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प्रदेश में कई फर्जी प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की आशंका – सुराज्य अभियान की राज्यपाल से जांच की मांग

प्रतिकात्मक चित्र

महाराष्ट्र कैडर की वर्ष 2023 बैच की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी पूजा खेडकर द्वारा हाल ही में विकलांगता के फर्जी प्रमाणपत्र के साथ यूपीएससी पास करने का गंभीर मामला सामने आया है। केंद्रीय लोक सेवा आयोग ने पूजा खेडेकर की उम्मीदवारी अस्थायी तौर पर रद्द कर दी है और मामला न्यायालय में भी चल रहा है । पिछले दिनों प्रदेश में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है । इससे इस बात की पूरी संभावना है कि पूजा खेडकर की तरह फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के जरिए राज्य में कुछ और नियुक्तियां भारतीय प्रशासनिक सेवा या अन्य सरकारी सेवाओं में की गई हैं । इसकी गंभीरता को देखते हुए क्या विकलांगता प्रमाणपत्रों के माध्यम से ऐसी फर्जी नियुक्तियां की गई हैं ? इस बारे में जानने के लिए ‘सुराज्य अभियान’ के महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. अभिषेक मुरुकटे ने एक ज्ञापन के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य के राज्यपाल माननीय श्री. सी.पी. राधाकृष्णन् से मांग की ।

इससे पहले मई 2022 में पुणे के ससून अस्पताल के हड्डी रोग विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र देने का चौंकाने वाला मामला सामने आया था । सरकार ने मामले की जांच के लिए जून 2022 में तीन सदस्यीय समिति भी गठित की । चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस मामले में ‘जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने’ के लिए आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय को जुलाई 2022 और अक्टूबर 2022 में दो बार पत्र भी भेजा । पुणे भाजपा विधायक माधुरी मिसाळ और विधायक सुनील कांबले ने अगस्त 2022 को विधानसभा में इस बारे में एक सवाल उठाया था । उस पर तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने भी ससून अस्पताल में फर्जी प्रमाणपत्र जारी होने की बात को सच माना था; इतना कुछ होने के बाद भी इस मामले में आगे कुछ नहीं हुआ है । इससे यह आशंका जाहिर होती है कि इन मामलों को जानबूझ कर दबाया जा रहा है ।

प्रशासनिक सेवा के प्रमुख के तौर पर क्या राज्यपाल खुद देंगे ध्यान ?

‘सुराज्य अभियान’ की ओर से 8 मई 2024 को आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संचालनालय को पत्र भेजकर बताया गया है कि ससून अस्पताल, पुणे के हड्डी रोग विभाग के अधिकारियों द्वारा फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के मामले में कार्रवाई लंबित है । प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार व्याप्त हो चुका है। दिव्यांगता प्रमाण पत्र के माध्यम से फर्जी अधिकारियों की नियुक्ति होने पर यह व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी । इसकी गंभीरता और भविष्य के खतरे को ध्यान में रखते हुए, राज्य में प्रशासनिक सेवा के प्रमुख के रूप में राज्यपाल को इस मामले को देखना चाहिए और सरकार को फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र देने और लेने वालों दोनों के विरुद्ध ठोस कानूनी कार्रवाई करने का आदेश देना चाहिए, ऐसी मांग ‘सुराज्य अभियान’ के महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. अभिषेक मुरूकटे ने राज्यपाल से की है ।

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