमलावरों ने हमले किए उसे स्वतंत्रता के बाद भी हिंदू विरोधी एएसआई ने बिजामंडल मस्जिद के रूप में दर्ज कर रखा है तथा हिंदुओं द्वारा कई आंदोलनों के बाद वर्षों पहले प्रशासन ने वर्ष में केवल एक दिन नागपंचमी के लिए मंदिर में पूजा की अनुमति दी । इसमें भी हिंदुओं को बाहर से ही ताला बंद कर पूजा करने पर विवश किया जा रहा है ।

इतिहास के पन्नों में जो जानकारी इस मंदिर की मिलती है वो चौंकाने वाली है। विजय सूर्य मंदिर का निर्माण परमार काल के शासक राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री चालुक्य वंशी वाचस्पति ने 11वीं सदी में कराया था। मंदिर का निर्माण परमार शैली के अनुरूप भव्य विशाल पत्थरों पर अंकित परमारकालीन राजाओं की गाथाओं से किया गया है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब डेढ़ सौ गज ऊंचा था। मुगल शासकों को मंदिर की भव्यता और लोगों की आस्था खटकती रहती थी। इसलिए मुगल शासक औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी (करीब 1682 में) में इसे 11 तोपों से उड़ा दिया था और लूटपाट कर मूर्तियों को बर्बाद कर दिया था। इसके बाद मालवा का राज्य जब मराठों के पास आ गया तो इसे दोबारा से खड़ा करने का प्रयास हुआ। इसके अवशेष आज भी मंदिर में दफन हैं। 1992 में हुई खुदाई में मंदिर के प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिससे मंदिर का भव्य रूप सामने आया था। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है।

ASI की वेबसाइट के अनुसार ध्वस्त हिन्दू मंदिर पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। यहां मिले शिलालेख के मुताबिक यह देवी चर्चिका का मंदिर था, जिसका निर्माण 12वीं और 13वीं शताब्दी में हुआ था। औरंगजेब ने मंदिर को तबाह करके उसी सामग्री से मस्जिद तैयार कराई थी।

विजय मंदिर हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है, किंतु उस समय 72 सालों से पुरातत्व विभाग का ताला लटका हुआ है। इसके कारण मंदिर वर्तमान में महज एक स्मारक बनकर रह गया है।

इस वर्ष विदिशा के हिन्दू 9 अगस्त को आनेवाली नागपंचमी पर पूजा ताला खोलकर करने की मांग पर अडिग हैं। उनकी कलेक्टर तथा ASI से यह मांग है की, हिंदुओ को नागपंचमी (9 अगस्त ) को ताला खोलकर पूजा करने दी जाए तथा भविष्य में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करके पुनः भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण किया जाए ।

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