सारणी
१. हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके पीछे पूरी शक्तिके साथ कैसे खडा रहें ?
३. हिंदू-संगठनोंकी दृष्टिसे एक-दूसरेको सहयोग प्रदान करनेका महत्त्व !
प्रस्तावना
हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंको समूल नष्ट करना ही सत्ताधारियोंका मुख्य उद्देश्य होनेके कारण वह साध्य न होने देना, सर्व हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंका प्रथम धर्मकर्तव्य !
इस वर्ष हिंदुत्वनिष्ठोंके लिए गंभीरतासे लेनेयोग्य तीन घटनाएं हुर्इं । इनमें पहली घटना है – भोजशाला आंदोलनमें श्री. नवलकिशोर शर्माको बंदी बनाया जाना; दूसरी घटना है – दंगोंके लिए ‘हिंदू संहती’के अध्यक्ष श्री. तपन घोषको बंदी बनाया जाना और तीसरी घटना है – ‘हिंदू हेल्पलाइन’के श्री. प्रदिश विश्वनाथको अघोषितरूपसे बंदी बनाया जाना । शासन, हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके स्वरको दबा देनेका हरसंभव प्रयास कर रही है । इन सब प्रकरणोंमें हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंको समूल नष्ट करनेका सत्ताधारियोंका दुष्ट हेतु किसीसे छिपा नहीं है । जब हिंदुविरोधी घटक किसी संगठनको घेरनेका प्रयत्न करते हैं, तब उस संगठनके समक्ष अनेक चुनौतियां एक ही समय मुंह बाए खडी हो जाती हैं । उन सब चुनौतियोंसे एक ही समय लडना उस संगठनके लिए संभव होगा ही, ऐसा नहीं है । किसी हिंदुत्वनिष्ठ संगठनका नष्ट होना यह केवल उस संगठनकी हानि नहीं है, अपितु संपूर्ण हिंदुत्वनिष्ठ आंदोलनकी ही हानि होती है । किसी हिंदुत्वनिष्ठ संगठनका कार्य रोकनेमें हिंदू-विरोधियोंको सफलता मिलना, यह अन्य हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंका कार्य रोकनेवाली विचारधाराको बल प्रदान करने समान होता है । अतः, अन्य संगठनोंको उन कठिन प्रसंगोंमें एकजुट होकर पूरी शक्तिके साथ उस संगठनके पीछे खडा होना आवश्यक है । किसी संगठनके पीछे ऐसी शक्ति खडी करते समय अपना नियमित कार्य खंडित होनेकी संभावना होती है । उस समय अपने संगठनके नियमित कार्यका विचार न कर, उसकी थोडी हानि हो जाए, हमें कुछ कष्ट भोगना पडे, तो भी चलेगा । किंतु, संकटमें पडे हिंदुत्वनिष्ठ संगठनके पीछे पूरी शक्तिके साथ खडे रहना हमारा धर्मकर्तव्य बनता है । कर्तव्यभावसे, मनमें कोई अपेक्षा न कर, यह धर्मकर्तव्य हमें पूरा करना होगा । ऐसे प्रसंगोंमें हम क्या-क्या कर सकते हैं, इसका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करनेके लिए मैं आपके सम्मुख खडा हूं ।
१. हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंके पीछे पूरी शक्तिके साथ कैसे खडा रहें ?
१ अ. सत्ताधारियोंपर दबाव बनानेके लिए हिंदुओंके सब संगठनोंद्वारा
अपने-अपने राज्योंमें मिलकर वैध मार्गसे एकदिवसीय आंदोलन इत्यादि कार्यक्रम करना
|
हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंको हानि पहुंचानेका कार्य प्रायः सत्ताधारी लोग करते हैं । ऐसेमें, सत्ताधारियोंपर दबाव बनानेकी दृष्टिसे कौन- कौनसे कार्य वैध मार्गसे किए जा सकते हैं, हमें उनका प्रधानतासे विचार करना चाहिए । इन प्रयत्नोंमें आंदोलन एक महत्त्वपूर्ण घटक है । किसी राज्यमें कोई संगठन संकटमें पड जाए, तो अन्य राज्योंके सभी संगठन अपने-अपने राज्योंमें उसके बचावके लिए आंदोलन छेडें । अपने-अपने राज्यके शासकोंको उस विषयमें ज्ञापन दें । उस संगठनपर होनेवाले अत्याचारोंके विषयमें अपने राज्यकी जनभावनाएं कितनी उग्र हैं, यह राज्यशासनको समझे, इसके लिए हस्ताक्षर अभियान चलाएं तथा उन हस्ताक्षरोंको अपनी मांगोंके ज्ञापनसे जोडकर राज्यशासनको सौंपें । जो संगठन राज्यकी तथा देशकी राजधानीमें आंदोलन कर सकते हैं, वे उस ढंगसे प्रयत्न करें । यह करते समय हमें एक बातका ध्यान रखना होगा कि ये सर्व आंदोलन पूरे भारतमें एक ही दिन हों । किसीको पत्रकार परिषद करनी है, प्रदर्शन, धरना आदि कोई भी आंदोलन करना हो, तो ये सब निर्धारित किए गए दिन एक साथ करें । ऐसे आंदोलन निरंतर होते रहनेसे शासकोंको देशकी संगठित हिंदू शक्तिका पता चलेगा ।
१ आ. अत्याचार-पीडित संगठन एवं
उनके कार्यकर्ताओंको सांत्वना (मानसिक आधार) देना
किसी संगठनपर पुलिसके अत्याचार और बार-बारके संकटसे उस संगठनके नेतागण एवं कार्यकर्ताओंपर मानसिक दबाव बढनेकी संभावना होती है । ऐसे प्रसंगोंमें हिंदुओंमें ‘धर्मबंधुत्व’ बढानेके लिए उन नेताओंको सांत्वना दें । उसी प्रकार, उस संगठनके कार्यकर्ताओंका मनोबल न टूटे, इस हेतु उनके संपर्कमें रहकर उनकी पूछताछ करते रहनेके लिए अपने कार्यकताओंको अवश्य निर्देश दें । इस विषयमें समय-समयपर पूछ-ताछ भी करते रहें ।
१ इ. संगठनके नेताओं तथा कार्यालयोंको सुरक्षा प्रदान करना
किसी संगठनकी पुलिस-जांच होते समय अथवा किसी अन्य कारणसे उस संगठनके नेताओंपर अथवा कार्यालयोंपर हिंदूविरोधियोंद्वारा आक्रमणकी संभावना हाती है । ऐसेमें उस संगठनके नेताओं, कार्यकर्ताओं की सुरक्षाके लिए सर्व हिंदुत्वनिष्ठ संगठन अपने कुछ चुने हुए कार्यकर्ताओंको अवश्य भेजें ।
सर्व हिंदुत्वनिष्ठ संगठन यहां एक बात ध्यानमें रखें कि आज किसी संगठनपर अत्याचार हो रहा है, वैसे कल हमपर भी हो सकता है । उस संगठनके पक्षमें हम आज खडे रहेंगे, तो ही आगामी कालमें हमारी रक्षा होगी ।
२. हिंदुत्वनिष्ठ नेताओंको इस बातकी पक्की व्यवस्था
पहलेसे कर लेनी चाहिए कि आपकी अनुपस्थितिमें भी संगठनका कार्य चलता रहे !
२ अ. किसी प्रकरणमें किसी हिंदुत्वनिष्ठ संगठनके मुख्य नेताको बंदी बना लिए जानेपर उस संगठनकी सहायता करनेके लिए किससे संपर्क करना चाहिए, इस बातकी जानकारी अन्य हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंको प्रायः नहीं होती । इसलिए, कुछ संगठनोंको सहायता करनेकी इच्छा होनेपर भी वे उस संगठनकी सहायता नहीं कर पाते । अतः, सर्व संगठनोंके मुख्य नेता अपने चार ऐसे पदाधिकारियोंके नामोंकी सूची स्वागतकक्षमें प्रस्तुत करें, जिनसे आपकी अनुपस्थितिमें संपर्क किया जा सकेगा । यह सूची हिंदू जनजागृति समितिके ‘समन्वय कक्ष’में दे दी जाएगी और उचित समयपर उसका उपयोग किया जाएगा ।
२ आ. किसी क्षेत्रके हिंदुत्वनिष्ठ संगठनपर अत्याचार होगा, तो उसकी जानकारी विस्तारसे ‘राष्ट्रीय समन्वय कक्ष’से सभी संगठनोंको दी जाएगी । ‘केंद्रीय समन्वय कक्ष’के लिए आपको सहायता करना सरल हो, इसके लिए आप अपने संगठनके पदाधिकारियोंके नाम, भ्रमणभाष क्रमांक आदि विवरण स्वागतकक्षमें दें ।
२ इ. किसी क्षेत्रके हिंदुत्वुनष्ठ संगठनपर अत्याचार होगा, तो ‘हिंदू विधिज्ञ परिषद’के विशेषज्ञ अधिवक्ता उसे सर्व प्रकारकी कानूनी सहायता देंगे । ऐसी घटनाओंमें कौन-कौन-सी कानूनी सहायता चाहिए, यह उस संगठनके प्रमुख ‘हिंदू विधिज्ञ परिषद’को बताएं तथा यह भी बताएं कि उन्हें अन्य हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंसे किस प्रकारकी सहायता चाहिए ।
३. हिंदू-संगठनोंकी दृष्टिसे एक-दूसरेको सहयोग प्रदान करनेका महत्त्व !
३ अ. अन्य संगठनोंसे निकटता स्थापित होकर
धर्मकर्तव्य पूरा करनेका संतोष प्राप्त होना
कोई संगठन संकटमें हो, तो उसे दिया हुआ छोटा-सा आधार भी उस संगठनके लिए बहुमूल्य होता है । उस आधारसे मिले बलके आधारपर वह संगठन, उसके नेता एवं कार्यकर्ता उस संकटसे आगे जाएंगे । अपने छोटे-से कृत्यसे परस्परमें अपनत्व निर्माण होकर प्रीतिका अनुभव होने लगेगा । हिंदुओंका संगठन प्रबल बनानेके लिए प्रीति, अर्थात निरपेक्ष प्रेम अत्यंत महत्त्वपूर्ण सूत्र है । इसे बढानेका प्रयत्न करनेपर हिंदुत्ववादी संगठनोंको सहायता करनेका अपना धर्मकर्तव्य हम पूरा कर पाएंगे ।