श्री तुळजाभवानी मंदिर के भ्रष्टाचारियों पर न्यायालय के आदेशानुसार कार्रवाई न करने का प्रकरण!
श्री तुळजाभवानी मंदिरसंस्थान में, उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गयी; इसलिए मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति वाई.जी. खोबरागड़े ने महाराष्ट्र राज्य गृह विभाग की अतिरिक्त कामकाज संभालनेवाली मुख्य सचिव श्रीमती सुजाता सौनिक को अवमानना का एक सामान्य नोटिस भेजा है । साथ ही धाराशिव जिला कलेक्टर डॉ. सचिन ओम्बासे को उच्च न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है । हिंदू जनजागृति समिति की ओर से ‘हिंदू विधिज्ञ परिषद’ के अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी और अधिवक्ता उमेश भडगांवकर ने कार्य देखा । इससे पूर्व न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करने पर हिंदू जनजागृति समिति ने यह अवमानना याचिका दायर की थी ।
वर्ष 1991 से 2009 के बीच 8 करोड़ 45 लाख 97 हजार रुपये का भ्रष्टाचार हुआ था । तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के निर्देशानुसार इस घोटाले की जांच वर्ष 2011 में सीआईडी के माध्यम से शुरू की गई थी; लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधि इस घोटाले में शामिल होने के कारण 5 साल बाद भी जांच आगे नहीं बढ पा रही थी; लेकिन भक्तों के हित का मामला होने के कारण हिंदू जनजागृति समिति ने हिंदू विधिज्ञ परिषद की मदद से वर्ष 2015 में मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद बेंच में एक जनहित याचिका दायर की । कई वर्षों तक ‘हिंदू विधिज्ञ परिषद’ के अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी द्वारा इस मामले को उठाने के बाद 9 मई, 2024 को मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने 16 दोषी नीलामीकर्ताओं, मंदिर कार्यकर्ताओं, ट्रस्टियों, सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ तुळजापुर पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया । साथ ही इस भ्रष्टाचार में सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं, इसलिए प्रशासन उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा है’, ऐसी टिप्पणी करते हुए औरंगाबाद बेंच ने इस घोटाले की जांच बंद करने के सरकार के फैसले को रद्द कर दिया । यह भी आदेश दिया गया कि मामले की जांच सीआईडी के पुलिस अधीक्षक स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में जारी रखी जाए; लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया ।
We strongly oppose Government's decision 2 reclassify ‘Class 2’ temple land into ‘Class 1’ thereby granting permanent ownership rights 2 current occupiers!
The Govt should reconsider its decision, otherwise Maharashtra Mandir Mahasangh will protest on d streets@HinduJagrutiOrg pic.twitter.com/SMRN32PDfK— Sunil Ghanwat🛕🛕 (@SG_HJS) August 2, 2024
इसके खिलाफ हिंदू जनजागृति समिति ने महाराष्ट्र सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग), पुलिस महासंचालक, जिला पुलिस प्रमुख धाराशिव, कलेक्टर धाराशिव के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की । इस मामले की सुनवाई 1 अगस्त को हुई थी । सुनवाई के दौरान हिंदू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी और उमेश भडगांवकर ने कहा कि मंत्रालय में बैठे अधिकारी जानबूझकर माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन कर रहे हैं क्योंकि वे भ्रष्ट लोगों के पक्ष में हैं । इन सभी को इसकी सजा मिलनी चाहिए ।’ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवीन्द्र घुगे और न्यायमूर्ति वाई.जी. खोबरागड़े की दो सदस्यीय पीठ ने महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) को कारण बताओ नोटिस जारी किया । कलेक्टर धाराशिव को 2 सितंबर, 2024 को अदालत में पेश होने का आदेश दिया । इस समय, उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और स्पष्ट शब्दों में आदेश दिया कि ‘उच्च न्यायालय में केवल अवमानना याचिका लंबित है, इसलिए अपराध के पंजीकरण को रोकने की कोई आवश्यकता नहीं है।’
दरअसल, श्री तुळजापुर मंदिर करोड़ों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है । यहां श्रद्धालु आस्था से पैसे चढाते हैं; लेकिन जैसे-जैसे मंदिरों में भ्रष्टाचार होता है, सरकार मंदिरों का सरकारीकरण कर उन्हें अपने अधिकार में ले लेती है; सरकार का दावा है कि ‘हम सुशासन करेंगे’; लेकिन सरकारी नियंत्रण में श्री तुळजापुर मंदिरों में भ्रष्टाचार के 30 साल बाद भी सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके विपरीत, वह भ्रष्टाचारियों का बचाने का प्रयास कर रही है; इसलिए हमने ‘हिंदू जनजागृति समिति’ की ओर से यह अवमानना याचिका दायर की है, ऐसा मुंबई उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी ने इस समय कहा ।